- जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में भी हुई पूजा अर्चना, बसंत पंचमी के दिन तय होगी कपाट खुलने की तिथि

GOPESHWAR: बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू होने के तहत डिमरी समुदाय के पुरोहितों ने गाडू घड़े को योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से ¨डमर गांव के लक्ष्मी नारायण मंदिर ले जाया गया। जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में भी पूजा अर्चना की गई। बसंत पंचमी को इसी गाडू घड़े में टिहरी राजदरबार से तिल का तेल बदरीनाथ की पूजा अर्चना के लिए लाया जाता है जो कि कपाट खुलने के दिन पूजा के प्रयोग में लाया जाता है।

खजाने से बाहर निकाला गाडू घड़ा

डिमरी समुदाय के पुरोहित टीका प्रसाद डिमरी, हेमंत डिमरी, सुरेश डिमरी आदि ने जोशीमठ के नृसिंह मंदिर स्थित खजाने से गाडू घड़े को बाहर निकाला। यहां से गाडू घड़ा पांडुकेश्वर लाया गया। इस वर्ष के बारीदार रूपेश पंवार के घर गाडू घड़े की सायंकालीन पूजा अर्चना की गई। रात्रि प्रवास के बाद सुबह गाडू घड़े को शोभा यात्रा व भजन कीर्तन के साथ योगध्यान बदरी मंदिर लाया गया। शीतकालीन पूजा स्थली योगध्यान बदरी मंदिर के पुजारी राजेंद्र प्रसाद डिमरी ने पौराणिक व धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार गाडू घड़े की पूजा अर्चना कर बारीदार के घर लाया गया। यहां गाड़ू घड़े की पूजा अर्चना के साथ इस वर्ष का प्रथम राजभोग दाल व चावल के रूप में भगवान बदरी विशाल को अर्पित करने के बाद ग्रामीणों को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। नृसिंह मंदिर जोशीमठ में भी गाडू घड़े की पूजा अर्चना व दोपहर का भोग लगाकर डिंमर स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर ले जाया गया।