>RANCHI: हैलो, मैं कंपनी से बोल रही हूं। आपका क्या नाम है? कहां रहते हैं? एड्रेस क्या है? इन सवालों का जवाब देते ही फोन डिस्कनेक्ट हो जाता है और आपका आइडी वेरीफिकेशन भी हो जाता है। जी हां, इन दिनों मोबाइल पर फोन कर सिम लेने वालों का आइडी वेरीफिकेशन हो रहा है। सिटी के एक दवा विक्रेता के साथ ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है, जो एक बानगी मात्र है। जबकि सच्चाई यह है कि हर दिन सैकड़ों लोग सिम के इस फर्जीवाड़े के जाल में फंस रहे हैं और पुलिसिया कार्रवाई से गुजरने के लिए मजबूर हैं।

और सुमित ने डिस्ट्रॉय किया सिम

सुमित एक दवा विक्रेता हैं। उन्हें दवा कंपनी के सेमिनार में भाग लेने कुछ दिनों पहले दिल्ली जाना था। इसी बीच उनका मोबाइल सिम सहित रास्ते में कहीं ड्रॉप हो गया। उन्हें नया मोबाइल और सिम चाहिए था। इसके लिए उन्होंने बीएसएनएल रिटेलर से बातचीत की, जहां उन्हें बताया गया कि सिम तो मिल जाएगा, लेकिन उसे एक्टिवेट करने में तीन-चार दिन लग जाएंगे। अब ऐसे में सुमित क्या करें और क्या न करें की उधेड़बुन में फंसे थे। वह मोबाइल को लेकर काफी परेशान थे। इसी बीच उसने एक ऐसे रिटेलर से संपर्क किया, जिसने कहा कि एक-दो घंटे के अंदर आपका नया सिम चालू कर दिया जाएगा। बस, चार्ज थोड़ा अधिक लगेगा। जब उसने डॉक्यूमेंट के बारे में रिटेलर से पूछा तो उसने कहा कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। फिर क्या था, सुमित ने वैसा ही किया, जैसा रिटेलर ने कहा और उसे सिम बड़ी आसानी से मिल गया। थोड़ी देर बाद ही उसके मोबाइल पर कॉल आया। कॉलर ने कहा कि हैलो? हम कंपनी से बोल रहे हैं। आप कहां रहते हैं? आपका नाम क्या है? सुमित ने सभी सवालों के जवाब दे दिए। इस पर कॉलर ने ओके कहकर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। इसके साथ ही उसका सिम चालू हो गया। बाद में सुमित को पता चला कि वह एक फ्रॉड का नंबर था, जो उसे दे दिया गया था। वह नंबर चालू होते ही तरह-तरह के कॉल आने लगे। सुमित काफी परेशान हो गया। इसके बाद जब वह दिल्ली से लौटा तो उसने फिर उसी रिटेलर से बात की और कहा आपने किसका एलॉट नंबर मुझे दे दिया। इसके जवाब में रिटेलर ने कोई जवाब नहीं दिया। अंतत: सुमित को सिम ही डिस्ट्रॉय करना पड़ा।

सिम हाजिर है

सिटी में प्री एक्टिवेटेड सिम बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं। इसके लिए आपको आईडी की भी जरूरत नहीं है। मन हो तो आईडी दीजिए, वरना इसकी कोई दरकार नहंीं है। सिम की सुविधा आपको उपलब्ध करा दी जाएगी और वह तब तक बरकरार रहेगी, जब तक आप चाहेंगे? फिर इस सिम से कॉल कर किसी को धमकी दें या किसी संगीन वारदात को अंजाम दें। आपको पुलिस क्या सर्विलांस भी नहीं ट्रेस कर पाएगी। पर, इसका दूसरा पक्ष यह भी हो सकता है कि पुलिस के सामने अपराधी खुद को बेगुनाह साबित कर रहा हो। दरअसल, इन दिनों कई सिम पहले कस्टमर्स की आईडी पर ही एक्टिवेट कर दिए जा रहे हैं। जो बगैर आईडी के सिम तलाशने वाले लोगों को बिना वेरीफिकेशन के ही बेच दी जाती है।

वेरीफिकेशन में खामी

अगर कोई नया नंबर लेने आता है, तो उसके आईडी और एड्रेस प्रूफ देने के बाद उसे कंपनी एक नंबर देती है। सिम एलॉट होने के कुछ दिन बाद कस्टमर उस नंबर पर फोन कर जानकारी लेता है। फिर कंपनी उस एड्रेस को वैलिड मान लेती है। वेरिफिकेशन में कंपनी के इस लचीलेपन का फायदा आपराधिक किस्म के लोग उठाते हैं। यही कारण है कि क्रिमिनल्स के पास जो भी नंबर होते हैं, वे दूसरे की आईडी के ही होते हैं।

आईडी आपकी, सिम यूज कर रहे क्रिमिनल्स

सिटी में सिम कार्ड ख्0 से ख्भ् रुपए में आसानी से मिल रहे हैं। कम पैसे में बिक रहे इन सिम के साथ अधिक टॉकटाइम के चक्कर में कस्टमर रिचार्ज कराने की बजाय नया सिम ही खरीद लेते हैं। शॉपकीपर्स भी अपने मुनाफे को तवज्जो देते हुए अधिक से अधिक सिम बेचने में लगे हुए हैं। ऐसे में वह आईडी बगैर वेरीफिकेशन किए ही एक्टिवेटेड सिम प्रोवाइड करा रहे हैं। इतना ही नहीं, कई शॉपकीपर्स तो एक कस्टमर की आईडी दूसरे सिम पर लगाकर उसे अन्य कस्टमर को बेच भी देते हैं। कई बार सिम का यूज आपराधिक साजिश के तहत भी हो रहा है, जिसमें निर्दोष कस्टमर फंस रहे हैं। दरअसल, सिम के इस फर्जीवाड़े का खुलासा आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में हुआ, जब रिपोर्टर ने सिम बेचने वाले डीलर्स से चार अलग-अलग कंपनियों के सिम खरीदे। पहली में सुविधा चालू मिली, जबकि दूसरे, तीसरे और चौथे पर आइडी वेरिफिकेशन किए बिना ही आठ दिनों से कॉल की सुविधा मिल गई। ऐसे सिम अक्सर क्रिमिनल्स ही लेते हैं, जो आपके आइडी प्रूफ के आधार पर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

.शॉकिंग एस्पेक्ट्स का लोगो।

प्रिंटिंग प्रेस में बन रही फर्जी आईडी

जानकारी के मुताबिक, कई जगह पर तो प्रिंटिंग प्रेसों में शातिर किस्म के लोग फर्जी आईडी बना रहे हैं और उसे दुकानदारों को एक रुपए की दर से बेच रहे हैं। वहीं कुछ शातिर लोगों ने घर में ही फर्जीवाड़ा का धंधा खोल रखा है, इसमें उनके फैमिली मेंबर्स भी सहयोग कर रहे हैं।

ऑफिसियल स्टैंड का लोगो

बगैर आईडी वेरिफिकेशन के सिम की बिक्री रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके लिए अलग से टीम गठित कर दुकानों में पड़ताल कराने का भी निर्देश दिया जा चुका है। अक्सर फर्जी सिम के मामले भी सामने आते हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस प्रयासरत है।

-प्रभात कुमार, एसएसपी, रांची।