करतूस: आउटसोर्स कर्मचारियों से काम लेते हैं पूरा, वेतन भुगतान आधा

स्वीपर, गार्ड जैसे पदों के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट, एडीए और नगर निगम ने हॉयर किए हैं कर्मचारी

ALLAHABAD: हेल्थ डिपार्टमेंट हो या इलाहाबाद विकास प्राधिकरण अथवा नगर निगम, हर विभाग में आउटसोर्स पर रखे गए कर्मचारियों को आधे से भी कम का भुगतान किया जा रहा है। आउटसोर्स एजेंसियों की यह करतूत खुली है श्रम विभाग की जांच में। इसे सीरियसली लेते हुए श्रम विभाग ने आठ जिम्मेदार फॅर्मो पर दस गुना जुर्माना ठोंक दिया है। इन सभी के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में वाद भी दाखिल कर दिया गया है।

जांच में सामने आया सच

आउट सोर्स कर्मचारियों के शोषण की शिकायतें बेहद कॉमन हैं। इसकी शिकायत मंडलायुक्त तक कर्मचारियों की ओर से लगातार पहुंचाई जा रही थी। इन कर्मचारियों को आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से सीएमओ ऑफिस, बेली हॉस्पिटल, एसआरएन हॉस्पिटल, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के साथ एडीए-नगर निगम ने हॉयर किया था। शिकायतों को नोटिस लेते हुए आयुक्त डा.आशीष गोयल ने एक जांच टीम गठित की थी। जांच में पाया गया कि सरकार सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन का भुगतान कर रही है और उन्हें आधे से भी कम धनराशि सैलरी के रूप में मिल रही है।

इन पर लगा दस गुना जुर्माना

जनसेवा समिति के रामगति

रामा इनफोटेक के जितेंद्र नाथ

एएन कपूर के हरीश कुमार

आल सर्विसेज ग्लोबल के योगेंद्र सिंह

श्री ट्रेवल्स एंड सर्विसेज के हरीकेश तिवारी

श्री सिस्टम के अनुज कुमार गुप्ता

श्री अंबिका टैक्नो सर्विसेज

करोड़ो रुपए की हेराफेरी

उप श्रमायुक्त एके सिंह के अनुसार कोई संस्था 50 तो कोई 100 तक कर्मचारियों को उपलब्ध करा रही थी। प्रत्येक का औसत 75 कर्मचारी माने जाएं तो 600 से अधिक कर्मचारियों का मामला बनता है। प्रत्येक को न्यूनतम मजदूरी 7300 रुपए दी जानी थी। जांच में पाया गया कि प्रत्येक मजदूर को औसत 3500 रुपए ही दिए जा रहे हैं। इस तरह से औसतन प्रत्येक कर्मचारी का 3800 रुपए आउटसोस एजेंसी की जेब में जा रहा था। सालभर का औसत निकालने पर यह हेराफेरी करोड़ों के आंकड़े को पार कर जाएगी। टाउम ड्यूरेशन को पैमाना बनाया जाय तो यह घोटाला और बड़ा हो सकता है।

सीडीओ ने पकड़ा था मामला

हाल ही में विकास भवन के ग्राउंड फ्लोर स्थित स्वच्छ निर्मल परियोजना के कार्यालय में ऐसा ही मामला सीडीओ सैमुअल पाल एन ने पकड़ा था। यहां के बाबू ने आउट सोर्सिग के तहत कर्मचारियों का अलग रजिस्टर बना रखा था। इतना ही नही, ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर एक माह से अबसेंट था। लेकिन, संबंधित बाबू ने उसका अलग से रजिस्टर बनाकर उपस्थिति दिखाकर उसका वेतन तक निकाल लिया। यह मामला सामने आया तो सीडीओ ने टीम बनाकर जांच बैठा दी। इसकी रिपोर्ट जल्द ही आने वाली है। विश्व बैंक की इस परियोजना में भी कर्मचारी आउटसोर्स किए गए हैं।

08 फर्मो के थ्रू आउटसोर्स किए गए थे कर्मचारी

7300 रुपए प्रत्येक कर्मचारी की दर से होता था भुगतान

3500 रुपए औसत ही मिलते हैं कर्मचारियों को

10 गुना जुर्माना लगा सभी आठ फॅर्मो पर तो हुआ खुलासा

कमिश्नर के आदेश पर जांच कराई गई है। संबंधित फर्मो द्वारा अपने कर्मचारियों को काफी कम पैसे दिए जा रहे थे। इन फर्मो पर दस गुना पेनाल्टी लगाई गई है। श्रम विभाग को विभागों की जांच कर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

एके सिंह,

उप श्रमायुक्त, इलाहाबाद