Lucknow: स्टेट में अब तक के सबसे बड़े घोटाले एनआरएचएम घोटाले ने एक और अफसर की जान लेली। यह अफसर हैं सुनील कुमार वर्मा। सीएण्डडीएस  में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम करने वाले सुनील कुमार ने सोमवार को अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मार कर सुसाइड कर लिया। एनआरएचएम योजना के तहत जलनिगम की इस विंग को 143 हास्पिटल्स को मेंटीनेंस का काम 14 करोड़ रुपये में दिया गया था।

सीबीआई ने इस घोटाले के सम्बंध में कुछ दिन पहले 4 जनवरी को इस इंजीनियर को अपने दफ्तर में बुलाया था। सोमवार को दिल्ली में इस घोटाले से जुड़े अफसरों और कारोबारियों से पूछताछ होनी थी। माना जा रहा है इसी बात को लेकर सुनील वर्मा तनाव में थे।

आफिस जाने से पहले किया सुसाइड

पुलिस ने बताया कि सुनील कुमार वर्मा सोमवार की सुबह से काफी तनाव में थे। आफिस जाने के लिए वह अपने रुम में गये तभी गोली चलने की आवाज आयी। घर वालों ने जाकर देखा तो सुनील वर्मा खून से लथ पथ पड़े थे। घर वालों ने पुलिस को इंफार्म किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने सुनील को फौरन शेखर हास्पिटल पहुंचाया जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने बताया कि सुनील ने गोली अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से मारी है।

पुलिस को मिला सुसाइड नोट

सुनील कुमार वर्मा के पास से पुलिस ने एक सुसाइड नोट बरामद किया है। जिसमें सुनील ने लिखा है कि वह बेगुनाह है। उसने अपनी तरफ से कोई गलती नहीं की है। सीबीआई मुझे परेशान कर रही है। मेरा कोई दोष नहीं है। मेरी मौत का जिम्मेदार मैं खुद हूं। कृप्या मेरे परिवार को परेशान न किया जाए। इससे पहले सीबीआई ने सुनील वर्मा से 4 जनवरी को कई घंटे तक पूछताछ की थी। पूछताछ के बाद से ही सुनील काफी परेशान थे।

ठेकेदार ने भी की थी कोशिश

पिछले साल तीन दिसम्बर को एक ठेकेदार नमित टंडन ने भी रेलवे ट्रैक पर सुसाइड करने की कोशिश की थी। लेकिन उसे बचा लिया गया था। नमित ने बताया था कि सीबीआई उसे तंग कर रही है। वह अपनी बेइज्जती फैमिली के सामने बर्दाश्त नहीं कर सकता। इस लिये उसने सुसाइड करने की कोशिश की थी।

सीबीआई जांच बनी मुसीबत

एनआरएचएम घोटाले से संबंधित विभाग का हर छोटा बड़ा अधिकारी परेशान है। हेल्थ डिपार्टमेंट का मिनिस्टर हो या प्रमुख सचिव, डायरेक्टर हो या सीएमओ और डॉक्टर हो या बाबू सब सीबीआई जांच से परेशान हैं। सीबीआई भी घोटाले की बड़ी ही बारीकी से जांच कर रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग दस हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच में सीबीआई ने अब तक 72 करोड़ के घोटालों में 28 करोड़ रुपये का घोटाला पकड़ा था।

जिसमें सबसे बड़ा घोटाला सीएण्डडीएस के माध्यम से हॉस्पिटल्स के मेंटेनेंस का काम कराया गया था। इसमें लगभग 143 हास्पिटल में दस दस लाख रुपये मरम्मत के लिए दिये गये थे। जिसका कोई हिसाब सीबीआई के अधिकारियों को नहीं मिला था। सुनील कुमार वर्मा इसी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट इंजीनियर की पोस्ट पर थे और बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम कर रहे थे।

एनआरएचएम घोटाले से जुड़े अधिकारियों को आज दिल्ली तलब किया गया था जहां अधिकारियों से कई घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान अभी तक किसी के भी अरेस्ट होने की खबर नहीं है। सूत्रों को कहना है कि मौजूदा सरकार में पावर फुल अफसर के रुप में रहे प्रदीप शुक्ला समेत कई नामचीन अफसरों की गिरफ्तारी की घोषणा किसी वक्त भी हो सकती है।

खूनी घोटाला

एनआरएचएम यानी नेशनल रुरल हेल्थ मिशन। यह योजना वर्ष 2006 से चल रही थी। गरीबों के पैसों में सेंधमारी की भनक अक्टूबर 2010 में एक सीएमओ परिवार कल्याण डॉ। विनोद कुमार आर्या की हत्या के बाद लगी। लेकिन उस वक्त मामले को दबाने की कोशिश की गयी और सीएमओ की मौत को ठेकेदारी के झगड़े को लेकर बतायी गयी। लेकिन छ: महीने में दूसरे सीएमओ डॉ.बीपी सिंह की भी उसी अंदाज में हत्या हुई तो गवर्नमेंट ने दो-दो मिनिस्टर से इस्तीफा ले लिया और डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सिंह सचान को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेज दिया।

अब तक पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग जोर पकडऩे लगी थी। लेकिन सचान की भी जेल में 22 जून को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई तो कोर्ट ने कुछ दिनों की सुनवाई के बाद न सिर्फ डॉ। सचान की मौत की जांच सीबीआई को सौंपी बल्कि दोनों सीएमओ और एनआरएचएम घोटाले की भी जांच सीबीआई को दे दी गयी। सीबीआई को शुरुआती दौर में ही बड़े घोटाले के सबूत मिलने लगे।

Reported By: Yasir Raza