-दूसरे देशों में ट्रॉमा मरीजों को मिलता है फ्री इलाज

-कर्मचारियों की कमी के कारण बर्न यूनिट, आर्गन ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा शुरू

LUCKNOW:

केजीएमयू में आने वाले समय में ट्रॉमा के सभी मरीजों का फ्री ट्रीटमेंट होगा। इसके लिए केजीएमयू ने शासन और नेशनल हेल्थ मिशन को 25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा है। यह पैसा न भी मिला तो केजीएमयू अपने ही संसाधनों से ट्रॉमा में इसी वर्ष फ्री इलाज शुरू करेगा। केजीएमयू वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने पद पर एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर यह जानकारी दी।

बाकी देशों में मिलता है फ्री ट्रीटमेंट

प्रो। भट्ट ने बताया कि विश्व के सभी देशों में ट्रॉमा या एक्सीडेंट के पेशेंट को फ्री ट्रीटमेंट दिया जाता है, क्योंकि ऐसे समय में किसी के पास पैसा हो यह जरूरी नहीं। लेकिन अभी केजीएमयू ट्रॉमा में बजट के अभाव में पैसा लिया जाता है। मरीजों को पैसा न देना पड़े इसके लिए 25 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलते ही मरीजों को यह सुविधा यहां मिलने लगेगी। अगर बजट नहीं भी मिलता है तो भी केजीएमयू अपने संसाधनों से ज्यादातर सेवाएं फ्री देगा।

एक माह में शुरू होगी बर्न यूनिट

प्रो। भट्ट ने बताया कि मैनपॉवर न मिलने से बर्न यूनिट पिछले कई माह से शुरू नहीं हो पा रही है। जल्द ही शासन द्वारा मैनपॉवर मिलने का आश्वासन मिला है। यदि मैनपॉवर न मिली तो भी अपने उपलब्ध संसाधनों से इसे एक माह में चलाने का प्रयास किया जाएगा।

शासन नहीं दे रहा है मैनपॉवर

केजीएमयू में मरीजों के लिए बर्न यूनिट, आर्गन ट्रांसप्लांट और इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स तैयार हैं। प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार का भी करोड़ों रुपया इनमें लगा है। लेकिन प्रदेश सरकार केजीएमयू को मैनपॉवर नहीं दे सकी है। जिसके कारण ये सेवाएं शुरू नहीं हो पा रही हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स देश में अपनी तरह का सबसे बड़ा और विशिष्ट संस्थान है। जिसमें 13 कोर्स चलाए जा रहे हैं। लेकिन यहां भी मैनपॉवर की स्वीकृति नहीं मिली है।

फ्री इलाज कराया, नहीं मिला पैसा

केजीएमयू प्रशासन का दावा है कि पिछले एक वर्ष के दौरान एनटीपीसी की दुर्घटना में बड़ी संख्या में मरीजों को इलाज दिया गया। हाल ही में ट्रैक्टर ट्रॉली पुल से नीचे गिरने पर 53 मरीजों को भर्ती कराया गया। ऐसे ही ठाकुरगंज में गैस लीकेज सहित कई अन्य दुर्घटनाओं में भी सरकार से मिले आदेशों पर इलाज कराया गया लेकिन सरकार ने इसका पैसा नहीं दिया।

ये रहीं उपलब्धियां

पिछले एक वर्ष में केजीएमयू के खाते में कई उपलब्धियां आई हैं। केजीएमयू को 2017 में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) ने 'ए' ग्रेड सर्टिफिकेट दिया। इसके साथ केजीएमयू ए ग्रेड सर्टिफिकेट वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बन गया। इसी वर्ष 56 नए वेंटीलेटर की स्थापना की गई। 400 किलोवाट की सोलर पॉवर एनर्जी लगाई गई। पैथोलॉजी को एनएबीएल की मान्यता मिली और हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड को लागू किया गया। ई हॉस्पिटल को भी पिछले वर्ष ही लागू किया गया।

कई और अमृत फार्मेसी खुलेंगी

प्रो। एमएलबी भट्ट ने बताया कि संस्थान में वर्तमान में ओपीडी, शताब्दी अस्पताल सहित कई जगहों पर अमृत फार्मेसी हैं। निकट भविष्य में क्वीनमेरी, कार्डियोलॉजी, साइकियाट्री डिपार्टमेंट और गांधी वार्ड में भी अमृत फार्मेसी खोली जाएंगी।

घोटालों पर केजीएमयू बैकफुट पर

पिछले वर्ष वीसी बनने के बाद प्रो। एमएलबी भट्ट ने पूर्व के वर्षो में आईटी सेल में हुई धांधली में घोटाले की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि तत्कालीन अधिकारियों ने कंप्यूटर, लैपटाप खरीद में गड़बड़ी की। एग्जीक्यूटिव काउंसिल में मामले को रखकर जांच कमेटी भी गठित की गई। यूपीटीयू के वीसी भी इसमें शामिल थे और पूर्व आईटी इंचार्ज पर घोटाले के आरोप लगे थे। लेकिन कई माह बीतने और जांच कमेटी की समय सीमा खत्म होने के बाद आज तक आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस पर वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने कहा कि शासन और राजभवन को पत्र भेजकर साइबर एक्सपर्ट से जांच कराने की मांग की गई है।

22 हजार का किया इलाज

प्रो। भट्ट ने बताया कि दूरस्थ इलाकों के लोगों को इलाज देने के लिए सोशल आउट प्रोग्राम चलाया गया। सीतापुर, हरदोई, प्रतापगढ़, कानपुर, अमेठी व गोरखपुर में कैंप लगाकर 22,644 लोगों को इलाज दिया गया। गोरखपुर में इंसेफ्लाइटिस से सर्वाधिक प्रभावित 'सहजनवा' को गोद लेकर लोगों का इलाज किया गया। परिवहन निगम के 6144 ड्राइवरों का चेकअप किया गया।

फैमिली मेडिसिन का अलग विभाग

प्रो। भट्ट ने बताया कि कई विभागों की आवश्यक्ता नहीं थी इसलिए उन्हें संबंधित विभागों में मर्ज किया गया। फैमिली मेडिसिन पर एक नए विभाग की जरुरत है। इस विभाग से एमडी करने वाला डॉक्टर सभी प्रकार की बीमारियों का इलाज कर सकेगा। इसे एग्जीक्यूटिव काउंसिल से पास करा लिया गया है। जिसे जल्द ही शासन को भेजा जाएगा।

बीपीएल, विपन्न को एचआरएफ से सुविधा

एचआरएफ के इंचार्ज डॉ। अजय सिंह ने बताया, अभी हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) से सभी सात आईसीयू को लिंक किया गया है। जल्द ही बीपीएल, असाध्य, पुलिस और अन्य फ्री इलाज कैटेगरी वाले मरीजों को भी इससे लिंक किया जाएगा।