- पीएम मुद्रा लोन व आवास योजना के नाम पर ठगी करने वाले गैंग की एक महिला समेत कुल तीन लोग गिरफ्तार, कइयों को लगा चुके हैं लाखों का चूना

- साइबर सेल ने नोएडा से किया गिरफ्तार, गैंग से जुड़े हैं डेढ़ सौ से अधिक लोग, कई राज्यों में फैला है इनका जाल

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

प्रधानमंत्री मुद्रा लोन व प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर लोगों से जालसाजी कर लोगों को चूना लगाने वाले एक अंतरराज्यीय गैंग के संचालक समेत तीन लोगों को वाराणसी क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने नोएडा से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्तों में दिल्ली के सुल्तानपुरी में रहने वाली महिला सरोज गर्ग भी है जिसके पति की हत्या हो चुकी है। पकड़े गए अन्य लोगों में गैंग संचालक भूपेंद्र कुमार उर्फ मास्टर साहब निवासी नोएडा सेक्टर 12, मोहम्मद वारिस निवासी पुराना हैबतपुर गौड़ सिटी चौक, नोएडा है। गिरफ्तारी के दौरान इनके पास से मोबाइल और सिम भी बरामद हुए हैं।

सिगरा में पीडि़त ने कि थी शिकायत

सिगरा के आदित्य नारायण को पिछले साल दिसंबर माह में एक कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत सुनील तिवारी बताया। कहा कि पीएम मुद्रा लोन योजना के तहत आपको लोन की जरूरत है क्या? हां बोलते ही फोन करने वाले ने तमाम प्रक्रिया समझाते हुए एक फॉर्म भेजा। फॉर्म के साथ ही पहली किस्त के रूप में एक ब्लैंक चेक मांगा। आदित्य नारायण ब्लैंक चेक के मामले थोड़ा झिझके लेकिन फोन करने वाले ने झांसे में ले लिया। चेक के माध्यम से पचास हजार रुपये निकलने की जानकारी पर आदित्यनारायण ने दोबारा फोन किया तब बताया गया कि आपका लोन से संबंधित फॉर्म प्रक्रिया में हैं, तीस हजार रुपये और लगेंगे। आदित्यनारायण ने आरटीजीएस के माध्यम से तीस हजार रुपये दे दिया। इसके बाद जब फिर तीस हजार रुपये की मांग की गई तो शक यकीन में बदल गया और आदित्यनारायण नोएडा पहुंचे फोन करने वाले की ओर से दिए गए पते पर सम्पर्क किया। वहां कोई नहीं मिला, फोन भी बंद हो गया। पीडि़त ने जनवरी 2017 में अज्ञात लोगों के खिलाफ सिगरा थाने में शिकायत की।

शासन तक पहुंचा मामला

प्रधानमंत्री के नाम पर ठगी का मामला संज्ञान में आते ही सरकार भी सक्रिय हो गई। आईजी की निगरानी में साइबर सेल की एक टीम लगाई गई। गुरुवार को एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि इस गैंग में लगभग सौ से डेढ़ सौ लोग जुड़े हैं। यहां तक की कुछ मोबाइल कंपनियों में काम करने वाले भी इनके संपर्क में थे जो सिमकार्ड दिलाने में मदद के साथ ही टेलीकॉलर की भूमिका भी निभाते थे। ये दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद के स्लम एरिया में अपना ठिकाना बनाए थे। गैंग में हर भाषा से जुड़े लोग शामिल हैं। फर्जी आईडी के जरिए ये सिम खरीदकर लोगों को निशाना बनाते थे और काम पूरा होने के बाद सिम फेंक देते थे। जिसको ये निशाना बनाते, उससे उसी की भाषा में बातचीत करते थे। गैंग संचालक भूपेंद्र ही सुनील तिवारी बनकर लोगों से बातचीत करता था। यदि किसी फर्जीवाड़े का खुलासा होता तो ये ठिकाना बदल देते थे। पूछताछ में पता चला कि इन लोगों के देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों को मुद्रा लोन व आवास योजना में आवास का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी कर चुके हैं।