-- निगम में डीजल घोटाले की जांच अधर में, कमेटी न शुरू कर सकी जांच

-- नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने हेड होने के नाते जांच कमेटी से नाम वापस लिया

BAREILLY: नगर निगम में हुए डीजल घोटाले की जांच और धीमी पड़ सकती है। इसमें एक नया ट्वीस्ट आ गया है। फ्यूल फ्रॉड की जांच के लिए गठित कमेटी से नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। एसपीएस सिंधु ने अपना नाम वापस लेने की अपील की है। घोटाले जांच पिछले एक माह से ज्यादा समय से चल रही है, लेकिन एक भी आरोपी पकड़ में नहीं आया है। सिंधु ने नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह से खुद को स्वास्थ्य विभाग के हेड का हवाला देते हुए कमेटी से हटाए जाने की अपील की है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी के हटने से जांच बुरी तरह प्रभावित होगी। वहीं नगर निगम प्रशासन की लेटलतीफी पर सवालिया निशान उठने लगा है और जांच को ठंडे बस्ते में डालने की कवायद।

महीने भर बाद भी जांच जीरो

जनवरी में निगम में स्वास्थ्य विभाग की गाडि़यों में यूज होने वाले डीजल की बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आई थी। नगर स्वास्थ्य अधिकारी घोटाले का खुलासा किया था। इस पर नगर आयुक्त ने जांच के निर्देश दिए। साथ ही फ्क् जनवरी को जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी। जिसमें नगर स्वास्थ्य अधिकारी के अलावा अपर नगर आयुक्त व जीएम, जलकल विभाग भी बतौर मेंबर्स रहे। करीब महीने भर बाद भी फ्यूल फ्रॉड की जांच में कमेटी कोई भी कार्यवाही न कर सकी। जांच में न तो अब तक किसी से इंक्वायरी ही हुई और न ही किसी पर जवाबदेही तय की जा सकी।

कार्रवाई से बचे घ्ाोटालेबाज

निगम के चारों गैराजों में पिछले साल से गाडि़यों की न तो लॉगबुक में रेगुलर एंट्री दर्ज हो रही थी और न ही गैराज इंचार्ज की ओर से उनका वेरिफिकेशन किया जा रहा था। बिना अपडेट लॉगबुक और वेरिफिकेशन के निगम की गाडि़यां रोड से ज्यादा कागजों पर दौड़ लगा रही थी। जिससे निगम को डीजल की खपत में करीब भ्0 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा। जांच कमेटी की सुस्ती और नगर स्वास्थ्य अधिकारी के कमेटी से हटने के बाद घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद भी ठंडी पड़ गई है।

जांच के बजाए बढ़ाई जिम्मेदारी

फ्यूल फ्रॉड में सभी गैराज इंचार्ज की लापरवाही के साथ ही ट्रांसपोर्ट इंचार्ज पर भी घोटाले में होने के आरोप लगे थे। ट्रांसपोर्ट इंचार्ज हरिओम के पास ही निगम की गाडि़यों में फ्यूल दिए जाने के रिका‌र्ड्स अवेलबेल थे। ऐसे में ट्रांसपोर्ट इंचार्ज पर भी जांच की तलवार लटक रही थी। लेकिन जांच के उलट नगर आयुक्त ने ट्रांसपोर्ट इंचार्ज को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के ट्रांसफर और मृतक कोटे में नौकरी पाए लोगों के डॉक्यूमेंटस का निस्तारण करने की भी जिम्मेदारी सौंप दी। जानकारों का कहना है कि जांच के बदले जिम्मेदारी बढ़ाए जाने से ट्रांसपोर्ट इंचार्ज को कार्रवाई से जानबूझ कर दूर रखा गया है।

स्वास्थ्य विभाग का हेड होने के नाते रूल्स के मुताबिक मैं अपने ही विभाग की जांच में शामिल नहीं हो सकता। नगर आयुक्त से खुद को जांच कमेटी से हटाए जाने को लेकर लेटर भेजा है। जांच कमेटी की ओर से फिलहाल कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी है। - डॉ। एसपीएस सिंधु, नगर स्वास्थ्य अधिकारी