- पॉलिसी मेच्योर होने पर चेक बाउंस हुए तो खुला घोटाले का खेल

- राज्यपाल, पीएम, सीएम व रेल मंत्री तक शिकायत

- बरेली जंक्शन आरपीएफ घोटाले की जांच में जुटी

BAREILLY : देश के पांच राज्यों में 55 शाखाओं वाली एक चीट फंड कंपनी फिनोमिनल हेल्थ केयर सर्विसेज पब्लिक का करोड़ों रुपए समेट फरार हो चुकी है। बरेली में इसकी कर्ता-धर्ता इज्जतनगर में तैनात रेलवे के इंजीनियर की पत्नी निकली। एसएसडी प्लाजा स्थित ऑफिस में रुपए जमा कर रहे ग्राहक जब शिकायत किए, तो मामला सामने आया। जांच के दौरान पता चला कि कंपनी एक-दो नहीं हजारों ग्राहकों को रुपए दोगुना करने का लालच देकर उनकी गाढ़ी कमाई समेट ले गई है। शुरुआती जांच में बरेली के ग्राहकों के दो करोड़ पर हाथ साफ करने की बात साबित हो चुकी है। रकम कई गुना बढ़ने की संभावना जांच अधिकारी जता रहे हैं।

 

9 वर्ष में रुपए डबल करने का लालच

कम्पनी की एक ब्रांच एसएसडी प्लाजा में वर्ष 2001 में बबली चक्रवर्ती और सरिता शर्मा ने खोली। जिन्होंने 9 वर्ष में रुपए डबल करने का वादा कर एजेंट बनाने शुरू किए थे। बरेली में करीब 1000 एजेंट बना डाले। अब इनके जरिए पब्लिक को लूटने का काम शुरू हुआ। कम से कम 625 रुपए और मैक्सिमम चाहे जितना चाहे इंवेस्ट करने का ऑप्शन था। कम से कम 20 किस्त जमा करना अनिवार्य किया गया था। साथ ही 7 वर्ष के पहले रुपए निकालने पर पॉलिसी का लाभ न मिलने की बात कही गई थी। पब्लिक को छलने के लिए रुपए दोगुने करने के अलावा 30 हजार रुपए तक मेडिकल क्लेम भी देने का दावा कम्पनी ने किया था।

 

एजेंट के माध्यम से फैलाया जाल

बेहतरीन ऑफर देखकर पब्लिक ने एजेंट के जरिए धड़ल्ले से रुपए इंवेस्ट करना शुरू कर दिया था। आलम यह रहा कि एक-एक एजेंट ने 4 से 5 सौ लोगों से रुपए इंवेस्ट करवा रखे हैं। 20 से 30 करोड़ रुपए एक एजेंट ने जमा करवाये। पिछले 16 वर्षो में अरबों रुपए इंवेस्ट हुए। पब्लिक को कोई शक न हो इसके लिया बकाया एक बांड भी दिए गए। जिस पर कंपनी की मोहर, लोगो आदि लगे होते थे। कंपनी ने पब्लिक को भी नहीं एजेंट को भी लुभावने ऑफर्स दिए। जैसे- पहले वर्ष 20 हजार, दूसरे वर्ष 3 लाख, तीसरे वर्ष साढ़े 4 लाख, नेक्स्ट वर्ष 15 लाख रुपए इंवेस्ट करवाने पर एक गाड़ी, एक मकान और 10 लाख रुपए देने का झांसा दिया था।

 

5 स्टेट में कंपनी की 55 ब्रांच

कंपनी के देश के 5 स्टेट में 55 ब्रांच हैं। इनमें यूपी के अलावा बेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और केरल। कंपनी के यूपी में 11 ब्रांच वर्क कर रहे थे। इनमें से एक ब्रांच बरेली में थी। यूपी की सभी ब्रांचेज का कमांड ऑफिस गोरखपुर में था। जबकि हेड ऑफिस मुम्बई, जहां से पूरा खेल चल रहा था। पॉलिसी की मेच्योरिटी पर जब इंवेस्टर्स को चेक मिले तो मामला पकड़ में आया। जब लोगों ने बैंकों में चेक क्लियरेंस के लिए लगाया तो वह बाउंस हो गये। बरेली ब्रांच द्वारा एसबीआई और कॉरपोरेशन बैंक के जो भी चेक दिए गए वह बाउंस हो गए। चेक क्लियरेंस नहीं होने पर लोगों को शक हुआ और जब मामले की शिकायत की तो मामले का खुलासा हुआ।

 

ब्रांच में ताला डालकर फरार

पकड़े जाने के डर से एसएसडी प्लाजा में खुले ब्रांच को 2017 में बंद कर दिया और बबली, सरिता बाकी लोग गायब हो गए। चेक बाउंस होने पर जब लोग ब्रांच पहुंचे और ताला लटका देखा तो उन्हें अपने ठगे जाने का अहसास हुआ। पीडि़तों ने किसी एक जगह नहीं बल्कि, पीएम से सीएम तक शिकायत मामले की शिकायत कर चुके हैं। इसके अलावा रेल मंत्री, राज्यपाल, गृहमंत्री, डीएम, एसएसपी, इज्जतनगर डीआरएम ऑफिस, प्रेमनगर और इज्जतनगर थाने में भी मामले की शिकायत दर्ज कराई है। बरेली जंक्शन आरपीएफ ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले में जुट गई है। जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर ज्योति सिंह को बनाया गया है।

 

रोक दिया गया सैलरी और फंड

एनईआर इज्जतनगर डिवीजन के कारखाना नम्बर-6 में तैनात रहे एसएसई देवाशीष चक्रवर्ती 30 जून 2018 को रिटायर हो गए हैं। हालांकि, मामले की जांच तक देवाशीष की सैलरी और रिटायरमेंट पर मिलने वाले फंड और ग्रेच्युटी का रुपया रोक दिया गया है। देवाशीष की पत्नी बबली चक्रवर्ती ने फ्रॉड का यह जाल फैलाया था। उसके साथ इस खेल में विनोद शर्मा की पत्नी सरिता शर्मा भी शामिल थी। सनद रहे देवाशीष ने विभाग से पत्नी के व्यवसाय को छिपाया था, जिससे माना जा रहा है कि इस फ्रॉड की जानकारी उन्हें भी थी।


5 स्टेट 55 ब्रांच

- 55 ब्रांच कम्पनी के देश के 5 स्टेट में थे।

- 11 यूपी, 20 महाराष्ट्र बाकी ब्रांच गुजरात, बेस्ट बंगाल और केरल में थे।

 

बरेली में यह सम्भाल रहे थे ब्रांच

- बबली चक्रवर्ती वाइफ देवाशीष चक्रवर्ती।

- सरिता शर्मा वाइफ विनोद शर्मा।

 

इनके हाथों में थी 55 ब्रांचों की कमान

- एनके सिंह मेन मालिक- धनगढ़ी नेपाल।

- एमके सिंह (एनके सिंह के भाई)- धनगढ़ी नेपाल।

- एस मल्लिकल - केरल।

- टीएमएस नायर - मिलिट्री से रिटायर - बम्बई।

 

ठगी के मामले की जांच की जा रही है। इसके लिए जांच अधिकारी तैनात कर दिया गया है। वैसे- जांच एनईआर के अधिकारियों से कराने के लिए मुरादाबाद एनआर डीआरएम को लेटर लिखा है। क्योंकि, जिस रेलवे ऑफिसर पर आरोप लगे हैं, वह एनईआर के हैं।

बलवीर सिंह तोमर, इंस्पेक्टर, आरपीएफ बरेली जंक्शन

 

मेरे पिता और मैंने कंपनी में करीब 30 हजार रुपए इंवेस्ट किए थे। 9 वर्ष में रुपए डबल करने की बात कंपनी ने कही थी। लेकिन जब कंपनी की ओर से जो चेक मिला वह बाउंस हो गये। मामले की शिकायत आरपीएफ और थाने में की गई है।

कामराज मिश्रा, पीडि़त

 

कंपनी से वर्ष 2002 में जुड़ा। करीब 11 वर्षो तक एजेंट का काम किया। इस बीच 350 लोगों को जोड़े। सिर्फ मैंने ही 30 करोड़ रुपए जमा करवाएं थे। अब कंपनी लोगों को ठग कर भाग गई है।

आशीष चतुर्वेदी, एजेंट

 

बरेली नहीं देश के पांच स्टेट में कंपनी के ब्रांच थे। सभी जगह एक जैसा ही हाल है। कंपनी ने लोगों को धोखा दिया है। जिनसे रुपए इंवेस्ट करवाए थे अब वह लोग हमें खोज रहे हैं।

सुनील पाठक, एजेंट