व्रत आज, सुहागिनों ने जमकर की है तैयारी

खरीददारी के लिए बाजारों में उमड़ी भीड़

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PRATAPGARH:

करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए सतर्क रहना होगा। समय का ध्यान देने पर व्रत खंडित हो सकता है। इस बार सवा घंटे का ही पूजन के लिए समय मिलेगा। यानी शुक्रवार को शाम 6.02 बजे से 07.18 बजे तक ही पूजन का मुहूर्त है। सुहागिनों ने कई दिन लगकर करवा चौथ व्रत की तैयारी की। पर्व की पूर्व संध्या यानी गुरुवार तक चलती रही। बाजारों में पूजन सामग्री खरीदने के लिए उनकी भीड़ दुकानों पर देखी गई। शहर के चौक, बाबागंज, पंजाबी मार्केट, ठठेरी बाजार, चिलबिला, अंबेडकर चौराहा के आपपास करवा, कलश, चलनी, शंकर-पार्वती की प्रतिमा, कुश, गट्टे की दुकानें सजी रहीं।

रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा व्रत

मां गौरी से अखंड सुहाग मांगने, पति-पत्नी में प्रेम को प्रगाढ़ करने के लिए करवाचौथ का व्रत प्रतापगढ़ के हजारों परिवारों में रखा जाता है। इस बार 30 अक्टूबर को करवा चौथ है, जो रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है। इस विशेष संयोग में व्रत रखने वाली सुहागिनों का सुहाग तो अटल रहेगा ही, पति का आकर्षण भी उनके प्रति बढ़ जाएगा। पुराण बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी इसी नक्षत्र में हुआ था। रोहिणी नक्षत्र होने के कारण पति पति के संबंधों में जहां मिठास घुलेगी, वहीं एक दूसरे के प्रति लगाव भी धीरे धीरे बढ़ता जाएगा।

शाम 6.02 से शाम 07.18 बजे तक ही होगी पूजा

जिले के वरिष्ठ वैदिक विद्वान पं। भइयाराम त्रिपाठी बासूपुर के अनुसार शुक्रवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि सुबह 8.25 तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि लगेगी जो सुबह 5.26 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र शाम 4.57 मिनट तक है। करवाचौथ पूजन का समय शाम 6.02 से शाम 07.18 बजे तकरहेगा। इसमें चंद्रमा के उदय होने पर ही व्रत पूरा माना जाता है। नगर के प्रमुख ज्योतिषी पं। प्रभाष चंद्र पांडेय बताते हैं कि इस व्रत का महत्व पौराणिक काल से ही रहा है।

द्रोपदी ने रखा था करवा चौथ का व्रत

प्रभु कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से पांडवों को महाभारत युद्ध में जीत हासिल हुई थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को दिन भर निर्जल व्रत रखने के बाद, शाम को चंद्रमा को जल का अ‌र्घ्य देने के साथ व्रत पूरा होता है। इस दिन चंद्रमा व शिव-पार्वती और स्वामी कार्तिकेय भी पूजा की जाती है। गौरी पूजन से जहां महिलाए अखंड सुहाग की कामना करती हैं, वहीं अविवाहित कन्या को सुयोग्य वर मिलता है। बेल्हा में वैसे तो अधिकांश परिवारों में हरितालिका तीज का व्रत होता है। इसके इतर कुछ परिवार की महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं।