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PATNA : बच्चा नालंदा के गरीब अंडा बेचने वाले का बेटा है। जब वह सुपर 30 में एडमिशन के लिए आया तो उसे कमजोर कहकर रामानुजम में पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन जब वह आईआईटी क्वालिफाई कर गया तो उसकी गरीबी के दर्द को बेचने के लिए सुपर 30 का पोस्टर ब्वाय बना दिया गया। यही नहीं इस बच्चे का 2017 जेईई के हैंडिकेप कैटेगरी में 73 रैंक आया था लेकिन आनंद ने उसे ऑल इंडिया में 73 रैंक बता डाला।

पोस्टर के पीछे का सुपर झूठ

अंडा बेचने वाले के बेटे अरबाज की दर्दनाक कहानी ने आनंद को दुनिया में हीरो बना दिया लेकिन अब इस कहानी की सच्चाई सामने आई है। अरबाज सुपर 30 में 30 सेकेंड भी नहीं रहा है। हमें एक ऐसा एक्सक्लूसिव वीडियो मिला है जिसमें उसके परिवार ने सुपर झूठ की पोल खोल दी है। परिजनों के मुताबिक अरबाज का एडमिशन रामानुजम क्लासेस में यह बोलकर किया गया था कि तैयारी बेहतर होगी तो सुपर 30 में उसका सेलेक्शन हो जाएगा। सुपर 30 में जब उसका सलेक्शन नहीं हुआ तो उसने आनंद कुमार से सवाल सीधे सवाल किए। इस पर उसे वहां से भगा दिया गया।

20 हजार के लिए आनंद ने दौड़ाया और विद्यानंद ने की मदद

अरबाज के घर वालों से बातचीत के वीडियो में एक बड़ा मामला सामने आया है जिसकी पुष्टि भी हुई है। मामला है मदद के लिए दौड़ाने का। वीडियो में कहा गया है कि अरबाज को काउंसलिंग की फीस के लिए 20 हजार की जरुरत थी। इसके लिए वह आनंद कुमार के पास 5 से 6 बार गए लेकिन मदद नहीं मिली। वह निराश हो गए थे लेकिन रामानुजम क्लासेस के पास ही हॉस्टल चलाने वाले विद्यानंद ने अरबाज की मदद की। अरबाज बॉम्बे आईआईटी में इंजीनियरिंग कर रहा है। विद्यानंद ने इसकी पुष्टि करते हुए आनंद पर आरोप लगाया है कि अरबाज सुपर 30 में 30 सेकेंड भी नहीं पढ़ा है और उसे पब्लिक को धोखा देकर पोस्टर ब्वाय बना दिया गया, लेकिन जब काउंसलिंग के लिए मदद मांगी तो उसे मदद तक नहीं की गई।

घर से की तैयारी और हो गया सेलेक्ट

वीडियो में अरबाज के परिजनों का दावा है कि सुपर 30 में सेलेक्शन नहीं होने पर वह भगा दिया गया था। इसके बाद उसने घर आकर तैयारी की। आनंद से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी को उम्मीद भी नहीं थी कि अरबाज मेंस में पास हो जाएगा। घर वालों ने वीडियो में बताया है कि एडवांस का रिजल्ट आने के बाद आनंद ने अरबाज से संपर्क किया और उसे अपने पास बुलाया। यही कारण है कि 2017 की सेलिब्रेशन पार्टी में अरबाज नहीं था लेकिन सुपर 30 की लिस्ट में उसे शामिल किया गया था।

झूठ से खड़ा हुआ बड़ा सवाल

- अगर सूर्यकांत, आदित्य और शेखर वर्ष 2017 में सफल हो गए तो फिर 2018 में उनका नाम क्यों दिया गया?

- रैंक सुधार के लिए किया गया तो फिर दोनों साल का रैंक बताया क्यों नहीं गया?

- अगर दोनों स्टूडेंट्स ने सुपर 30 में तैयारी की तो फिर कोटा में इनके स्थान पर कौन पढ़ाई कर रहे थे?

- दो बार रिजल्ट सेलिब्रेशन में शामिल होने वाले इन स्टूडेंट्स को क्यों नहीं कोई सरकारी कॉलेज मिला?

- स्टूडेंट्स को रिपीट करने के पीछे कहीं रैंक का खेल तो नहीं?

- कोटा में पढ़ने वाले बच्चों को दो बार सेलिब्रेशन में साथ रखना इसके बाद भी सफलता नहीं मिलने का क्या कारण है?

एक ही स्टूडेंट को दो बार बना दिया सुपर

आनंद ने 2017 और 2018 के सुपर 30 रिजल्ट में बड़ा खेल किया है। यह हम नहीं खुद आनंद की सेलिब्रेशन पार्टी में ली गई तस्वीर बोल रही हैं। डीजे आई नेक्स्ट के पास मौजूद दोनों तस्वीरों में झूठ साफ दिख रहा है। 2017 में आनंद का दावा था कि सुपर 30 के 30 स्टूडेंट्स ने सफलता हासिल की है। जश्न के माहौल में ली गई इस तस्वीर को आप आनंद के फेसबुक पेज पर भी देख सकते हैं। इस पार्टी में कोटा से पढ़ाई किए 4 स्टूडेंट दिख रहे हैं। इसमें से तीन स्टूडेंट सूर्यकांत, आदित्य और शेखर का नाम आनंद कुमार ने सफल स्टूडेंट्स में लिया था। अब 2018 का रिजल्ट आने के बाद सेलिब्रेशन पार्टी में भी शेखर और सूर्यकांत साफ दिखाई दे रहे हैं।

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