नाम का खेल

मुरादनगर में गंग नहर पर छोटा हरिद्वार का निर्माण शुरू हो गया है। नाम के साथ ही इस क्षेत्र का महत्व रातोरात बढ़ गया है। अगर यह क्षेत्र हरिद्वार की नकल के रूप में विकसित हो जाता है तो आसपास के लोगों के वारे न्यारे हो जाएंगे बल्कि यूं कहें कि ऐसा होने भी लगा है। जो जमीन कौड़ी के भाव थी वो अब सोना उगलने लगी हैं। मुरादनगर में गंग नहर के किनारे 'छोटा हरिद्वार' नाम देख कर एक बार को ठहर जाते हैं। फिर शुरू होता है नाम के साथ खेल।

भोले की एक और नगरी

यह नाम यहां के महंत जी दिया है, क्योंकि हरिद्वार हर की पौड़ी से यह गंग नहर निकलकर आ रही है। लोगों को हरिद्वार जाने के बजाय वहां की अनुभूति यहां कराने की तैयारी है। इसके जरिए यहां आसपास की जमीन के दाम और व्यापार में अचानक तेजी आ गई है। जो जमीन कौड़ी के भाव थी अब वह सोने के भाव है। आसपास दुकानें सजने लगी हैं। अब इस छोटे हरिद्वार पर हर की पौड़ी बनाने की तैयारी है।

आस्था के नाम बढ़ा दिए दाम

लोग आस्था के चलते हरिद्वार जाते हैं। वहां पूजा करते हैं। एनसीआर और आसपास के प्रदेशों हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान के लोगों को जब हरिद्वार की अनुभूति सैकड़ों मील पहले ही हो जाएगी तो वे आगे जाने की कोशिश क्यों करेंगे। जल भी वहीं का है और नाम भी वही है। ऐसे में लोगों की आस्था भी यहां बढऩे लगी है। यहां पास में ही 1600 गज जमीन का एक टुकड़ा है जो कभी 18 लाख में मिल रही थी। जो आज एक करोड़ की भी नहीं मिल रही।

दुकानदारों की चांदी

दिल्ली जाने वाले और दिल्ली से मेरठ की ओर आने वाले लोग शुरू से ही मुरादनगर गंग नहर किनारे रुककर कुछ खानपान करते थे। फिर गंग नहर में बहते पानी का लुत्फ उठाते थे। अब इनको यहां हरिद्वार का सीन भी दिखेगा तो जो यहां नहीं रुकते थे वे भी रुकेंगे। दुकानदारों की चांदी तो निश्चित है। पूजा पाठ के दौरान भी अब यहां भीड़ लगने लगी है। आसपास के दुकानदारों की सेल भी खुद ही बढ़ गई है।

हर की पौड़ी जैसा लुक

हरिद्वार में हर की पौड़ी का लुक अगर आपको मुरादनगर में मिल जाए। आप तो हरिद्वार जाने का विचार ही छोड़ देंगे। वहां जाकर नहाने के बजाय यहीं गंग नहर में डुबकी लगाएंगे। अगर यहीं हर की पौड़ी जैसा घंटाघर, नहाने का घाट और पूजा पाठ होने लगे तो आस्था खुद बढ़ जाएगी। दूसरे प्रदेशों से कांवड़ लेने जाने वाले यहीं से कांवड़ लेकर जाएंगे। इस बार हुआ भी यही। महंत मुकेश गिरी के अनुसार इस बार दूर-दराज के लोग यहीं से कांवड़ लेकर लौट गए।  

इतिहास पर एक नजर

यहां का इतिहास कुछ खास तो नहीं है। कभी यहां गंग नहर के किनारे खचेडू जी महाराज पूजा पाठ किया करते थे। उनकी समाधि भी यहीं बनी है। इनके बाद महंत नारायण गिरी ने इसकी कमान संभाली। इसकी देखरेख राधा रानी सेवा समिति गाजियाबाद ने शुरू की। अब यहां मौजूद शनि मंदिर में पिछले कई सालों से पूजा पाठ महंत पंडित मुकेश गिरी कर रहे हैं। इनका कहना है कि  यहां लोगों की भीड़ लगातार बढऩे लगी है। गणेश विसर्जन के लिए भी हजारों की संख्या में लोग यहां आए थे। शनिवार और रविवार को तो यहां पैर रखने की भी जगह नहीं होती।

क्या कहते हैं महंत

महंत मुकेश गिरी कहते हैं इस गंगनहर के दोनों ओर घाट बनाने की तैयारी है। जीडीए के साथ मिलकर इसको हरिद्वार हर की पौड़ी का रूप दिया जाएगा। यहां अब वह सबकुछ होने लगा है जो हरिद्वार में गंगा घाट पर होता है।

"मुरादनगर गंग नहर किनारे को छोटा हरिद्वार बनाया जा रहा है। मुझे इसकी जानकारी नहीं है। ऐसी किसी योजना के बारे में भी कुछ पता नहीं है। अगर ऐसा है तो डीएम गाजियाबाद से बात की जाएगी."

- मंजीत सिंह, कमिश्नर मेरठ