टिहरी लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे दिवंगत पैन्यूली

देहरादून: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, टिहरी गढ़वाल केपूर्व सांसद और समाजसेवी परिपूर्णानंद पैन्यूली का निधन हो गया है। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। शनिवार सुबह तबीयत बिगड़ने पर उन्हें ओएनजीसी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. संडे को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

जुझारू और जीवट व्यक्तित्व

परिपूर्णानंद पैन्यूली का जन्म 19 नवंबर, 1924 में टिहरी शहर के निकट छौल गांव में हुआ था. उनके दादा राघवानंद पैन्यूली टिहरी रियासत के दीवान और पिता कृष्णानंद पैन्यूली इंजीनियर थे. उनकी माता एकादशी देवी के साथ ही पूरा परिवार समाजसेवा और स्वाधीनता आंदोलन के लिए समर्पित रहा. पैन्यूली जीवट, जुझारू और स्वच्छ छवि के व्यक्ति थे. आजादी की लड़ाई और टिहरी रियासत को आजाद भारत में विलय कराने में उनकी अहम भूमिका रही. विलीनीकरण के ऐतिहासिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले तीन प्रमुख प्रतिनिधियों में वह भी एक थे. हिमाचल प्रदेश के रूप में 34 पहाड़ी रियासतों को एक करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई. वह हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे. वे टिहरी के पूर्व नरेश मानवेंद्र शाह को हराकर 1971 में सांसद बने थे.

कई पुस्तकें लिखी

परिपूर्णानंद पैन्यूली कलम के भी धनी थे. उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकें लिखी. भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने 1996 में डॉ. आंबेडकर अवॉर्ड से उन्हें नवाजा. निर्धन बच्चों को शिक्षा व वंचितों के विकास के लिए वह अंतिम सांस तक सक्रिय रहे.