-बारिश के बाद भी छाता लेकर घूंघट में वोट डालने पहुंची महिलाएं

-आधी आबादी को है बुनियादी सुविधाओं का रोना, गांव में नहीं बनीं सड़कें

ALLAHABAD: 65 साल की कलेशरा मतदान केंद्र के बाहर बैठी थी। अब तक वह आधा दर्जन पंचायत चुनाव में वोट डाल चुकी है। पूछने पर बताया कि वोट डालना है लेकिन कोई पहचान पत्र नहीं होने की वजह से उसे रोक दिया गया है। घर से वोटर कार्ड मंगवाया है। उसके साथ बैठी बबली, बिटोला, इंद्रा देवी भी बिना पहचान पत्र घर से चली आई थीं। हंडिया के लाक्षागृह गांव की रहने वाली इन महिलाओं ने बताया कि पिछले कई सालों से गांव का विकास नहीं हुआ है। कच्चे रास्तों पर चलकर वोट देने आई हैं। उम्मीद है इस बार जीतने वाला प्रत्याशी उनकी बात जरूर सुनेगा। गुरुवार को हुए मतदान के दौरान आधी आबादी ने कुछ ऐसा ही उत्साह दिखाया। घूंघट में पहुंची महिलाओं ने विकास की आस में जमकर वोट डाला।

अभी तक नहीं मिला मुआवजा

प्रतापपुर के सारीपुर गांव से प्राथमिक विद्यालय जैतापुर मतदान केंद्र में वोट डालने आई महिलाओं ने बताया कि अभी तक गांव के कई किसानों को सूखे का मुआवजा नहीं मिला है। सड़क भी नहीं बनी है। पीने का साफ पानी भी नहीं मिलता। पिछले बार जीते कई प्रत्याशियों ने समस्याएं दूर करने का वादा किया था लेकिन कुछ खास नहीं हुआ। कई घरों के राशन कार्ड तक नहीं बने हैं। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है। गांव की मीना, कमला, नन्ही ने बताया कि वह वोट देंगी तभी तो विकास हो सकेगा।

टंकी बनी, पानी की सप्लाई चालू नहीं

इसी तरह हंडिया के तारागांव में हाल ही में जल निगम ने पानी की टंकी बना दी लेकिन कई जगह जलापूर्ति शुरू नहीं की जा सकी है। कई घर के लोगों को प्यास बुझाने के लिए अब भी दुश्वारी झेलनी पड़ती है। इसी गांव की अमरावती और कलुई भी गुरुवार को वोट डालने पहुंची थीं। उन्होंने कहा कि बारिश में भीगते हुए वह किसी तरह केंद्र तक पहुंची हैं। वोट डालकर वापस घर जाएंगी तक चूल्हा जलेगा। घर में किसी ने सुबह से खाना नहीं खाया है। उनके लिए पहला काम पंचायत चुनाव में वोट डालना है।