रोजमर्रा की जिंदगी में हम घर से बाहर निकलते वक्त कई सवाल साथ लिए चलते हैं, जैसे पार्किंग में जगह मिलेगी या नहीं, पास के रेस्तरां का कूपन चाहिए या जहां पहुंचना है, वहां का रास्ता मालूम नहीं.

भारत में कार चलाते वक्त मोबाइल पर बात करने पर रोक है लेकिन दस साल बाद की तस्वीर का खांका खीचते हुए कार बनाने वाली कंपनियां उम्मीद जता रही हैं कि स्मार्टफोन की टेक्नॉलॉजी क्लिक करें कार इस्तेमाल के तौर तरीकों में भी बदलाव ला सकती है.

लेकिन सवाल यह उठता है कि इस विचार के मायने क्या हैं. क्या मोबाइल ऐप कार की डैशबोर्ड में घुसपैठ करेगा.

यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कार इंटरनेट से जुड़ी हो बिना ज्यादा बटन दबाए हमारे बोल देने भर से जरूरी सूचना मुहैया कराने पर अधिक जोर दिया जाए.

इंटरनेट कनेक्टिविटी

सूचना प्रौद्यौगिकी क्षेत्र की कंपनी इंटेल मानती है क्लिक करें इंटरनेट सुविधा वाली कार का बाजार मोबाइल फोन और टैबलेट के बाद सबसे तेजी से उभर रहा है.

सूचना तकनीक की एक और कंपनी आईएचसी के जैक बर्ग्विस्ट कहते हैं, “50 फीसदी से ज्यादा उपभोक्ता कार में इंटरनेट की सुविधा से उत्साहित हुए हैं.”

मौजूदा दौर में हम सोशल मीडिया, इंटरनेट रेडियो और हमारे बोल देने भर से संचालित होने वाली तकनीकों के बारे में हम बहुत बात करते हैं.

लेकिन इंटरनेट का इस्तेमाल इससे ज्यादा आसानी से और व्यवहारिक तरीके से किया जा सकता है.

ऐसे ऐप्लिकेशन पहले से ही मौजूद हैं जो नजदीकी पेट्रोल पंपों की दूरी और वहां की कीमत के बारे में बताती है ताकि गाड़ी का ड्राइवर कुछ पैसे बचाने के लिए थोड़ी दूर का सफर और तय कर ले.

बाजार का बजट

ऐक ऐसा ऐप्लिकेशन भी है जो कार पार्किंग के लिए खाली जगह की जानकारी देता है और यह कुछ बड़े शहरों में काम भी कर रहा है.

लेकिन ऐसा बहुत कुछ हो सकता है जो मुमकिन है हमने अब तक सोचा न हो पर यह कोई सस्ता कारोबार भी नहीं है.

इन सेवाओं के विकास के लिए क्लिक करें अरबों रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं.

मशीन रिसर्च के मुताबिक साल 2020 तक 32 हजार अरब रुपए ‘इंटरनेट कनेक्टेड’ कारों पर खर्च किए जाएंगे.

अगले पांच सालों में इंटेल अकेले कारों की ‘इंटरनेट कनेक्टिविटी’ के विकास पर पांच सौ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रहा है.

बर्ग्क्विस्ट कहते हैं,“साल 2014 तक कुछ बड़े ब्रांड की सभी कारें इंटरनेट सुविधा से जुड़ी होंगी”.

ज्यादा सड़क हादसे?

गाड़ी चलाने के हमारे तौर तरीकों में सावधानी की बेहद जरूरत पड़ती है. क्लिक करें सड़क हादसों की एक बड़ी वजह गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल भी बताया जाता है.

सवाय यह उठता है कि ज्यादा सूचना मुहैया कराने से कड़ी ड्राइवर का ध्यान भटक गया तो क्या होगा.

सुरक्षा से जुड़ी सुविधाओं को एक अपरिहार्य सेंसर से सुलझाने की कोशिश की जा रही है. दुर्घटना की सूरत में यह सेंसर आपात्तकालीन सेवाओं को संदेश भेज देगा.

यूरोपीय संघ की योजना है कि साल 2015 तक सभी नई कारों में यह सेंसर लगा होगा.

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