RANCHI : युवा आईएएस डीके रविकुमार की संदिग्ध हालात में मौत से उनके खास दोस्त सदमें में है। झारखंड में काम कर रहे उनके करीबी दोस्तों को विश्वास ही नहीं हो रहा कि ठंडे दिमाग और काफी सोच-समझकर निर्णय लेनेवाला उनका दोस्त हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि रवि ने सुसाइड किया है। दुखी मन से वे बस यही कह रहे हैं- रवि, तुम तो ऐसे ना थे। आज रवि के रुप में देश ने न सिर्फ एक बेहतर प्रशासक बल्कि अच्छे इंसान को खो दिया है। गौरतलब है कि 16 मार्च को डीके रविकुमार बेंगलुरु स्थित अपने फ्लैट में मृत पाए गए थे। पंखे से लटकी उनकी डेड बॉडी मिली थी।

रवि की मौत का नहीं हो रहा विश्वास

कोडरमा जिले के एसपी वाईएस रमेश आईएएस डीके रविकुमार के खास दोस्तों में से एक हैं। वे कहते हैं- मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि रवि अब इस दुनिया में नहीं है। हम दिल्ली में साथ रहकर यूपीएससी की तैयारी करते थे। रवि पढ़ने में काफी तेज थे। एक बार यूपीएससी की पीटी और मेन्स में क्वालिफाई करने के बाद उन्हें डेंगू बीमारी हो गई। इलाज के लिए उन्हें सर गंगाराम हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ गया, जिस कारण वे इंटरव्यू नहीं दे सके। हालांकि, 2009 में उन्होंने यूपीएससी के सिविल सर्विसेज में 34वां रैंक हासिल किया और आईएएस के लिए वे चुने गए।

शांत स्वभाव के थे रवि

आईपीएस ऑफिसर और गर्वनर के एडीसी क्रांति कुमार बताते हैं -रवि से मेरी अंतिम बातचीत दिसंबर में हुई थी। मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वह इस दुनिया को अलविदा कह चुका है। 2004-2005 की बात है। हम दोनों दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट में साथ पढ़ा करते थे। मेरे कमरे के बगल के कमरे में वह रहता था। यूपीएससी की तैयारी भी हम दोनों ने साथ में की है। रवि काफी शांत स्वभाव के थे। उनके नहीं रहने का गम हमेशा सताता रहेगा।

एक नेक दिल इंसान खो दिया

चतरा के डीएफओ पीआर नायडू आईएएस डीके रविकुमार के रूम मैट रहे हैं। वे बताते हैं-हम पूसा इंस्टीट्यूट में साथ पढते थे। हम दोनों का मैथोलॉजी सब्जेक्ट था। दिल्ली में साथ रहकर यूपीएससी की तैयारी करते थे। वे आईएएस के लिए चुने गए और मैं इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के लिए, फिर भी हमारा संबंध हमेशा बना रहा। रवि काफी नेक दिल इंसान थे। उनके पिता किसान थे, इसलिए वे किसानों के लिए काफी कुछ करना चाहते थे। हमने न सिर्फ युवा आईएएस बल्कि अच्छे इंसान को खो दिया है।

ठंडे दिमाग से लेते थे कोई भी निर्णय

लैक रिसर्च इंस्टीट्यूट, नामकुम में रिसर्च साइंटिस्ट रविशंकर कुमार भी डीके रविकुमार के अच्छे दोस्तों में से एक हैं। वे कहते हैं- नई दिल्ली स्थित पूसा इंस्टीट्यूट में हम साथ पढ़ा करते थे। वैसे तो वे थोड़ा रिजर्व रहा करते थे, पर बहुत कूल इंसान थे। किसान परिवार से वे बिलांग करते थे, लेकिन आईएएस बनने के बाद उनकी शादी एक बड़े नेता के बेटी से हुई। उनकी असामयिक मौत की क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है।