-एमजेएमसी में स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल से हो रहे हैं वंचित

-बुक्स का पैसा लेकर खरीदना भूल गया है डिपार्टमेंट

PATNA: मास्टर इन जर्नलिज्म एण्ड मास कम्यूनिकेशन (एमजेएमसी) का एजुकेशनल स्टैंडर्ड मार्केट ओरिएंटेड बनाया जा रहा है। पीजी हिंदी डिपार्टमेंट में चल रहे एमजेएमसी को जर्नलिज्म इंडस्ट्री में लगातार हो रहे बदलाव को ध्यान में रखकर थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोड़ दिया जा रहा है। कोर्स में शामिल टॉपिक्स को समझाने के लिए आईसीटी से हेल्प ली जाएगी। पीजी हिंदी के हेड व एमजेएमसी के डायरेक्टर डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि डिपार्टमेंट में कुछ कमियां हैं, जिसे ठीक किया जाएगा।

लगातार कई सेशन से जारी है

एमजेएमसी डिपार्टमेंट में स्टूडेंट्स से नए सेशन में एडमिशन के दौरान एक हजार रुपए बुक खरीदने के लिए लिया जाता है। इसके बाद बुक खरीदना डिपार्टमेंट भूल जाता है। यह लगातार कई सेशन से जारी है। डिपार्टमेंटल लाइब्रेरी व सेंट्रल लाइब्रेरी में सब्जेक्ट से संबंधित बुक नहीं होने से स्टूडेंट्स को काफी परेशानी होती है। जेनरल कोर्सेज की तरह मीडिया से संबंधित बुक मार्केट में आसानी से उपलब्ध नहीं है। मीडिया स्टडीज के स्टूडेंट बुक्स के बिना कोर्स करने व एग्जाम देने के लिए मजबूर हैं।

आईटी से जोड़कर मिलेगा एजुकेशन

एमजेएमसी के कोर्स में न्यू मीडिया से संबंधित कई टॉपिक्स हैं। न्यू मीडिया प्रैक्टिकल बेस्ड है। आज के समय में सभी मीडिया हाउसेस में न्यू मीडिया का अलग से विंग है। न्यू मीडिया में जॉब का अच्छा स्कोप है, जिसे ध्यान में रख डिपार्टमेंट के नए डायरेक्टर डॉ सुरेंद्र न्यू मीडिया से संबंधित सिलेबस पर स्टूडेंट के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट को बुला रहे हैं।

डिपार्टमेंट कुछ भी बोलने को तैयार नहीं

पटना यूनिवर्सिटी में एमजेएमसी के स्टूडेंट्स के लिए लैब बनाने के लिए डिपार्टमेंट के पास फंड का अब तक उपयोग नहीं हो पाया है। डिपार्टमेंट की ओर से फंड को फिक्स डिपोजिट कर दिया गया है। फंड किनके आदेश से फिक्स डिपोजिट किया गया है इसके बारे में डिपार्टमेंट में कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

स्किल्ड की कमी प्लेसमेंट में बाधा

डिपार्टमेंट में लैब नहीं है। प्रैक्टिकल नॉलेज के बिना स्टूडेंट्स स्कील्ड में अन्य यूनिवर्सिटीज की अपेक्षा काफी पिछड़ जाते हैं। प्लेसमेंट में स्किल्ड की कमी स्टूडेंट्स के लिए मेन प्रॉब्लम बन रहा है।

जर्नलिज्म में डिप्लोमा हो सकता है बंद

पीयू के पीजी हिंदी में जर्नलिज्म में डिप्लोमा अगले साल से बंद हो सकता है। डिपार्टमेंट में लगातार स्टूडेंट्स कम हो रहे हैं। तीस सीट के लिए मात्र तीन से चार स्टूडेंट इस सेशन में हैं। स्टूडेंट्स की संख्या कम होने से डिपार्टमेंट पर आर्थिक बोझ ज्यादा हो जाता है। जर्नलिज्म डिपार्टमेंट में ज्यादातर गेस्ट फैकल्टीज ही क्लास लेते हैं। डिपार्टमेंट को कम स्टूडेंट के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ता है। डिपार्टमेंट में कैंपस नहीं होने से स्टूडेंट्स का अट्रेक्शन कम हो रहा है। प्लेसमेंट नहीं होने के पीछे मेन रीजन मार्केट ओरिऐंटेड एजुकेशन नहीं मिल पाना है।

एक दिन में दो बार टीए का भुगतान

एमजेएमसी डिपार्टमेंट द्वारा मनमाने तरीके से गेस्ट फैकल्टी को भुगतान करने की बात कही जा रही है। गेस्ट फैकल्टी को प्रति क्लास के हिसाब से भुगतान किया जाता है। गेस्ट फैकल्टी को एक ही दिन लगातार क्लास लेने के लिए दो बार टीए भुगतान पर डिपार्टमेंट के कई सीनियर टीचर्स ने आपत्ति की थी। इसके बाद भी भुगतान जारी रहा। डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव सिन्गध ने बताया कि हमारे रीजन में ऐसी कोई भुगतान नहीं हुआ है। पूर्व के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

डिपार्टमेंट में कुछ कमियां हैं, जिसे दूर करने के लिए कई कदम उठाया जा रहा है। बुक्स को खरीदने के लिए पैसे की कमी नहीं है। जल्द ही टीचर्स एवं स्टूडेंट्स से सुझाव लेकर बुक्स खरीदे जाएंगे। लैब बनाने का प्रयास भी किया जायेगा।

डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव सिन्गध, डायरेक्टर, एमजेएमसी