- साइकियाट्री और माइक्रोबायोलॉजी की खाली सीट होने पर भी सेकंड काउंसिलिंग में नहीं दी जानकारी

- केजीएमयू के रजिस्ट्रार ऑफिस में तैनात बाबू अनिल अवस्थी भूमिका संदिग्ध

- डीजीएमई ने केजीएमयू के साथ कानपुर, गोरखपुर और झांसी मेडिकल कॉलेजों को जारी की नोटिस

LUCKNOW :

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू)) में मेडिकल पीजी सीट्स एडशिमन में बड़ा घोटाला सामने आया है। महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डीजीएमई को मिली शिकायत के बाद केजीएमयू को नोटिस जारी कर दिया गया है। ये सभी सीटें ऑल इंडिया कोटे की हैं जिन्हें सेकंड काउंसिलिंग के बाद स्टेट कोटे से भरा जाना था, लेकिन केजीएमयू सहित दो अन्य कॉलेजों ने सीटों पर एडमिशन ही नहीं दिया। जिससे अभ्यर्थी इन पर प्रवेश पाने से वंचित रह गए। केजीएमयू के साथ ही कानपुर, गोरखपुर और झांसी मेडिकल कॉलेजों में बडी हेराफेरी की बात सामनेआई है।

डीजीएमई से शिकायत

पीजी में एडमिशन के अभ्यर्थी डॉ। राकेश कुमार ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से ईमेल भेजकर शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें कहा गया है कि केजीएमयू समेत इन कॉलेजों में खाली सीटों को दूसरे चरण की काउंसिलिंग में शामिल नहीं किया गया। जिससे अभ्यर्थियों को इन पर एडमिशन से वंचित होना पड़ा। वहीं कुछ सीटों पर जानबूझकर एक सीट पर दो-दो कंडीडेट को एडमिशन दे दिया गया। ये गड़बिड़यां केजीएयमू के साथ गोरखपुर, कानपुर और झांसी मेडिकल कॉलेजों में की गई हैं।

केजीएयमू के पीजी सेक्शन के इंचार्ज पर आरोप

महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ। केके गुप्ता ने पत्र भेज कर कहा है कि केजीएमयू में तैनात यूजी पीजी सेक्शन के इंचार्ज अनिल अवस्थी ने एडमिशन में बड़ी लापरवाही बरती है। बार-बार काउंसिंलिंग के लिए अलग-अलग सीटों की संख्या भेजी गई। जिसके कारण काउंसिलिंग में देरी हुई। दूसरी काउंसिलिंग से पहले अनिल अवस्थी ने 10 सीटें खाली होने की जानकारी दी और उसी दिन 4 मई को दो और सीटे खाली होने की जानकारी देरी। एमएस सर्जरी में डॉ। अपराजिता को एडमिशन दिखाया गया। मापअप राउंड की काउंसिलिंग में ये सीट खाली दिखा दी गई। ऐसे ही डॉ। श्रुति वर्मा और डॉ। शिवांगी डांगर को भी त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया। जबकि दूसरे राउंड में त्यागपत्र देने पर 5 लाख बांड धनराशि देनी होती है। यही नहीं एमडी साइकियाट्री की सीटों पर प्रवेश नहीं दिया गया।

कोटे का गलत इस्तेमाल

शिकायतकर्ता ने कहा है कि एक ऐसे अभ्यर्थी को पीएमएस के कोटे की सीट दे दी गई। जो इसके लिए एलिजबल ही नहीं था। आरोप है कि उत्तर प्रदेश राज्य पीजी राउंड 2 की काउंसिलिंग में अभ्यर्थी निकुंज मेंहदीरत्ता रोल नंबर 1805037132 को लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में स्टेट कोटें से सीट आवंटित कर दी गई। जबकि वह दिल्ली के यूनिवर्सिटी कॉलेज आफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस हैं और यूपी के पीएमएस संवर्ग में भी नहीं आते जिससे वह स्टेट कोटे के हकदार नहीं है। इससे साबित होता है कि सीटों के आवंटन में बड़ी साजिश के प्रयास किए जा रहे है।

एक सीट पर दो को एडमिशन

पीजी एडमिशन में गड़बड़ी इस लेवल तक की गई है कि एक सीट पर दो-दो अभ्यर्थियों को एडमिशन दे दिया गया। एक कंडीडेट आयुषी भारतिया को एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में एमएस की सीट आवंटित हुई थी। सेकेंड राउंड में सीट अपग्रेड कर जीएसवीएम कानपुर में सीट आवंटित कर दी गई। आल इंडिया कोटे से रिवर्ट होकर एक सीट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की आई थी लेकिन इस सीट पर दो-दो को एडमिशन दे दिया गया। मामला सामने आने पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन बैकफुट पर आ गया और आयुषी भरतीया को बताया कि उनका एडमिशन गलती से हो गया है।

ऑल इंडिया से रिवरटेड इन सीटों पर नहीं दिया एडमिशन

कॉलेज विभाग खाली सीट एडमिशन

केजीएमयू साइकियाट्री 2 0

जीएसवीएम एमडी टीबी एंड चेस्ट 1 0

डीजीएच 2 0

बीआरडी गोरखपुर एमडी आब्स एंड गाइनी 4 3

एमडी एनेस्थ्ीसिया 3 2

एमएलबी झांसी डीएलओ 1 0

करोड़ बिकती है सीट

चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में अब तक ऐसी एक एक सीट एक से डेढ़ करोड़ में बिकती रही हैं। सरकारी कॉलेजों में बैकडोर से एंट्री के लिए अभ्यर्थी इससे भी अधिक चुकाने को तैयार रहते हैं। शायद यही कारण है कि केजीएमयू समेत कई कॉलेजों में अभ्यर्थी बाबुओं के साथ मिली भगत करके एडमिशन पाने की फिराक में रहते हैं।

सेकंड काउंसिलिंग से पूर्व कॉलेजों को रिक्त सीटों की जानकारी देनी होती है, लेकिन केजीएमयू, कानपुर और अन्य मेडिकल कॉलेजों ने बड़ी लापरवाही बरती है। जिसमें उनसे आख्या मांगी गई है।

- डॉ। केके गुप्ता, डीजीएमई