-तीसरे दिन भी जारी रहा आरयू के कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन

-कर्मचारियों के लगाए आरोपों की आईनेक्स्ट ने की ग्राउंड रिपोर्ट तो उजागर हुआ बड़ा घोटाला

<-तीसरे दिन भी जारी रहा आरयू के कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन

-कर्मचारियों के लगाए आरोपों की आईनेक्स्ट ने की ग्राउंड रिपोर्ट तो उजागर हुआ बड़ा घोटाला

BAREILLY

BAREILLY :

आरयू में इन दिनों फिजूल खर्चा रोकने के लिए कर्मचारी ही उठ खड़े हुए है। कर्मचारी तीन दिन से विरोध कर हंगामा कर रहे हैं। वहीं इस मामले में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने वेडनसडे को इसकी हकीकत जानी और कुछ मुद्दों पर जाकर ग्राउंड रिपोर्ट की तो बड़ा घोटाला सामने आया। सोक पिट बनाने और कैंपस आवास पुताई का काम जिस संस्था को दिया गया था। उसने बगैर काम पूरा कराए ही भुगतान करा लिया। जिसमें सोक पिट के नाम से एक भी टैंक का निर्माण ही नहीं कराया। हालांकि कर्मचारियों ने इसके साथ रोड लाइट, नेहरू केन्द्र टाइल्स और गेस्ट हाउस रेनोवेशन कराने में भी घोटाले का आरोप वीसी, रजिस्ट्रार और फाइनेंस ऑफिसर पर लगाया है। फिजूल खर्ची और अनियमितताओं के खिलाफ तीन दिन से कर्मचारी क्रमिक अनशन कर रहे थे।

सोक पिट तो दूर गड्ढा तक नहीं खोदा

दो वर्ष पहले आरयू के तत्कालीन वीसी ने शौचालयों के सोक पिट का निर्माण कराने के लिए समाज कल्याण संस्था को बगैर टेंडर प्रक्रिया के फ्ख्.ख्0 लाख रुपए में दिया काम कराने का ठेका दिया था। जिसमें संस्था को करीब तृतीय और चुतुर्थ श्रेणी के आवासों के लिए ब्0 सोक पिट बनाने थे। दैनिक जागरण ने मौके पर जाकर देखा और वहां रह रहे कर्मचारियों से बात की तो किसी कर्मचारी का सोक पिट बनना दूर संस्था ने गड्ढा तक नहीं खोदा। जबकि संस्था को भुगतान भी पूरा कर दिया। कर्मचारियों ने जब विरोध जताते हुए हंगामा किया तो उन्हें बताया कि लम्बित भुगतानों में संस्था को भुगतान की गई राशि को समायोजित कर लिया गया, लेकिन कोई हिसाब नहीं दिया गया। कर्मचारियों का आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया को फॉलो नहीं किया गया।

कर्मचारी के नहीं अफसरों के आवास की हुई पुताई

कैंपस में फोर्थ क्लास कर्मचारियों के लिए टाइप वन बिल्डिंग बनी हुई है जिसमें भ्म् क्वार्टर हैं। बाबुओं को रहने के लिए टाइप ख् बिल्डिंग है जिसमें भी भ्म् आवास हैं। इसके साथ अफसरों के रहने के लिए अलग से आवास बने हुए हैं। तत्कालीन वीसी ने कैंपस में बने सभी आवासों की पुताई के लिए काम क् करोड़ फ्7 लाख में दिया था। टाइप क् और टाइप ख् आवासों में रहने वाले कर्मचारियों से जब बात की गई तो पता चला कि सिर्फ अफसरों के आवासों की पुताई की गई, कर्मचारियों के आवास की नहीं। सिर्फ क्0 प्रतिशत काम पूरा किया और शतप्रतिशत भुगतान लेकर चली गई। इस मामले में जांच कमेटी बनी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ख्0 करोड़ का अटल सभागार हुआ फ्म् करोड़ी

आरयू में अटल सभागार के निर्माण का बजट महज दो महीने के भीतर ख्0 करोड़ से बढ़ाकर फ्म् करोड़ कर दिया गया। ऐसा नहीं है कि सभागार में सुविधाएं बढ़ाने के लिए बजट की रकम को बढ़ाया गया। बल्कि सच यह है कि निर्माण की लागत दर को आरयू ने बढ़ा दिया। जबकि, इन दो महीनों में भवन निर्माण सामग्री में कहीं भी इजाफा नहीं हुआ है।

कर्मचारी बोले, कराइए ई-टेंडरिंग

-आरयू में अप्रैल को ईसी (एग्जिक्यूटिव काउंसिल)की बैठक हुई थी, जिसमें डेवलपमेंट और इंजीनियंरिग डिपार्टमेंट की सहमति से ख्0 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले अटल सभागार बनाए जाने पर मुहर लगी थी। ख्भ्00 हजार लोगों के बैठने की क्षमता तय हुई थी। जिसके बाद जून माह में जब ईसी की बैठक हुई तो अटल सभागार की लागत अचानक 80 प्रतिशत बढ़ा दी गई। जिसका काम राजकीय निर्माण निगम लखनऊ को दिया गया है। बजट में बिना किसी वजह के इजाफा की बात कर्मचारियों के गले नहीं उतरी। इस फिजूलखर्ची में गोलमाल का खेल उजागर करने के लिए वीसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कर्मचारियों ने वीसी पर धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते कहा कहा कि बगैर ई-टेंडरिंग के राजकीय निर्माण निगम को काम कैसे दे दिया गया। इसके लिए ई-टेंडरिंग प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

-फरवरी ख्0क्8 में हुए आरयू के स्थापना दिवस कार्यक्रम में आए गृह मंत्री राजनाथ सिंह के समय वीसी ने करीब ब्भ् लाख की रोड लाइट बगैर टेंडर किए ही लगवा दी। जिसका भुगतान भी हो गया।

-गेस्ट हाउस रेनोवेशन, नेहरू केन्द्र की पुरानी टाइल्स उखाड़ नई लगवाना और परीक्षा भवन रेनोवेशन का काम बगैर टेंडर प्रक्रिया के ही करवा लिया गया। जिसका लाखों के बजट का भुगतान भी करा दिया।

===

वीसी साहब इनकी भी सुनिए

कर्मचारी तीन वर्ष से सोक पिट और पुताई के लिए परेशान हैं। एक बार सुनने में आया कि कर्मचारियों के सोक पिट के लिए धनराशि जारी हो गई है। जल्दी ही सोक पिट और पुताई काम होगा लेकिन अभी तक तो हुआ नहीं है।

-दीवान सिंह, कैंपस आवास नम्बर सी-क्

---

कैंपस में रहने वाले अफसरों को तो सुविधाएं मिल जाती हैं। चाहें वह पुताई की हो या फिर सोक पिट की। लेकिन कर्मचारियों के नाम पर सिर्फ पैसा निकाला जाता है, लेकिन उसका प्रयोग कहां होता है कोई पता नहीं चलता है।

अजय कुमार, आवास नम्बर सी-9 ----------

क्--ब्0 सोक पिट के लिए फ्ख्.ख्0 लाख हुए थे स्वीकृत। बिना निर्माण कर दिया भुगतान।

ख्--क् करोड़ फ्7 लाख रुपए आवासों की रंगाई-पुताई के लिए जारी हुए थे।

फ्- क्0 प्रतिशत आवासों की रंगाई-पुताई हुई और कर दिया पूरा भुगतान।

ब्- ख्0 करोड़ रुपए अटल सभागार के लिए बजट दिया, जिसे ख् माह में फ्म् करोड़ कर दिया गया।