- सूबे में बे्रन मैपिंग की सुविधा वाला बनेगा पहला संस्थान

- बड़े मामलों की जांच होगी आसान, नार्थ इंडिया में नहीं है सुविधा

- कई अन्य सुविधाएं भी जल्द होंगी शुरू, तैयार हो रहा प्रस्ताव

<

- सूबे में बे्रन मैपिंग की सुविधा वाला बनेगा पहला संस्थान

- बड़े मामलों की जांच होगी आसान, नार्थ इंडिया में नहीं है सुविधा

- कई अन्य सुविधाएं भी जल्द होंगी शुरू, तैयार हो रहा प्रस्ताव

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW :

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW :

कुख्यात अपराधी हो या फिर घोटालों का सरताज, यूपी में होने वाले अपराधों की जांच में सच और झूठ का पता लगाना अब आसान हो जाएगा। अपराधी चाहे जितना भी शातिर हो, जांच एजेंसियां उसका झूठ पकड़ कर उसे सलाखों के पीछे भेज सकेंगी। यह मुमकिन होगा राजधानी स्थित स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में, जहां जल्द ही ब्रेन मैपिंग टेस्ट की सुविधा शुरू होने वाली है। नारको टेस्ट के साथ ब्रेन मैपिंग की सुविधा शुरू करने के बाद एफएसएल इन दोनों खूबियों वाला नॉर्थ इंडिया का एकमात्र फोरेंसिक साइंस संस्थान बन जाएगा।

सांप के काटने से मौत की भी होगी पुष्टि

सिर्फ ब्रेन मैपिंग ही नहीं, एफएसएल में जल्द ही संाप के काटने से होने वाली मौत का पता भी लगाया जा सकेगा। राज्य सरकार ने ब्रेन मैपिंग के साथ इस सुविधा को शुरू करने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है। मालूम हो कि हाल ही में एफएसएल के डायरेक्टर डॉ। एसबी उपाध्याय और डिप्टी डायरेक्टर जी। खान ने मुंबई के सांता क्रूज स्थित हॉकिंस इंस्टीट्यूट और बांबे फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी का दौरा किया और बे्रन मैपिंग और स्नेक वेनम डिटेक्शन के बारे में जानकारी ली। एफएसएल ने उनसे इसकी तकनीक को भी साझा करने का अनुरोध किया है। यह सुविधा शुरू होने से ब्लड टेस्ट करने से यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि मृतक को सांप ने काटा था अथवा उसे कोई दूसरा जहर दिया गया था। अभी तक यह सुविधा भी यूपी में नहीं थी। इसे जल्द शुरू करने के लिए एफएसएल प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजेगा।

दो नई सुविधाएं और

इसके साथ ही एफएसएल में फॉरेंसिक इंजीनियरिंग और वीडियो एनॉलिसिस की सुविधा भी शुरू होने वाली है। इसके लिए जरूरी संसाधनों की सूची तैयार कर ली गयी है। इन दोनों सुविधाओं के शुरू होने से घटनास्थल से जुटाए गये साइंटिफिक एविडेंस और वीडियो आदि की पड़ताल राजधानी में ही हो सकेगी। अभी इनके लिए नई दिल्ली स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक रिसर्च लैब के पास सैंपल भेजने पड़ते है। खासकर सीसीटीवी अथवा वीडियो फुटेज में टेंपरिंग आदि के मामले इसकी मदद से तुरंत पकड़े जा सकेंगे।

बॉक्स

क्या होती है ब्रेन मैपिंग

ब्रेन-मैपिंग में मस्तिष्क में उठने वाली विभिन्न आवृत्तियों की तरंगों का अध्ययन किया जाता है। इस परीक्षण के तहत आरोपी से पहले पूछताछ की जाती है और पता लगाया जाता है कि कहीं वह सूचनाएं छिपा तो नहीं रहा है। इसे 'ब्रेन वेव फिंगर प्रिंटिग' के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद सेंसरों को व्यक्ति के सिर में लगाया जाता है और व्यक्ति को कंप्यूटर मॉनीटर के सामने बैठाया जाता है। परीक्षण के दौरान फॉरेंसिक एक्सपर्ट यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि संदिग्ध का मस्तिष्क अपराध स्थल की वस्तुओं की पहचान करता है अथवा नहीं। सिर से जुड़े सेंसर तस्वीरों को देखते समय या ध्वनियां सुनते समय मस्तिष्क में उठने वाली तरंगों को दर्ज कर लेते हैं। फिलहाल इस टेस्ट की सुविधा गुजरात के गांधीनगर, मुंबई और बंगलुरू में उपलब्ध हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक ब्रेन मैपिंग अथवा नारको टेस्ट आरोपित या संदिग्ध की सहमति के बगैर नहीं कराया जा सकता है।

एफएसएल में जल्द ब्रेन मैपिंग टेस्ट की सुविधा शुरू होगी। एफएसएल के विशेषज्ञों के साथ मुंबई जाकर इसके तकनीकी पहलुओं का अध्ययन किया है। राज्य सरकार ने भी इसकी सहमति दे दी है। जल्द ही एफएसएल में बे्रन सिग्नेचर सिस्टम (बीएसएस) तकनीक को शुरू किया जाएगा। यह सुविधा हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में शुरू की जानी है।

डॉ। एसबी उपाध्याय

डायरेक्टर, एफएसएल