Lucknow: राजकीय गोविंद वल्लभ पंत पॉलीटेक्निक में कम्प्यूटर ट्रेड नहीं हैं। इसके बावजूद 70 कम्प्यूटर खरीद लिए गए। लाखों रुपए के कम्प्यूटरों पर कोई काम करने वाला ही नहीं है। वाटर कूलर भी खरीदे गए, लेकिन दो साल में वह आज तक नहीं चालू हो सके। दो साल पहले 1 करोड़ 16 लाख 40 हजार रुपए का बजट तो स्वीकार हो गया, लेकिन तब से आज तक न तो पॉलीटेक्निक में कोई मशीन खरीदी गई और न ही उपकरण। पुरानी मशीनों पर ही यहां के स्टूडेंट वर्कशॉप में काम कर रहे हैं.
स्टूडेंट्स की सहूलियत के नाम पर यहां 160 पंखे भी लगाए जाने थे, लेकिन वह भी नहीं लग सके। यहां पढऩे वाले 360 स्टूडेंट्स के करयिर घोटाले की धूल मेंं गुम होता नजर आ रहा है क्योंकि खरीद-फरोख्त के नाम पर यहां करोड़ों रुपए का घोटाला उजागर हुआ है.
दो साल में नहीं खरीदी मशीन
एससी, एसटी और बैकवर्ड क्लास को टेक्निकल एजूकेशन देने के लिए मोहान रोड पर राजकीय गोविंद वल्लभ पंत पॉलीटेक्निक की स्थापना 1965 में हुई थी। यह समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित है। संस्था में एससी, एसटी के 70 प्रतिशत, अन्य पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के  3 प्रतिशत स्टूडेंट एजूकेशन लेते हैं.
वर्ष 2009 में प्राविधिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति एवं संस्था के टेक्निकल स्टाफ की ओर से संस्था की लैब और वर्कशॉप के सामान आदि की खरीद के लिए एक प्रपोजल यूपी गवर्नमेंट को भेजा गया था। सरकार ने इसके लिए 1 करोड़ 16 लाख 40 हजार रुपए का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। शासन ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक मिश्री लाल पासवान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया.
प्राविधिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र प्रसाद, समाज कल्याण निर्माण निगम के अधिशासी अभियंता राजीव सिन्हा, तत्कालीन पॉलीटेक्निक के प्रिंंिसपल समिति के मेम्बर थे। समिति को शासन से अनुमोदित सूची के अनुसार मशीन, नवीन उपकरण आदि खरीदने थे, लेकिन समिति ने मनमाने तरीके से पैसा उड़ाया।
फेल हुआ एजूकेशन सिस्टम
सूची के मुताबिक जो खरीद की जानी थी वह नहीं की गई। दो साल बीतने के बाद भी कोई भी मशीन और उपकरण नहीं खरीदा गया। पॉलीटेक्निक में शैक्षिक सत्र जुलाई से शुरू होता है। लेकिन पिछले पांच महीने में यहां का एजूकेशन सिस्टम फेल हो चुका है। इन सभी अनियमितताओं की शिकायत आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस संबंध में कम्प्लेन भी की थी। समाज कल्याण के उपनिदेशक सरोज प्रसाद ने यहां का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट में इसका हवाला दिया।
खरीदे दूसरे उपकरण
निरीक्षण में यह पाया गया कि संस्था की लैब और वर्कशॉप को आधुनिक रूप से सुसज्जित करने और नए उपकरण/ मशीन क्रय करने के लिए 164 लाख रुपए का प्रपोजल भेजा गया था। जिससे 116.40 लाख रुपए की धनराशि वर्ष 2009 में संस्था को एलॉट की गई लेकिन इस एमाउंट का व्यय वर्कशॉप के उच्चीकरण एवं मशीन/ उपकरण के क्रय करने पर नहीं किया गया और प्रस्ताव के अलावा दूसरे उपकरण खरीद लिए गए.
ऐसे हुआ पैसे का दुरुपयोग
वाटर कूलर-संस्था ने 6 वाटर कूलर खरीदे गए और जब से खरीदे गए वह काम ही नहीं कर रहे हैं। उसकी क्वालिटी खराब है। वह किस ब्रांड के हैं और किस कंपनी के, यह भी पता नहीं चल सका।
कम्प्यूटर- संस्था में एचपी कंपनी के श्रीटॉन इंडिया लिमिटेड से 70 कम्प्यूटर खरीदे गए। जब निरीक्षण किया गया तो 12 कम्प्यूटर के साथ यूपीएस ही नहीं थे। हैरत की बात तो यह है कि संस्था में कम्प्यूटर ट्रेड भी नहीं है। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में कम्प्यूटर खरीद कर कम्प्यूटर लैब बना दी गई। यह सामान खरीदने की वजह से वर्कशॉप और लैब की स्थिति जीर्ण है।
कैमेस्ट्री लैब- इस लैब के लिए न तो कोई सामग्री और ना ही उपकरण खरीदे गए और न ही लैब की फाउंडेशन की मरम्मत कराई गई। यहां की लैब की हालत इतनी खराब है कि यहां कभी भी हादसा हो सकता है। आश्चर्य की बात है कि ऐसी हालत होने के बाद भी 2009 से अब तक इसकी रिपेयरिंग नहीं कराई गई।
पैटर्न वर्कशॉप- पैटर्न वर्कशॉप में कोई भी मशीन और उपकरण नहीं खरीदे गए। फिटिंग शॉप में भी कोई मरम्मत नहीं कराई गई।
फांउड्री वर्कशॉप- फाउण्ड्री वर्कशॉप में रा मैटेरियल उपलब्ध कराया गया, लेकिन वर्कशॉप की रिपेयरिंग नहीं कराई गई। वर्कशॉप की दीवारें अत्यंत जर्जर हो चुकी हैं। दीवारें भी बहुत गंदी हैं। वर्कशॉप में पानी टपकने से सीलन आ गई है।
मशीन वर्कशॉप- इसमें 5 मशीनें खरीदी गई हैं, लेकिन उनका इंस्टालेशन अभी तक नहीं कराया गया है। इसकी वजह से मशीनें बेकार पड़ी हैं।
हाइड्रोलिक्स वर्कशॉप- इसकी स्थिति भी ठीक नहीं है।
विद्युत वर्कशॉप- यहां दीवारें बहुत गंदी हैं। बारिश में कई जगह से पानी टपकता है.
जांच में सामने आया सच
समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक सरोज प्रसाद ने अपनी जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि 116.40 लाख रुपए की आवंटित धनराशि से प्रस्तावित कार्य, मशीन और उपकरण नहीं खरीदे गए। इस संबंध में कई बार तत्कालीन प्रधानाचार्य से पूछताछ की गई। उन्होंने बताया कि संबंधित सामान, मशीन और उपकरण खरीदे जा रहे हैं लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर है।
संस्थान के सभी भवनों की मरम्मत, रंगाई-पुताई, बिजली मेंटीनेंस और संस्थान में वाटर सप्लाई के लिए नए ट्यूबवेल और टंकी के निर्माण के लिए विभाग ने उप्र समाज कल्याण निर्माण निगम को करीब 13 करोड़ की धनराशि दी गई, उसका भी सही उपयोग नहीं किया गया। ज्यादातर काम अधूरे ही हैं। इसके अलावा पानी की टंकी मं लीकेज और वाटर सप्लाई लाइन में जगह-जगह लीकेज की समस्या पाई गई।
नहीं लगे पंखे
संस्थान के अम्बेडकर हॉस्टल में 160 छत के पंखे लगने थे लेकिन भी पंखा निर्माण निगम ने नहीं लगवाया। यहां केवल पुराने 16 पंखे ही लगे हैं और हॉस्टल सुपरिटेंडेंट ने बताया कि 15 पंखे चोरी हो गए हैं। समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक ने इसके प्रामाणिक सत्यापन के लिए एक समिति का गठन करने के निर्देश दिए हैं.
जिसमें सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सदस्यों को शामिल किया जाए और 2009 में प्राप्त एमाउंट से खरीदी  गई मशीनें, उपकरण और समाज कल्याण निर्माण निगम द्वारा कराए गए कार्यों का सत्यापन समिति से कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि संस्था के प्रस्ताव के मुताबिक खरीद-फरोख्त नहीं की गई है और 116.40 लाख रुपए की धनराशि का जमकर दुरुपयोग किया गया है।

Reported By : Ritesh dwivedi