- वीजा और वर्क परमिट के नाम पर जमा कराए रुपये

- फिर से रुपया मांगने पर हुआ संदेह, थाने में शिकायत

आगरा। विदेश में नौकरी के नाम पर शातिरों ने युवक से लाखों हड़प लिए। ई-मेल पर ऑफर लेटर भेजकर उससे कई बार में रुपये जमा कराए। शक होने पर पीडि़त ने पड़ताल की तो जालसाजी का खुलासा हुआ। शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

ऑनलाइन आया था आवेदन

ईश्वर नगर, ककरैठा, सिकंदरा निवासी राजेश पुत्र रंधीर सिंह ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद मालदीव, दुबई, बहरीन में मेनेजर की नौकरी की। जुलाई में वह घर लौट आया। उसे दूसरी जगह नौकरी करनी थी। पिता रंधीर सिंह शू कंपनी में काम करते हैं। जुलाई में ही राजेश के पास मेल पर कनाडा के एक होटल में मैनेजर की पोस्ट के लिए ऑफर आया। शातिरों ने फॉर्म भेजकर इंटरव्यू भी ले लिया। इसके बाद ऑफर लेटर भेज दिया। शातिरों ने कनाडा एम्बेसी की फर्जी ईमेल आईडी बनाई। मेल पर कहा कि वीजा फीस के 43700 रुपये एक अकाउंट में जमा करा दीजिए। इसके बाद फिर से मेल आया कि वर्क परमिट के 80500 रुपये जमा कीजिए। राजेश ने वह रुपये भी जमा करा दिए। इसके बाद टूरिस्ट फॉर्म के लिए 240900 रुपये जमा कराए। ट्रैवल्स एलायंस व अन्य के नाम पर दो बार में 50-50 हजार रुपये जमा करा लिए। शातिरों ने कुल 4.65 लाख रुपये हड़प लिए।

फिर से रुपये मांगने पर ठनका माथा

इतने रुपये जमा कराने के बाद कनाडा सिटीजनशिप व ट्रैवलिंग अलाउंस के नाम पर फिर से दो लाख रुपये की डिमांड की गई। शातिरों ने कहा कि ये रुपया रिफंड हो जाएगा। इसी के बाद राजेश का माथा ठनका। उसके पिता ने तुरंत पुलिस से सम्पर्क कर मामला संज्ञान में दिया। शातिरों से फोन पर बात कर पिता ने मना कर दिया कि बेटे को विदेश नहीं भेजना है। उन्होने रुपये वापस मांगे तो धमकी मिलने लगी।

बेटी का शादी के लिए जोड़ा था रुपया

पिता रंधीर सिंह का कहना था कि किसी तरह बेटी की शादी के लिए रुपया जमा किया था। शातिरों ने 3.75 लाख प्रति महीने सैलरी का झांसा दिया। परिवार को लगा कि एक बार रुपया खर्च होगा तो बेटा उसकी भरपाई कर देगा और बेटी की शादी भी धूमधाम से हो जाएगी। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि वह जालसाजी के शिकार हो गए हैं। पीडि़त ने मामले में मुख्यमंत्री व विदेश मंत्री से भी शिकायत की है।

एम्बेसी से किया पता

पिता ने ठगी का अहसास होने के बाद दिल्ली जाकर कनाडा एम्बेसी से सम्पर्क किया। वहां पर मेल पर आए दस्तावेज दिखाए तो उन्होंने फर्जी बता दिए। इसके बाद वीजा ऑफिस जाकर भी दिखवाया वहां भी मना कर दिया।