नगरायुक्त ने इस मामले में दिए जांच के आदेश

Meerut। ओडीएफ के नाम पर नगर निगम में एक और नया मामला जुड़ गया है। निगम के ठेकेदार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिली भगत के चलते शौचालयों को बनाए बिना ही उनका भुगतान कर दिया गया। मामला संज्ञान में आने के बाद नगरायुक्त ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मामले पर जांच बैठा दी है।

जल्दबाजी में हुआ भुगतान

मेरठ जनपद को ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया। ऐसे में खुले में शौच से मुक्ति के अभियान में शासन द्वारा पहले निर्धारित किए गए करीब 18 हजार 974 शौचालयों के लक्ष्य की पूर्ति के लिए आपाधापी में नगर निगम ने ऐसे लोगों को शौचालय बनाने के लिए बड़ी संख्या में धनराशि आवंटित कर दी, जिनके घर में पहले से ही शौचालय बने हुए हैं। यहां तक कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि एक ही शौचालय के फोटो अलग-अलग आवेदकों की फाइल में लगाकर भुगतान दिखा दिया गया।

मामले की होगी जांच

इस मामले में कुछ पार्षदों द्वारा शिकायत करने पर मामला नगरायुक्त के संज्ञान में आया तो नगरायुक्त ने संबंधित स्वास्थ्य विभाग को तलब कर आनन फानन में बैठक बुला ली। नगर आयुक्त ने स्वास्थ्य अनुभाग के स्टॉफ से इस मामले में नाराजगी जताते हुए मौके पर जाकर निरीक्षण करने का आदेश देते हुए दोबारा सर्वे रिपोर्ट तलब की। सूत्रों की मानें तो नगर निगम को ओडीएफ के तहत गत माह तक 12050 शौचालयों के आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से करीब 9 हजार निगम तैयार कर चुका लेकिन 3 हजार से अधिक शौचालयों का फर्जी तरीके से भुगतान किया गया है।

लिया जाएगा एक्शन

नगर आयुक्त मनोज चौहान ने बताया कि ओडीएफ के तहत निर्मित सभी शौचालयों और लाभांवित की जांच हो रही है। यदि भुगतान में फर्जीवाड़ा हुआ है तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी पर एक्शन होगा।