नौकरी दिलाने के नाम पर कोच अटेंडेंट से होती थी वसूली

भर्ती के नाम पर खेल करने वाले गैंग का जीआरपी ने किया खुलासा

ALLAHABAD: इलाहाबाद जंक्शन से चलने वाली ट्रेनों के साथ ही अन्य ट्रेनों में भी कोच अटेंडेंट की भर्ती के नाम पर पैसा वसूली और मनमानी का खेल लंबे समय से चल रहा है। इसका खुलासा मंगलवार को जीआरपी इलाहाबाद की टीम ने किया। जीआरपी जवानों ने रेलवे में परमानेंट नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं को ठगने और गैंग चलाने वाले कोच अटेंडेंट सुपरवाइजर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया।

मिल जाएगी पक्की नौकरी

रेलवे ने ट्रेनों के एसी कोच में कोच अटेंडेंट की तैनाती का काम ठेके पर दे रखा है। इलाहाबाद में कोच अटेंडेंट सप्लाई का ठेका धरन इंटरप्राइजेज और पीयूष ट्रेडर्स को दिया गया है। बस यहीं से भर्ती के नाम पर ठगी का खेल शुरू हो गया। कुछ दलाल यह कहकर युवाओं से हजारों रुपये ठगने लगे कि कुछ महीने कोच अटेंडेंट के रूप में कैजुअल काम कराने के बाद रेलवे में पक्की नौकरी मिल जाएगी।

दर्ज कराई शिकायत

कुछ दिन पहले चार युवकों ने जीआरपी में शिकायत दर्ज कराई कि रेलवे में परमानेंट नौकरी के नाम पर उनसे 15 से 20 हजार रुपये ठगे गए। नौकरी नहीं मिली। युवकों की शिकायत पर जीआरपी इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह ने जांच शुरू की तो हकीकत सामने आई। उन्होंने चार लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें प्रवीण कुमार निवासी दामोदर नगर थाना बर्रा कानपुर, आशीष वर्मा निवासी विश्व बैंक कालोनी थाना बर्रा कानपुर शामिल हैं। पूछताछ में पता चला कि भर्ती के नाम पर ठगी का खेल ठेकेदार के सुपरवाइजर अमित सोनकर पुत्र रामचन्द्र सोनकर निवासी भुसौली टोला थाना खुल्दाबाद इलाहाबाद के जरिए हो रहा था।

कितना मिलता है कोच अटेंडेंट को

ठेके की शर्त के अनुसार एक कोच अटेंडेंट को एक बार जाने और आने का एक हजार रुपये दिए जाता है। एक कर्मचारी को महीने में आठ से दस बार ट्रेन में भेजा जाता है। कोच अटेंडेंट ने बताया कि पूरा पैसा नहीं दिया जाता है।

इलाहाबाद जंक्शन से चलने वाली सभी ट्रेनों में कोच अटेंडेंट ठेकेदार के ही कर्मचारी होते हैं। इसमें दूरंतो के आठ, लिंक एक्सप्रेस के लिए 12, संगम के लिए चार, जयपुर मथुरा के लिए 14, नौचंदी के लिए दो और हरिद्वार के लिए दो कर्मचारी रखे गए हैं।