नारको टेस्ट में सामने आएगा तेजाब कांड का सच

- एफएसएल में दोनों आरोपित सगे भाईयों का नारको टेस्ट पूरा

- आरोपितों ने अपना नारको कराने की दी थी मजिस्ट्रेट को अर्जी

- 15 दिन में आएगी रिपोर्ट, प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि नहीं

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW:

सूबे में योगी सरकार बनने के बाद जिस घटना ने पुलिस को सबसे ज्यादा हलकान किया, अब उसकी सच्चाई से पर्दा उठने वाला है। रायबरेली से लखनऊ आ रही रही तेजाब पीडि़ता ने जिन युवकों पर ट्रेन में तेजाब फेंकने का आरोप लगाया था, बुधवार को महानगर स्थित फोरेंसिंक साइंस लैबोरेटरी में उनका नारको टेस्ट कराया गया। दरअसल दोनों आरोपितों ने अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों पर से पर्दा उठाने के लिए खुद कोर्ट में अपना नारको टेस्ट कराने की अर्जी दी थी। आज सुबह उन्हें कड़ी सुरक्षा में एफएसएल लाया गया जहां मेडिकोलीगल डिपार्टमेंट में डॉक्टर्स की मौजूदगी में चार घंटे तक नारको टेस्ट चला।

सीएम ने लिया था हाल-चाल

मालूम हो कि विगत 23 मार्च को गंगा गोमती एक्सप्रेस से रायबरेली से लखनऊ आ रही तेजाब पीडि़ता ने आरोप लगाया था कि उसके गांव के दबंग सगे भाईयों गुड्डू सिंह और भोंदू सिंह ने ट्रेन में उसे मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाया और उस पर तेजाब फेंक दिया। इसका केस जीआरपी लखनऊ में दर्ज कराया गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद तेजाब पीडि़ता को देखने केजीएमयू पहुंच गये तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में दो दिन के भीतर दोनों भाईयों को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं गुड्डू सिंह और भोंदू सिंह के पिता त्रिभुवन सिंह ने तत्कालीन एडीजी लॉ एंड आर्डर दलजीत सिंह चौधरी से मिलकर अपने बेटों को झूठे केस में फंसाने की बात कही और मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। उन्होंने बताया कि उनके बेटे सिक्योरिटी गार्ड और किसान हैं। एडीजी ने लोक शिकायत प्रकोष्ठ में तैनात सीओ एके उपाध्याय से इसकी जांच करायी तो मामला फर्जी मिला। इसके बाद यह रिपोर्ट जीआरपी मुख्यालय को भेज दी गयी। जीआरपी की भी जांच में पीडि़ता द्वारा लगाये गये आरोपों की पुष्टि नहीं होने पर केस वापस लेने की कवायद शुरू कर दी गयी।

खुद की नारको की मांग

इस बीच दोनों भाईयों ने मजिस्ट्रेट को अर्जी देकर खुद का नारको टेस्ट कराने की मांग की ताकि उन पर लगे आरोपों की सच्चाई सामने आ सके। दोनों की अर्जी पर नारको टेस्ट की अनुमति दे दी गयी जिसके बाद आज उन्हें एफएसएल लाया गया। एफएसएल में डॉ। सुरेंद्र कुमार रावत ने उन्हें एनेस्थीसिया दिया जिसके बाद उन्होंने अपना होश खो दिया। इसके बाद जीआरपी द्वारा उपलब्ध करायी गयी फेहरिस्त के मुताबिक उनसे सवाल पूछे गये। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर सवालों के जवाब में पीडि़ता द्वारा लगाए गये आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी है। दोनों ने बताया कि पीडि़ता ने उन पर पहले भी कई फर्जी मुकदमे लाद कर जेल भिजवा दिया था। वहीं घटना के दिन वह दूसरी जगहों पर थे। एफएसएल अपनी जांच रिपोर्ट 15 दिन के भीतर जीआरपी को सौंप देगी जिसके बाद इस केस को खारिज करके पुलिस दोनों भाईयों को जेल से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू करेगी।

नार्थ इंडिया में एकमात्र संस्था

दरअसल एफएसएल नारको टेस्ट कराने के लिए नॉर्थ इंडिया में एकमात्र संस्था बची है। इसके अलावा गुजरात में डायरेक्टरेट ऑफ फोरेंसिक साइंस में इसकी सुविधा थी। बंगलुरु में फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में भी नारको टेस्ट होता था जिसे कुछ साल पहले बंद कर दिया गया। वहां गोधरा कांड के कई आरोपितों और जालसाज अब्दुल करीम तेलगी का नारको टेस्ट हुआ था। कहीं और सुविधा न होने से लखनऊ स्थित एफएसएल में सीबीआई भी अपने कई केसेज का नारको करा चुकी है। लखनऊ एफएसएल में यह सुविधा शुरू होने के बाद डॉ। सुरेंद्र कुमार रावत को बतौर एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट के रूप में यहां तैनात किया गया जो अब तक कई नारको टेस्ट करा चुके हैं।

आरोपितों के अनुरोध पर आज उनका एफएसएल में नारको टेस्ट कराया गया था। दोनों विगत 25 मार्च से जेल में बंद हैं। दोनों के खिलाफ तेजाब से हमला और एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज है। नारको टेस्ट में यदि आरोपों की पुष्टि नहीं होती है तो पुलिस आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू करेगी।

- सौमित्र यादव, एसपी, जीआरपी