निक्षय पोर्टल अब नए अवतार में, टीबी मरीजों को जारी होगी 6 से 7 अंक की आईडी

ALLAHABAD: टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने सिस्टम में जबरदस्त परिवर्तन किया है। मरीज से लेकर इलाज तक ट्रांसपैरेंट करने के लिए निक्षय पोर्टल को नए अवतार में लांच किया गया है। यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है और इस पर रोग और रोगी से जुड़ी डिटेल एक झटके में मिल जाएगी। यहां तक कि सीबीनॉट मशीन की जांच रिपोर्ट भी सीधे पोर्टल पर आ जाएगी। इसके लिए हॉस्पिटल के चक्कर नहीं काटने होंगे।

लगातार मिल रही थीं शिकायतें

सरकार के 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म किए जाने की कवायद को पूरा करने के लिए पोर्टल को अपडेट करना जरूरी हो गया था। क्योंकि मरीजों से लगातार सरकारी सुविधाएं नहीं मिलने की शिकायत मिल रही थी। बता दें कि जिले में अभी तक पोर्टल पर 2637 मरीजों का पंजीकरण हो चुका है। 1432 मरीजों का टोटल फॉलोअप मौजूद है। 821 मरीजों की राशि खाते में भेजी जा रही है। बावजूद इसके कई मामलों में शिकायत मिलने से योजना के संचालन में ट्रांसपैरेंसी की कमी हो रही थी।

यह हुए हैं परिवर्तन

-सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर के अलावा लैब और केमिस्ट भी एक ही जगह टीबी मरीज को नोटिफाई कर सकेंगे।

-हॉस्पिटल्स को भी मरीजों की फीडिंग की सुविधा मिल जाएगी।

-एचआईवी मरीजों के विवरण सम्बन्धी पोर्टल 99 डॉट्स को भी इससे जोड़ा जा रहा है, ताकि टीबी और एचआईवी मरीजों की जानकारी एक ही जगह मिल सके।

-पोर्टल पर मरीज के नोटिफाई होने और बैंक डिटेल डालने के साथ ही इसकी जानकारी पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) तक पहुंच जाएगी और मरीज के आधार से लिंक बैंक खाते में पौष्टिक आहार राशि पहुंचने लगेगी।

-टीबी मरीज के नोटिफिकेशन के साथ ही उसे 6 से 7 अंकों की एक डिजिटल आईडी आवंटित कर दी जाएगी।

-निक्षय पोर्टल पहले केवल डेस्कटॉप पर ही ऑपरेट किया जा सकता था, किन्तु नए वर्जन में उसे मोबाइल और लैपटॉप पर भी ऑपरेट किया जा सकेगा।

-पोर्टल के जरिए मरीजों की जानकारी चंद मिनटों में देश के किसी भी हिस्से से प्राप्त की जा सकेगी।

-विभाग को फाइलों से भी छुटकारा मिलेगा। एक क्लिक में पूरी रिपोर्ट सामने होगी।

वर्जन

इस बारे में पोर्टल लांच होने के एक हफ्ते के भीतर प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की जा रही है। इस तरह यह पोर्टल टीबी के खात्मे की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। लंबे समय से इस बदलाव की प्रतीक्षा की जा रही थी।

-डॉ। चंद्रपाल वर्मा, डीटीओ, इलाहाबाद