-फेक सर्टिफिकेट लगाकर बीपीएड में लिया था एडमिशन

- 420 की एफआईआर कराने की बजाय सम्मान देने की तैयारी

हॉफ कॉलम-वर्ष 2015-16 और 2016-17 में लगातार दो साल चला फर्जीवाड़ा

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फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर आरयू में एडमिशन लीजिएआपको डिग्री से खुद वीसी साहब नवाजेंगे। चोरी-फर्जीवाड़ा के जरिए कोई काम कराने को वीसी साहब गलत नहीं मानते हैं। यही वजह है कि उन्होंने बीपीएड में गलत तरीके से एडमिशन लेने वाले 70 स्टूडेंट्स को कमेटी की रिक्वेस्ट पर माफ कर दिया। वह भी मानवीयता के बिना पर। अब इसे वीसी साहब की मेहरबानी समझ लीजिए या फिर कुछ लोगों के हाथों की कठपुतली बन जाना, जिन्होंने लगातार दो वर्ष 2015-16 और 2016-17 में फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर आरयू व कॉलेजेज में एडमिशन कराया था। उनका काकस इतना तगड़ा है कि वीसी भी उनकी हां में हां मिला रहे हैं।

जांच के लिए दो बार बनी कमेटी

आरयू से संबद्ध कॉलेज में बीपीएड दो सत्र 2015-16 और 16-17 में 70 एडमिशन नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के मानकों पर सही नहीं निकले थे, जिसमें मीरगंज का आरपी डिग्री कॉलेज के सबसे अधिक एडमिशन थे, जिनको जांच कमेटी ने गलत ठहराया था। इसके बाद इन सभी स्टूडेंट्स को एग्जाम से रोक दिया गया। बाद में काफी मशक्कत के बाद सशर्त स्टूडेंट्स का एग्जाम कराने की परमिशन दी गई। आरयू कैंपस में ही एग्जाम कराया गया, लेकिन आरयू ने परिणाम को रोक दिया। आखिरकार, शिक्षा माफिया भारी पड़े और खेल करने के लिए मामले की जांच के लिए दोबारा एक और जांच कमेटी बनाई गई। कमेटी गठन के समय ही जैसा तय हो गया था, वैसी ही मनमाफिक रिपोर्ट भी टीम ने दी।

कड़ी कार्रवाई की थी सिफर् चेतावनीे

परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि जांच टीम ने फर्जी एडमिशन लेने वाले आरपी महाविद्यालय मीरगंज को मानवीय दृष्टिकोण का हवाला देते हुए राहत देने की बात कही है। वहीं दोबारा गलती करने पर कॉलेज की संबद्धता खत्म करने की भी चेतावनी दी है। शब्दों की जुमलेबाजी करते हुए वीसी और उनकी टीम ने कमेटी की बात को आंखें मूंदकर मान लिया और रिजल्ट की घोषणा कर दी।

परीक्षा नियंत्रक को बता रहे जिम्मेदार

इस पूरे फर्जीवाड़ा में निर्णायक की भूमिका निभाने वाले वीसी साहब का कहना है कि जो कुछ पूछना है परीक्षा नियंत्रक से पूछिए। जो भी कुछ किया गया है है कमेटी के फैसले के आधार पर किया गया है। हालांकि, वीसी जवाब देने में तिलमिला गए, जब उनसे पूछा गया कि फर्जीवाड़ा करने वाले स्टूडेंट्स पर 420 की एफआईआर कराने की बजाय उन्हें आप डिग्री दे रहे हैं।

एडमिशन न पाने वाले छात्रों की गलती क्या थी

फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर एडमिशन और फिर डिग्री पाने वाले स्टूडेंट्स की सफलता के बाद एक बड़ा सवाल उन 70 स्टूडेंट्स को लेकर उठ रहा है, जो ईमानदारी से टेस्ट दिए। एडमिशन से वंचित रह गए। इन स्टूडेंट्स के साथ मानवीयत की बात वीसी साहब क्यों नहीं कर रहे हैं।

बीपीएड एडमिशन में जो फर्जी सर्टिफिकेट से एडमिशन की जांच हुई तो एडमिशन निरस्त होने थे, लेकिन बाद में प्रेशर पड़ने पर एग्जाम की अनुमति दे दी। क्या यह सत्ता का दबाव नहीं है। जिससे हुनरमंद छात्रों का अहित हो रहा है। इसकी शिकायत राज्यपाल से करूंगा।

शिव प्रताप सिंह, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष आरयू

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फर्जी सर्टिफिकेट लगाने के बाद उन पर कार्रवाई नहीं होना गंभीर मामला है। इससे फर्जीवाड़ा करने वालों को शह मिलती है। इससे छात्रों का हित नहीं अहित है, क्योंकि इससे एडमिशन के पात्रों को तो मौका नहीं मिला, लेकिन फर्जीवाड़ा करने वालों को जरूर मौका मिला है। फर्जीवाड़ा करने वाले कॉलेज की भी संबद्धता खत्म होना चाहिए।

गजेन्द्र कुर्मी, सछास नेता

सवाल: फर्जीवाड़ा के चलते जो पात्र स्टूडेंट्स रह गए उनके साथ अन्याय क्यों

जबाव: जो स्टूडेंट्स पात्र होते हुए भी रह गए उनका कोई दोष नहीं लेकिन मामला मेरे समय का नहीं है।

सवाल:क्या फर्जीवाड़ा करने वालों को इससे शह नहीं मिलेगी।

जबाव: कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसके आधार पर ही एग्जाम और रिजल्ट जारी किया गया है।

सवाल: शपथ पत्र में लिखा होता है कि कोई तथ्य छिपाया या फर्जी पाए जाने पर एडमिशन निरस्त कर दिया जाए, इसके बाद एडमिशन निरस्त क्यों नहीं हुए।

जबाव: इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।

सवाल: किस आधार पर इनका एडमिशन सही ठहराया गया और रिजल्ट जारी कर दिया गया।

जवाब: जो उच्चाधिकारियों ने आदेश दिया मैंने तो वैसा ही किया।

सवाल: फर्जी एडमिशन को सही मानने के लिए किसको आधार बनाया गया।

जवाब: टीम ने रिपोर्ट सौंपी कि मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर इनका रिजल्ट जारी कर दिया जाए उसके बाद ही रिजल्ट जारी किया गया है।