सुबह हुई घटना

मई में शिवपुर में बृजेश के करीबी अजय खलनायक पर गैंगवार के तहत हुई ताबड़तोड़ फायरिंग में भले ही अजय बच गया हो लेकिन आखिरकार बुधवार को एक बार फिर गैंगवार की दस्तक ने एक जान ले ही ली। इस बार गैंगवार में जान गवाने वाला कोई और नहीं बल्कि पूर्वांचल के माफिया डॉन बृजेश सिंह का चचेरा भाई सतीश सिंह है। सतीश को बुधवार की सुबह धौरहरा गांव में बृजेश सिंह के पैतृक आवास से महज 100 मीटर की दूरी पर ही दो बाइक से आये चार बदमाशों ने गोलियों से भून डाला। कई राउंड हुई फायरिंग में सतीश को छह से ज्यादा गोलियां लगी। जिसके बाद उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। सुबह हुई घटना के बाद सूचना मिलते ही पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और मौके पर डीआईजी, एसएसपी समेत कई अधिकारी पहुंचे और जांच में जुट गए। एसएसपी के मुताबिक घटना के पीछे गैंगवार हैं या नहीं ये तो साफ नहीं है लेकिन बृजेश और उसके विरोधी गैंग के कुछ बदमाशों की पुरानी अदावत हत्या की वजह हो सकती है।

सुबह निकले और चल गई गोली

बुधवार को बृजेश सिंह के चचेरे भाई सतीश सिंह की हत्या की खबर फैलते ही जरायम की दुनिया में खलबली मच गई। पुलिस के मुताबिक हर रोज की तरह सतीश सुबह लगभग सात बजे अपने धौरहरा स्थित घर से धौरहरा बाजार में पान खाने जा रहे थे। वो घर से महज 100 कदम की दूरी पर ही पहुंचे होंगे तभी पीछे से दो बाइक पर मुंह और सिर पर सफेद गमछे की पगड़ी बांधे चार बदमाश आये और सतीश को घेर कर उनकी कनपटी पर पिस्टल लगा दो गोली चलाई और फिर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। गोलियां चलाने के बाद जैसे ही सतीश लहूलुहान होकर जमीन पर गिरे वैसे ही चारों बदमाश बाइक से भाग निकले।

लगी कई गोली

गोलियां की आवाज सुनकर बृजेश और सतीश के परिजन भागते हुए मौके पर पहुंचे तो देखा कि सतीश खून से लथपथ हालत में बेसुध होकर सड़क के बीचों बीच पड़े थे। जिसके बाद लोग उनको अस्पताल लेकर जाने को सोचते की उसके पहले ही सतीश ने दम तोड़ दिया। सरे राह हुई हत्या की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस भी पहुंच गई और हत्यारों की तलाश में जुट गई। एसपीआरए प्रदीप गुप्ता के मुताबिक मौके से छह खोखे बरामद हुए हैं। जिनमें चार 9 एमएम के और दो 7.62 बोर के है। हत्या के बाद सतीश सिंह के बेटे अजय सिंह ने बीकेडी उर्फ इंद्रदेव सिंह, विनोद भारद्वाज, सतीश सिंह (पुत्र मकनू सिंह) व एक अज्ञात पर हत्या और माफिया मुख्तार अंसारी, सुधीर सिंह व अतुल राय पर हत्या की साजिश का आरोप लगाते हुए चौबेपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।

बेटे के जन्मदिन पर नहीं दे सके आर्शीवाद

बुधवार की सुबह ही बदमाशों की गोलियां का शिकार हुए सतीश के चार बेटों में तीसरे नंबर के बेटे छोटू (13 वर्ष) का बुधवार का जन्मदिन था लेकिन सुबह सोने के चलते सतीश बेटे का जन्मदिन की बधाई भी नहीं दे सके थे और ये सोचकर घर से निकले थे कि पान खाकर लौटने के बाद बेटे छोटू को बधाई और लंबी उम्र का आर्शीवाद देंगे लेकिन इसके पहले ही नीयती ने ऐसा खेल खेला कि जन्मदिन पर ही बेटे के सिर से बाप का साया हमेशा के लिए उठ गया।

सेम पिस्टल का यूज

बृजेश के चचेरे भाई सतीश सिंह और पिछले दिनों मई में शिवपुर में हुई बृजेश के करीबी अजय खलनायक पर हुए हमले में एक ही गैंग का हाथ है। ये मानना है एसपीआरए प्रदीप गुप्ता का। प्रदीप के मुताबिक इन दोनों वारदातों में एक सबसे बड़ी समानता ये है कि दोनों घटना में एक ही बोर की पिस्टल का यूज हुआ है। अजय पर भी हमले के बाद मौके पर नाइन एमएम और 7.62 बोर के खोखे मिले थे और इस वारदात में भी मौके से सेम वेपन के खोखे मिले हैं। इससे ये साफ होता है कि दोनों वारदातों में बीकेडी गैंग का ही हाथ है।

सतीश पर भी हैं कई मामले

पुलिस के मुताबिक मृत सतीश के ऊपर भी पुलिस रिकार्ड में कई मामले दर्ज हैं। इनमे कैंट थाने में 1989 और 1991 में 302 व 307 के दो मामलें हैं जबकि चौबेपुर में भी सतीश के ऊपर कुछ मामले दर्ज हैं।

फिर चर्चा में बीकेडी

बृजेश के चचेरे भाई सतीश की हत्या में भी उसी बीकेडी का नाम सामने आ रहा है। जिसने चार मई 2013 को शिवपुर में बृजेश सिंह के सबसे करीबी अजय खलनायक पर गोलियां बरसाई थी। हालांकि इस घटना के बाद अजय बच गया था और बृजेश समेत उसके भतीजे विधायक सुशील सिंह की सिक्योरिटी बढ़ा दी गई थी। इस घटना के बाद पुलिस ने अजय पर हमला करने वाले कुछ लोगों को तो पकडऩे का दावा किया था लेकिन इन्द्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी पुलिस के हत्थे अब तक नहीं चढ़ा। इसी का फायदा उठा बीकेडी ने ही इस वारदात को अपने साथियों संग अंजाम दिया दे दिया। एसएसपी अजय कुमार के मुताबिक बृजेश और इसी गांव के बीकेडी के परिवारों में पिछले कई सालों से पुरानी रंजिश है। इस दौरान कई हत्याएं पहले भी हो चुकी हैं। इसलिए प्रथम दृष्टया सतीश सिंह की हत्या भी इसी पुरानी अदावत का नतीजा दिख रहा है। एसएसपी के मुताबिक बीकेडी के पिता हरिहर सिंह  बृजेश के पिता भूलन सिंह की हत्या में लीड रोल में था। जिसके बाद बृजेश सिंह ने बीकेडी के पिता हरिहर सिंह की भी हत्या कर दी। तबसे ये पुरानी रंजिश चली आ रही है।

लंबी है दुश्मनी की लिस्ट

बृजेश सिंह और इन्द्रदेव उर्फ बीकेडी के बीच दुश्मनी बहुत पुरानी है या यूं कहें कि इसी दुश्मनी का नतीजा है कि अपने वक्त का सीधा साधा और स्टूडियस बृजेश सिंह माफिया डॉन बन गया। बृजेश के कुछ करीबी लोगों के मुताबिक अगस्त 1984 को धौरहरा में बृजेश सिंह के पिता रवीन्द्रनाथ उर्फ भूलन सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या को अंजाम देने वालों में बीकेडी के पिता हरिहर सिंह, लुल्लुर सिंह और पांचू सिंह थे। पिता की हत्या के बाद ही पढऩे लिखने में होनहार रहा बृजेश जरायम की दुनिया में दाखिल हुआ और मई 1985 में उसने अपने पिता की हत्या में शामिल बीकेडी के पिता हरिहर सिंह को गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया।

लगातार होती रही हत्याएं

 ये बृजेश के हाथों हुआ पहला अपराध था। इसके बाद बृजेश ने अपने पिता के हत्यारों को चुन-चुनकर मारना शुरू किया और 1989 में बीकेडी के चाचा प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ झगडू की चकबंदी दफ्तर के पास हत्या करने के बाद हरीहर के भतीजे राजीव को भी गोली मार दी गई। इसके बाद भी मौत का ये खेल नहीं थमा और 1991 में कचहरी परिसर में मायाशंकर पर हुए हमले में बृजेश और उसके चचेरे भाई सतीश का नाम सामने आया। इस दौरान 1995 में पुलिस ने बीकेडी के भाई पांचू का एनकाउंटर कर दिया। इसी इयर में बीकेडी के रिश्तेदार शिव सिंह और इसी के एक साल बाद बीकेडी के ताऊ बनारसी सिंह को भी बृजेश सिंह गैंग ने मौत के घाट उतार दिया। लगातार परिवार के इतने लोगों की मौतों से बौखलाया बीकेडी लगातार बृजेश पर हमले की फिराक में रहा लेकिन पूर्वांचल में जरायम की दुनिया का बड़ा नाम होने के चलते वो बृजेश तक नहीं पहुंच सका लेकिन बीकेडी ने मई में मौका देख बृजेश के करीबी अजय खलनायक पर हमला बोल दिया लेकिन उसमे भी अजय के बच जाने से बीकेडी को मुंह की खानी पड़ी।