MATHURA (8 April JNN): यमुना छठ से चार दिन पहले यमुना में ताजा पानी तो ओखला से पहुंचा है, लेकिन एक हजार क्यूसेक पानी की जरूरत और मांग के सापेक्ष केवल 250 क्यूसेक पानी ही आ पाया है। हालांकि इससे शुक्रवार को जलस्तर थोड़ा बढ़ गया और बैराज पर जलस्तर नियंत्रित करना पड़ा। यमुना छठ पर्व पर श्रद्धालुओं के आचमन, पूजन और स्नान के मद्देनजर जिला प्रशासन हर साल एक हजार क्यूसेक पानी की व्यवस्था कराता रहा है। इस बार भी 15 दिन पहले माथुर चतुर्वेदी परिषद और यमुना कार्ययोजना के याची गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने इतना ही ताजा पानी सप्ताह भर पहले छुड़वाने की मांग जिला प्रशासन

से की थी। जिला प्रशासन के कहने पर तीन दिन पहले ओखला से छोड़े गए 250 क्यूसेक पानी का असर शुक्रवार को यहां देखने को मिला।

घाटों पर जलस्तर थोड़ा बढ़ गया। गोकुल बैराज पर भी सामान्य जलस्तर 163.50 मीटर के सापेक्ष 164 मीटर हो गया। यहां नगर की जलापूर्ति के लिए गेट खुलवाकर जलस्तर नियंत्रित किया गया। गेट खोलने से विश्राम घाट समेत पूरी यमुना में लाल कीड़ों की परत भी आगे बह गयी, लेकिन यमुना छठ से केवल चार दिन पहले पहुंचे थोड़े से पानी को पर्याप्त नहीं माना जा रहा है।

इस बीच जिला प्रशासन और ¨सचाई विभाग के दावे के विपरीत ¨हडन कट से गंगाजल यमुना को नहीं मिल रहा है। दावों में लगातार कहा जाता रहा है कि 200 से 300 क्यूसेक गंगाजल ¨हडन कट से यमुना को दिया जा रहा है। याची गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा है कि उन्होंने नए पानी की मात्रा एक हजार क्यूसेक किए जाने की मांग फिर से की है। इतने पानी से गंदगी कुछ हद तक आगे गयी है, लेकिन यमुना जल की गुणवत्ता अभी आचमन और स्नान आदि करने लायक नहीं हुई है।