1 . ऐसी है पहली कहानी

स्पीच के दौरान अपनी पहली कहानी को लेकर उन्होंने बताया कि उनको कॉलेज से निकाल दिया गया था। अब सवाल ये उठता है कि ऐसा हुआ क्यों। उन्होंने कहा कि इसको बताने से पहले वह अपनी जन्म की कहानी सुनाएंगे। उन्होंने बताया कि उनकी मां एक कॉलेज की छात्रा थीं। वह अविवाहित थीं। उन्होंने सोचा कि वो उनको किसी ऐसे कपल को गोद दे दें, जो ग्रेजुएट हो। ऐसे में उनके जन्म से पहले ही ये निश्चित हो गया था कि उन्हें एक वकील और उनकी पत्नी को गोद दिया जाएगा। इसके बावजूद ये भी था कि उनको बेटा नहीं, बेटी चाहिए थी। सबकुछ फाइनल होने के बाद जब उनकी मां को ये मालूम पड़ा कि गोद लेने वाले पेरेंट्स ग्रेजुएट नहीं हैं, तो उन्होंने उनको देने से मना कर दिया। उसके कुछ दिन बाद उनकी मां उस समय उनको उन्हें गोद देने के लिए मान गईं जब उन पेरेंट्स ने उनसे वादा किया कि वे इस बच्चे को कॉलेज जरूर भेजेंगे। 17 साल की उम्र में उनको कॉलेज में एडमिशन दिलाया गया। कॉलेज में पढ़ाई करते समय उनको इस बात का एहसास हुआ कि उनके माता-पिता की सारी कमाई उनकी पढ़ाई में खर्च हो रही है। आखिरकार उन्होंने कॉलेज ड्रॉप करने का फैसला कर लिया। अब उन्होंने सोचा कि वह कुछ काम करेंगे, लेकिन उस समय उनका ये फैसला शायद सही नहीं था। इन सबके बाद आज जब वह पीछे मुड़कर देखते हैं तो उनको लगता है कि उनका वह फैसला बिल्कुल सही था। उन्होंने आगे बताया कि उस समय उनके पास रहने के लिए कोई कमरा तक नहीं था। ऐसे में उन्हें अपने दोस्त के कमरे में जमीन पर ही सोना पड़ता था। छोटी-मोटी कमाई के लिए वह कोक की बॉटल्स बेचते थे। उसके बाद आखिर में रात को खाने के लिए सात मील चलकर कृष्ण मंदिर जाते थे। उन्होंने बताया कि उस समय रीड कॉलेज कैलीग्राफी के लिए दुनिया में मशहूर था। पूरे कैम्पस में हाथ से बने हुए बहुत ही खूबसूरत पोस्टर्स लगे थे। उन्होंने सोचा कि क्यों न वह भी कैलीग्राफी की पढ़ाई कर लें। ये फैसला करने के बाद उन्होंने शेरीफ और सैन शेरीफ टाइपफेस सीखे (शेरिफ टाइपफेस में शब्दों के नीचे लाइन डाली जाती है)। इसके बाद उन्होंने इसी टाइपफेस से अलग-अलग शब्दों को जोड़कर टाइपोग्राफी को तैयार किया। इसमें डॉट्स होते हैं। दस साल बाद उन्होंने पहला Macintosh computer डिजायन किया। यह उनका पहला कम्प्यूटर डिजायन था। इसके बारे में सोचने के बाद उन्होंने कहा कि अगर वह कॉलेज से नहीं निकाले जाते और उन्होंने कैलीग्राफी नहीं सीखी होती तो वह इसे नहीं बना पाते।

स्‍टीव जॉब्‍स की तीन कहानियां आपको सिखाएंगी बहुत कुछ

2 . ऐसी है दूसरी कहानी

स्टीव जॉब्स ने कहा कि वह इस मामले में काफी लकी रहे हैं कि जो उन्होंने अपने जीवन में चाहा है, वो किया भी है। Woz (एप्पल के को-फाउंडर और स्टीव जॉब्स के दोस्त स्टीव वॉजनिएक) और उन्होंने मिलकर एक गैरेज में 'एप्पल' की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि उस समय उनकी उम्र 20 साल थी। 'एप्पल' को लेकर उन्होंने जमकर मेहनत की और महज 10 सालों में कंपनी को ऊंचाइयों पर ले गए। महज एक गैरेज में दो लोगों के साथ शुरू हुई कंपनी अब बिलियन लोगों तक पहुंच गई। अब इस कंपनी में 4000 कर्मचारी काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने सबसे बेहतरीन क्रिएशन Macintosh कम्प्यूटर को रिलीज़ किया। उसके बाद जिस तरह से कंपनी आगे बढ़ी, उन्होंने एक प्रतिभाशाली व्यक्ति को कंपनी संभालने के लिए चुना। ऐसा करने के पहले साल तक तो कंपनी ने बहुत अच्छा काम किया। उसके बाद भविष्य को लेकर उनका जो विज़न था, वो उसमें फेल हो गए। वह जब 30 साल के थे, तो उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया। उन्हें लगा कि उन्हीं की कंपनी से उन्हें कैसे निकाला जा सकता है। उसके पांच सालों में उन्होंने एक कंपनी बनाई। उसका नाम रखा NeXT। इसके बाद एक और कंपनी Pixar नाम से भी उन्होंने खड़ी की। Pixar ने दुनिया की पहली कम्प्यूटर एनिमेटेड फीचर फिल्म Toy Story बनाई। आज आलम ये है कि इस स्टूडियो को दुनिया का बेहतरीन एनिमेशन स्टूडियो माना जाता है। इसके बाद एप्पल ने NeXT को खरीद लिया और वह वापस एप्पल में पहुंच गए। उन्होंने ऐसी टेक्नोलॉजी का निर्माण किया, जिसने एप्पल को नया जीवन दिया। इसके बाद उन्हें लगता है कि अगर उन्हें एप्पल से नहीं निकाला होता, तो वह यह सब कर भी नहीं पाते। उन्होंने सीख दी कि कभी-कभी जीवन में ऐसे पल भी आते हैं, लेकिन लोगों को इससे घबराना नहीं चाहिए।

स्‍टीव जॉब्‍स की तीन कहानियां आपको सिखाएंगी बहुत कुछ

3 . तीसरी प्रेरणादायक कहानी

उन्होंने बताया कि जब वह 17 साल के थे, तब उन्होंने एक कोटेशन पढ़ा था। वह कुछ ऐसा था 'आप हर दिन ये सोचकर जियो कि आज आखिरी दिन है। ऐसा करने से एक दिन ऐसा आएगा, जब आखिरी दिन भी आएगा।' इस कोटेशन ने उनको बहुत प्रभावित किया। बीते 33 सालों से वह हर रोज सुबह शीशे में अपना चेहरा देखते हैं और यही सोचते हैं कि अगर आज उनका आखिरी दिन है, तो उन्हें वो करना चाहिए जो वह चाहते हैं। कई दिनों तक उन्हें अपने सवाल का जवाब नहीं मिला। वह जल्दी मर जाएंगे, यह सोचकर उन्हें जीवन में और ज्यादा काम करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने बताया कि कुछ ही साल पहले ही उनको कैंसर का पता चला। डॉक्टर ने उनको बताया कि अब वह सिर्फ तीन से छह महीने तक ही जीवित रहेंगे। उन्होंने उनको सलाह दी कि वह अपने परिवार वालों और ऑफिस वालों को इसके बारे में बता दें। इसके बाद उन्होंने अपना इलाज करवाया। उनकी सर्जरी हुई। अब वह बिल्कुल ठीक हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने काफी करीब से मौत को देखा। कोई भी मरना नहीं चाहता। इसके बावजूद मौत एक ऐसी सच्चाई है, जिसका सामना हर किसी को एकदिन करना है।

Interesting Newsinextlive fromInteresting News Desk

Interesting News inextlive from Interesting News Desk