- लोअर सबऑर्डिनेट 2008 एवं 2009 परीक्षा के अंतिम चयन पर उठे सवाल
- यूपीपीएससी प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के हाथ लगे साक्ष्य, हाईकोर्ट में दाखिल होगी जनहित याचिका
ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की कम्बाइंड लोअर सबआर्डिनेट परीक्षा 2008 एवं 2009 के अंतिम चयन पर सवालिया निशान लग गया है। प्रतियोगियों का आरोप है कि इस भर्ती परीक्षा में चयन के लिए एक जाति विशेष के अभ्यर्थियों को वरीयता दी गई है। इसके अलावा स्केलिंग की आड़ में नम्बरों को घटाने बढ़ाने में भी खेल किया गया। इसे खफा प्रतियोगियों ने दोनों ही परीक्षाओं को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है।
चहेतों के लिए गोलमाल
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने दावा किया है कि उनके हाथ कुछ परीक्षार्थियों के ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जिससे यह जाहिर होता है कि दोनों परीक्षाओं में चहेतों के चयन को वरियता दी गई है। इसके लिए सारे नियम कानून ताक पर रख दिए गए। लोअर 2009 में अंतिम चयन से वंचित छात्र विजय आनंद ने आयोग के सचिव व परीक्षा नियंत्रक को भेजे गए ज्ञापन में कहा है कि उन्हें साक्षात्कार समेत कुल अंक 267.37 मिले हैं। इस लिहाज से उनका चयन स्था। निधि लेखा परीक्षा विभाग में लेखा परीक्षक के पद होना चाहिए था।
इन्होंने लगाया है आरोप
- विजय का कहना है कि लेखा परीक्षक का कट ऑफ 247.33/243.80 है। जबकि उन्हें मिला अंक कट ऑफ से करीब बीस अंक अधिक है, फिर भी उनका सेलेक्ट न किया जाना समझ से परे है। विजय का रोल नम्बर 098136 है।
- अभ्यर्थी अजीत कुमार सिंह का भी कहना है कि उन्हें लोअर 2009 में अंतिम रूप से कुल 268.9 अंक मिले। लेकिन उनका भी चयन लेखा परीक्षक की कट ऑफ के तहत नहीं किया गया। अजीत का रोल नम्बर 080678 है।
- 2009 की परीक्षा में डीएफएफ कोटे के अभ्यर्थी उमेश चन्द्र पांडेय का कहना है कि उन्हें 247.45 अंक मिले। उनका चयन हाट निरीक्षक में होना चाहिए था। लेकिन नहीं हो सका। जबकि हाट निरीक्षक की न्यूनतम कट ऑफ 207.43 निकाली गई है। उमेश का रोल नम्बर 052556 है।
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स्केलिंग की आड़ में फिर खेल
समिति की बैठक में बताया गया कि तीनों ही परीक्षार्थियों के बीच एक बात गौर करने वाली है कि उन्हें चयन से बाहर करने के लिए इंटरव्यू में बेहद कम अंक दिए गए हैं। मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय का कहना है कि दोनों ही परीक्षाओं में एक जाति विशेष के सफल अभ्यर्थियों को 50 नम्बर के इंटरव्यू में 30 से 35 अंक तक दिए गए हैं। जबकि चहेतों के अंकों को आप्शनल पेपर में स्केलिंग की आड़ में मनमाने ढंग से बढ़ाया गया है। जबकि कईयों के अंक घटा दिए गए हैं। आरोप है कि दोनों ही परीक्षाओं की मार्कशीट जारी करने में काफी लेट इसलिए किया गया, जिससे सफल अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग में पेंच न फंस सके।