- कलेक्ट्रेट परिसर की घटना, लेखपाल ने साथियों संग अधिवक्ता को पीटा

- कार्रवाई की मांग लेकर अधिवक्ताओं ने किया हंगामा, केस दर्ज कर पुलिस ने शांत कराया मामला

GORAKHPUR: अधिवक्ता और लेखपाल के बीच हुए विवाद के चलते शुक्रवार को कलेक्ट्रेट परिसर में जमकर हंगामा हुआ। विवाद पर जुटे लेखपालों ने अधिवक्ता सहित मुवक्किल की पिटाई कर दी। इसकी सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में जुटे अधिवक्ताओं ने कार्रवाई की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उन्हें समझा-बुझाकर किसी तरह स्थिति संभाली। कैंट पुलिस ने पीडि़त अधिवक्ता की तहरीर पर दो लेखपाल समेत दस के खिलाफ भ्रष्टाचार, हत्या के प्रयास व लूट समेत अन्य संगीन धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।

घूस मांगने को लेकर हुआ विवाद

कलेक्ट्रेट कैंपस के अधिवक्ता मनीष यादव शुक्रवार को सदर तहसील में मुवक्किल उमा यादव और रामधनी यादव के वरासत के मामले में लेखपाल गंगा सिंह से मिलने गए थे। जिसमें उनका बयान दर्ज कराना था। अधिवक्ता का आरोप है कि लेखपाल ने बयान दर्ज कराने के लिए दस हजार रुपए मांगे। जिसे देने में मुवक्किल ने असमर्थता जताई। इसे लेकर अधिवक्ता और लेखपाल के बीच विवाद शुरू हो गया। इस बीच अन्य लेखपाल भी आए गए। उन लोगों ने मनीष यादव और उमा यादव की पिटाई शुरू कर दी। अधिवक्ता का आरोप है कि उन लोगों को एक कमरे में बंद कर दिया गया और उनकी जेब से दो हजार रुपए भी निकाल लिए गए। इस बीच विवाद की सूचना मिलते ही कलेक्ट्रेट बार अध्यक्ष केके त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौके पर पहुंच गए। सिटी मजिस्ट्रेट सहित पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंची और बीचबचाव कर मामला शांत कराया।

कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे अधिवक्ता

घटना के बाद अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट बार में बैठक की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हंगामा करने लगे। वह घटना में संलिप्त अभियुक्तों के खिलाफ केस दर्ज और उनके निलंबन व गिरफ्तारी की मांग करने लगे। मौके पर एसपी सिटी, एडीएम सिटी और कैंट इंस्पेक्टर पहुंचे। अधिकारियों ने समझा-बुझाकर मामला शांत कराया। पुलिस ने अधिवक्ता मनीष यादव की तहरीर पर लेखपाल गंगा सिंह, ओमप्रकाश पासवान समेत दस के खिलाफ केस दर्ज किया। इस दौरान सिविल कोर्ट बार अध्यक्ष अभिमन्यु पांडेय, मंत्री प्रियानंद सिंह, मंत्री रवींद्र श्रीवास्तव, रामाश्रय तिवारी, पूर्व मंत्री जितेंद्र धर दूबे, सुभाष शुक्ला, धर्मेद्र मिश्रा, परमेश राम तिवारी, भानु प्रताप तिवारी आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।