-जनवरी में 27 और फरवरी में 15 नवजात बच्चों की हुई मौत

र्रून्स्नस्नन्क्त्रक्कक्त्र/क्कन्ञ्जहृन्: एसकेएमसीएच के नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) में जनवरी और फरवरी में 42 नवजात की मौत हो गई। डॉक्टर्स की मानें तो दो महीने में 259 नवजात को इलाज के लिए एडमिट कराया गया। इनमें कुछ रेफर होकर और कुछ गंभीर स्थिति में पहुंचे थे। मौत के लिए डॉक्टर गंभीर बीमारियों के साथ -साथ लोगों में जागरुकता की कमी को मुख्य कारण मानते हैं।

समझने से पहले हो जाती मौत

डॉक्टर कहते हैं कि परिजन बच्चे को गंभीर स्थिति में लेकर पहुंचते हैं, ऐसे में उसकेकेस को समझने का अवसर ही नहीं मिल पाता है और वे दम तोड़ देते हैं। हालांकि, अस्पताल में इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन की कमी भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार का कहना है कि नवजात की मौत पहले से कम हुई है। गंभीर और रेफर होकर आनेवाले नवजात की मौत अथक प्रयास के बावजूद हो जाती है। हालांकि, उनके इलाज में कोई कमी नहीं की जाती। जनवरी में 146 नवजात इलाज के लिए पहुंचे थे जिसमें से 27 की मौत हो गई, जबकि 29 को परिजन लेकर दूसरी जगह चले गए। 89 को स्वस्थ्य होने के बाद छुट्टी दे दी गई। फरवरी में एनआइसीयू में 113 नवजात को एडमिट कराया गया। जिसमें 15 की मौत हो गई, जबकि 67 को स्वस्थ्य होने के बाद छुट्टी दे दी गई। 9 नवजात को लेकर परिजन दूसरे जगह चले गए। 4 को गंभीर स्थिति में पटना रेफर किया गया। ऐसे कई मामले बताए गए।