सेलेक्शन प्रक्रिया में धांधली को लेकर कई प्रार्थियों ने आरटीआई से मांगे जवाब

यूनिवर्सिटी ने आज तक नहीं दिया किसी भी आरटीआई का जवाब

शासन ने भी यूनिवर्सिटी से मांगा दिव्यांगों के कोटे का हिसाब

Meerut. सीसीएसयू की वैकेंसी में दिव्यांगों के कोटे को लेकर आखिर क्यों यूनिवर्सिटी बार-बार ठेंगा दिखा रही है, ये एक बड़ा सवाल बन गया है. स्टूडेंट्स ने भी इस संबंध में कई बार आरटीआई से जवाब मांगा, लेकिन यूनिवर्सिटी ने इसका कोई जवाब नहीं मिला. यूनिवर्सिटी में हाल ही में सेल्फ फाइनेंस के लिए कई नियुक्तियां हुई, लेकिन उनमें भी दिव्यांगों को जगह नहीं दी गई. इस बाबत शासन ने भी यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है.

आरटीआई से मांगा जवाब

इस मामले में प्रार्थी देवेंद्र हुण ने भी एक साल पहले 7 मई 2018 को एक आरटीआई के माध्यम से जवाब मांगा था. उन्होंने 2015 से लेकर 2018 तक की नियुक्तियों व संबंधित आरक्षण व कास्ट के बारे में जानकारी मांगी थी. मगर एक साल बीत जाने के बाद भी इस बाबत कोई जवाब नहीं आया. हालांकि, जवाब न देने पर कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई तो हुई मगर वो भी केवल खानापूर्ति मात्र थी. जिसके बाद दो माह पहले एक बार फिर स्टूडेंट देवेंद्र व दीपक ने इस संबंध में आरटीआई के तहत जबाव मांगा लेकिन यूनिवर्सिटी की तरफ से फिर कोई जवाब नहीं आया. जिसके बाद गुरुवार को स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रार व प्रोवीसी से मिलकर आरटीआई के संबंध में जवाब मांगा लेकिन दोनों ही अधिकारियों ने मामले से पल्ला झाड़ लिया.

शासन ने भी मांगा जवाब

हाल ही में शासन ने भी संबंधित सभी सरकारी यूनिवर्सिटी से चार प्रतिशत दिव्यांगों के कोटे को लेकर जवाब मांगा है. जिसका यूनिवर्सिटी ने कोई जवाब नहीं दिया है. कारण वहां खलबली मची हुई है कि आखिर वो इसका जवाब कैसे दे और क्या दें, उधर आलाधिकारी ये कहकर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं कि जवाब तैयार हो रहा.

दिव्यांग के लिए नो पोस्ट

सेल्फ फाइनेंस में फरवरी में लगभग 20 पोस्ट पर इंटरव्यू हुए थे. जिसमें कोटे के हिसाब से ओबीसी की 4 पोस्ट, एससी की 4 व एसटी की 4 से 5 पोस्ट हैं. इंटरव्यू 27 फरवरी से शुरु होकर छह मार्च तक चले और सभी 20 पोस्ट पर केटेगरी वाइज सलेक्शन हुआ. मगर ताज्जुब की बात ये है कि इनमें से एक भी पोस्ट पर कोटे के तहत एक भी दिव्यांग की भर्ती नहीं हुई. इतना ही नहीं विज्ञापन में हर कोटे व कास्ट का जिक्र था केवल दिव्यांगों के आरक्षण का जिक्र नहीं था.

रेगुलर में है ये हाल

यूनिवर्सिटी में रेगुलर में टीचिंग स्टाफ में एसोसिएट प्रोफेसर की पोस्ट पर 14, प्रोफेसर की पोस्ट पर 36 और असिस्टेंट प्रोफेसर की पोस्ट पर 19 टीचर काम कर रहे हैं, जिनका इसी साल सिलेक्शन हुआ है. इनमें पांच से छह एसी व एसटी कोटे से हैं जबकि पांच ही ओबीसी व जनरल कैटेगरी के हैं. इसके अलावा रेगुलर स्टाफ की बात करें तो मात्र एक ही दिव्यांग मैथ्स डिपार्टमेंट में विजुअल हैंडीकेप कैटगरी में कार्यरत है, जिसका सलेक्शन 2015 में ही हुआ था. वहीं जनरल कोटे से एक्सीडेंटल हैंडीकेप केटेगरी में एक सलेक्शन हुआ था.

यहां भी नहीं जगह

अगर बात करें नॉन टिचिंग स्टाफ तो उसमें डेलीवेज पर लगभग 450 कर्मचारी हैं. जिनमें मात्र चार ही हैंडीकेप हैं, वहीं परमानेंट स्टाफ की बात करें तो 500 का स्टाफ है, जिनमें चार ही कर्मचारी दिव्यांग हैं. वहीं तीन साल से कांट्रेक्ट बेस पर 80 के आसपास कर्मचारी है, जिनमें एक भी दिव्यांग नहीं है.

क्या कहता है नियम

अधिनियम 1995 के तहत भारत सरकार ने सरकारी नौकरी में दिव्यांगों को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया है. हालांकि यह पहले दो के आसपास था, लेकिन नया बिल पास होने के बाद इसे 4 प्रतिशत कर दिया गया. इसके तहत ही शासन ने सभी यूनिवर्सिटीज से दिव्यांग कोटे पर भर्ती से संबंधित जवाब मांगा है.

कई दिव्यांगों ने दिया इंटरव्यू

इस साल सेल्फ फाइनेंस में टीचिंग और नॉन टीचिंग समेत कई पोस्ट के लिए 27 से 6 मार्च 2019 के बीच यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू लिए गए थे. जिसमें कई दिव्यांगों ने भी इंटरव्यू दिया मगर एक भी दिव्यांग का सलेक्शन नहीं हुआ. इन पोस्ट पर जनरल व ओबीसी के लिए 500 रुपये, एसटी व एससी के लिए 300 रूपये के हिसाब से ड्रॉफ्ट फीस ली गई थी. सवाल ये है कि जब सलेक्शन पहले ही तय तो इतना बड़ा तामझाम क्यों करना पड़ा? दरअसल, यूनिवर्सिटी ने ड्राफ्ट के सहारे एक-एक पद पर कई-कई लोगों से ड्रॉफ्ट लिए गए.

कैटेगरी का हवाला

वीसी के अनुसार चार प्रतिशत कोटा कैटगरी वाइज होता है. एक कैटगरी में अधिक सीट होने पर ही दिव्यांगों को चार प्रतिशत कोटा मिलेगा, जबकि पोस्ट की एड में ओबीसी, एसी, एसटी, जरनल सभी कैटगरी का जिक्र था, केवल दिव्यांग का नहीं. इससे पहले हुई भर्तियों का हिसाब भी देखा जाए तो कोटे के हिसाब से दिव्यांग इक्का-दुक्का ही हैं.

किसी एक विभाग में अगर कैटगरी वाइज ज्यादा पोस्ट होती है, तभी तो कोटे की बात होती है, जब पोस्ट ही एक या दो हो तो कैसे सेलेक्शन कर सकते हैं. सब नियमों के अनुसार ही हुआ है.

प्रो. एनके तनेजा

वीसी, सीसीएसयू

मेरी नॉलेज में तो ऐसे कम ही आरटीआई है जिनका जवाब नहीं दिया गया हो, वैसे भी ये वेकेंसी का मामला हमारी अथॉरिटी में नहीं है इसलिए इसके बारे में कुछ कह नहीं सकते हैं.

डॉ. वीपी कौशल, कार्यवाहक रजिस्ट्रार, सीसीएसयू

आरटीआई का जवाब क्यों नही देते इसके बारे में पूछा जाएगा. बाकी जहां मेरे सामने इंटरव्यू हुए हैं, उसमें कोई दिव्यांग आया ही नहीं. मैनें कोई अपाइंटमेंट फाइनल नहीं किए हैं ये मेरी अथॉरिटी नहीं है इसलिए कुछ नहीं बोल सकती. शासन ने जो जवाब तलब किया है उसे तैयार किया जा रहा है, जल्द भेज दिया जाएगा.

प्रो. वाई विमला, प्रोवीसी, सीसीएसयू

कहते है प्रार्थी..

मैनें इंटरव्यू दिया लेकिन मेरा सलेक्शन नहीं हुआ. ऐसे और भी दिव्यांग थे, जिनका इंटरव्यू हुआ, मगर सिलेक्शन एक का भी नहीं हुआ. इवेन ये तक पहले से पता लग गया था कि किसका सलेक्शन होना है. जिसका जिक्र मैंने तो इंटरव्यू पैनल से भी कर दिया था. दिव्यांगों के सलेक्शन के मामले पर मैं कई बार आरटीआई डाल चुका हूं. एक साल पुरानी आरटीआई का जवाब आज तक नहीं मिला है. इस बार भी मैंने आरटीआई डाली है.

देवेंद्र हुण, प्रार्थी दिव्यांग

बड़ी विडंबना की बात है कि कोटा निर्धारित होने के बावजूद दिव्यांगों के लिए कोई नौकरी नहीं है. आरक्षण के नाम पर जातियों के कोटे होते है, लेकिन विज्ञापन में दिव्यांग का कहीं जिक्र तक नहीं होता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ है, ये सब धांधलेबाजी है.

दीपक,प्रार्थी, दिव्यांग