-ठगों का जाल मुख्यमंत्री कार्यालय तक

-निजी सचिव को पॉलिसी में मोटा मुनाफे का झांसा देकर 5 लाख ठगे

DEHRADUN: देवभूमि में फैले ठगों के जाल में मुख्यमंत्री के निजी सचिव भी फंस गए। एक प्राइवेट कंपनी की बीमा पॉलिसी की धनराशी वापस दिलाने के नाम पर ठगों ने उनको अलग अलग नंबर से कॉल कर रकम दोगुनी करने का झांसा दिया और खातों में भ्.क्फ् लाख रुपए जमा करा लिए। ठगी के शिकार सीएम के पीए ने साइबर थाने में इसकी शिकायत की।

यूं बिछाया ठगी का जाल

मुख्यमंत्री के पीए प्रकाश चंद उपाध्याय ने बताया कि कुछ समय पहले उन्होंने एक रिश्तेदार के जरिए निजी कंपनी की 70 रुपए की पॉलिसी कराई थी। इस पॉलिसी का नंबर बताकर क्म् अप्रैल से ख्9 जुलाई के बीच उनके पास अलग अलग नंबरों से पांच लोगों के कई कॉल्स आए। कॉल करने वालों ने अपने नाम ं प्रेम मल्होत्रा, नितिन यादव,जसवंत, मुरली और आरके त्यागी नाम बताए। इन लोगों ने पॉलिसी की रकम वापस दिलाने के नाम पर कॉलिंग शुरू की। फिर पॉलिसी में शेयर बाजार के अनुसार उछाल आने पर रकम दोगुना से अधिक हो जाने और अतिरिक्त निवेश पर अधिक मुनाफा का झांसा देकर अलग अलग समय पर कुल भ्.क्फ् लाख अलग अलग बैंक खातों में जमा करवा लिए। इसके बाद कॉल्स आना बंद हो गए और नंबर भी स्विच ऑफ आ रहे हैं।

फर्जी डिमांड ड्राफ्ट की फोटो भी

ठगों ने जालसाजी का ऐसा खेल रचा कि प्रकाश चंद उपाध्याय को रकम दो गुनी से भी ज्यादा हो जाने का विश्वास दिलाने के लिए भ् लाख रुपए से अधिक का एक डिमांड ड्राफ्ट की फोटो भी व्हाटसएप की। इस पर उन्हें विश्वास हो गया और उनके मांगने पर रूपए जमा कराते गए।

फर्जी रिसीवर का कॉल भी आया

जब प्रेमप्रकाश उपाध्याय ने कॉलर का डीडी नहीं मिलने की शिकातय की तो उनके पास दिल्ली से किसी व्यक्ति से कॉल आया। जिसने बताया कि डीडी गलती से उनके एड्रेस पर आ गया,जिसे वह वापस भेजा रहा है, अपना एड्रेस नोट कराए। इस पर प्रेमप्रकाश को यकीन हो गया और उन्होंने और पैसे भी जमा करा दिए।

आईटी एक्ट की धारा फिर भी जांच कोतवाली को

पूरे मामले में प्रदेश की पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठ गए हैं.मामले की कंप्लेन साइबर थाने में की गई थी। साइबर थाना पुलिस ने प्राइमरी जांच कर इसे धोखाधड़ी का मामला बताकर केस कोतवाली थाने में ट्रांसफर कर दिया। जबकि मामले में धोखाधड़ी की धारा ब्ख्0,क्ख्0 बी के अलावा म्म् आईटी एक्ट भी लगाई गई हैं। एफआईआर के मजमून में मोबाइल नंबर,टेलीफॉन कॉल्स और ईमेल का जिक्र है। साथ ही व्हाट्स एप नंबर पर भेजे गए फर्जी डिमांड ड्राफ्ट का जिक्र भी है।

7भ् हजार की पॉलिसी, गंवाए भ्.क्फ् लाख

प्रेम प्रकाश उपाध्याय जिस बीमा पॉलिसी के चक्कर में ठगे गए वह सिर्फ 7भ् लाख रुपए की थी। इसी पॉलिसी में प्रोफिट का झांसा देकर ठगों ने उनसे अलग अलग बार कॉल कर धोखाधड़ी से कुल भ् लाख क्फ् हजार फ्भ्0 रुपए जमा करा लिए।

जीपीएफ से रूपए निकाल कर जमा कराए: ठगों की जालसाजी के लिए इस्तेमाल की गई ट्रिक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रेमप्रकाश उपाध्याय ने उनके झांसे में आकर अपने जीपीएफ खाते से रकम निकाली और ठगों के खातों में जमा करा दी।

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मामले की कंप्लेन साइबर सेल में आई थी। मामला ऑनलाइन ठगी जैसा नहीं लगा,साथ ही 7 लाख से कम की धोखाधड़ी का था,इसलिए जांच के लिए कोतवाली को ट्रांसफर किया गया है।

रिद्धिम अग्रवाल, एसएसपी एसटीएफ

- मामला साइबर सेल से ट्रांसफर होकर आया है। म्म् आईटी एक्ट की धारा इसमें है.ऐसे में जांच मुझे ही मिली है। जल्द ठगों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा

-बीवीडी जुयाल

एसएचओ कोतवाली