'हम अकेले ही चले थे जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग आते गये, कारवां बनता गया' ऐसी ही कुछ कहानी गंगा के अविरल प्रवाह के लिए चल रहे अभियान की भी है। काशी के केदार खंड स्थित श्री विद्या मठ को केन्द्र बना कर जब गंगा अभियानम् का श्री गणेश किया गया था तो उसे शुरू करने वालों को शायद इस बात का इलहाम तक नहीं रहा होगा कि दिल्ली में इस आंदोलन की इतनी जल्दी हनक बन जाएगी। गंगा अभियानम् की इस सक्सेस स्टोरी में संतों के श्रम साध्य आहुतियों के अलावा आधुनिक प्रौद्यौगिकी का भी बहुत बड़ा योगदान है। आज इस आंदोलन के हर लम्हे की खबर इंटरनेट पर अपडेट हो रही है। हजारहा लोग वाकिफ हो रहे हैं कि गंगा के लिए कब, कहां और क्या हो रहा है।

सब स्वयंस्फूर्त हैं

इसमें कोई शक नहीं कि आंदोलन से जुड़े संत धर्म और शास्त्र में ही नहीं कम्प्यूटर के मामले में भी पारंगत हैं। श्री विद्या मठ की अपनी वेब साइट पहले से काम कर रही है। यहां के बटुकों को विद्याध्ययन के अलावा कम्प्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है। पुरी के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी और श्री विद्या मठ के प्रभारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद खुद कम्प्यूटर फ्रेंडली होने के अलावा इंटरनेट पर काफी दखल रखते हैं। उनके शिष्य स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद पूर्वाश्रम में आईआईटी, कानपुर के प्रोफेसर रह चुके हैं। लेकिन इन सबके बावजूद गंगा के लिए जमीनी लड़ाई लडऩे के अलावा किसी और चीज की उन्होंने प्लैनिंग नहीं की। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते भी हैं कि हमने इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया लेकिन आज इंटरनेट के जरिए लाखों लोग गंगा से जुड़ गये हैं।

दिल से जुड़ा मामला है

स्वामी जी का कहना है कि गंगा से हमारी आस्था जुड़ी है लेकिन अकीदत के अलावा लोग इससे दिल से ज्यादा जुड़े हैं। शायद यही वजह है कि हमें अवाम को जोडऩे के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ा। आज मेरे पास सैकड़ों लोग आते हैं और अभियानम् से जुडऩे की बात करते हैं। देश के दूर दराज इलाके से आये इन लोगों से पूछो तो पता चलता है कि उन्हें ये सारी जानकारियां सोशल नेटवर्किंग से मिली। अभियानम् ने किसी से भी एसएमएस या ट्वीट करने को नहीं कहा लेकिन आज हजारों लोग दुनिया जहान को गंगा के बारे में अपडेट कर रहे हैं।

दिल्ली रख रहा है रेकॉर्ड

गंगा अभियानम् पर दिल्ली की डाइरेक्ट निगाह है। मैसेज भेजने वालों और ट्वीट करने वालों की पूरी लिस्ट गंगा बेसिन के अधिकारियों के पास है। बनारस में भी घाट पर आंदोलन में शामिल लोगों पर खुफिया अधिकारियों की नजरें हैं। वे केन्द्र और राज्य सरकार को इस बारे में लगातार अवगत करा रहे हैं। अभियानम् इसे कोई खास तवज्जो नहीं देता। गंगा आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार सिर्फ यह जानने के लिए यह सब कर रही है कि जान्हवी की जंग में क्या वाकई इतने लोग शामिल हैं।

अभियानम् को पेट से नहीं जोड़ा

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि हमे गंगा को पेट से नहीं जोड़ा। हमसे लोगों ने बनारस बंद कराने से लेकर आंदोलन के लिए और भी तरीके अपनाने की बात कही लेकिन हमने इसे अनसुना इसलिए कर दिया क्योंकि पेट से जुड़ते ही आंदोलन के स्तर में गिरावट आ जाती। आज इस मुद्दे को लेकर सभी धर्मों के लोग एकजुट हैं। मंदिरों में भजन-कीर्तन हो रहे हैं तो मस्जिदों दुआएं मांगी जा रही हैं। गिरजाघरों में प्रार्थनाएं की जा रही हैं तो गुरुद्वारों में अरदास हो रहा है। ये सब इंगित करता है कि गंगा के अविरल प्रवाह के बगैर हमारी जिंदगी का कोई मतलब नहीं है।

बल्क मैसेजेज के जरिये जुड़ते हैं लोगों से

गंगा सेवा अभियानम् के प्रदेश समन्यवक राकेश चंद्र पाण्डेय दिन भर गंगा के निर्मलीकरण के बारे में ही सोचते रहते हैं। जौनपुर के चंदवक मूल के रहने वाले पाण्डेय ने बीएचयू ने इकोनॉमिक्स में एमए की डिग्री हासिल की है। आजीविका के लिए दवा कारोबार से जुड़े राकेश चंद्र के कंधों पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बड़ी जिम्मेदारी सौंप रखी है। जिसका वे पूरी निष्ठा और लगन से निर्वहन भी कर रहे हैं। अभियान से जुड़ी हर छोटी बात पर इनकी नजर है। कहीं कोई अव्यवस्था न हो इसलिए वे दिन-रात अपने कत्तव्र्य पालन में लगे रहते हैं। बल्क मैसेज के जरिये लोगों तक पहुंचने की जिम्मेदारी इन्होंने खुद से अपने लिए तय कर ली है।

फेसबुक करते हैं अपडेट

गंगा सेवा अभियानम् से हृदय की गहराई से जुड़े यतिन्द्र नाथ चतुर्वेदी का भी पूरा समय गंगा की अविरलता की चिंता में ही बीत रहा है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से आचार्य कर चुके यतिन्द्र ने गंगा के अविरल प्रवाह के लिए अपना तन मन धन समर्पित कर दिया है। हिंदी पुस्तकों का प्रकाशन को आजीविका का साधन बनाया है। इसके पीछे आजीविका से अधिक हिन्दी के प्रचार प्रसार का उद्देश्य अधिक है। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर गंगा सेवा अभियानम् से जुड़ी हर बात को अपडेट करने की जिम्मेदारी इन्होंने अपने कंधो पर उठा रखी है. 

1500 से अधिक खींची है तस्वीरें

गंगा सेवा अभियानम् के सार्वभौम संयोजक स्वामी स्वरूपानंद के साथ लगातार उनकी सेवा में लगे बटुक मंयक शेखर मिश्र का पहनावा भले ही वेद पाठी सन्यासी का है लेकिन वे हाईटेक गैजेट्स के इस्तेमाल में ही उतने ही निपुण हैं जितने वेदों के सरस्वर पाठ में। श्री विद्या मठ में पिछले पांच साल से शुक्ल यजुर्वेद की शिक्षा ग्रहण कर रहे मंयक ने स्वामी के टैबलेट से अभियान से जुड़ी तकरीबन 1500 तस्वीरें खींची है। उनका फोटोग्राफी सेंस गजब का है। स्वामी जी के साथ रहते हुए अभियान से जुड़ी हर छोटी बड़ी घटना की जानकारी को तुरंत नेट पर अपलोड कर देना भी यह अपनी जिम्मेदारी मानते हैं।

संतान कर्तव्य निभा रही हूं

गंगा की अविरलता के लिए तपस्यारत एक मात्र महिला तपस्विनी देवी पूर्णाम्बा हिन्दी, इंग्लिश, कन्नड़ और संस्कृत की अच्छी जानकार हैं। काशी विद्यापीठ से फिलासफी में एमए देवी पूर्णाम्बा श्री विद्या मठ में ही रहती हैं। यहां के कंप्यूटर लैब को संचालित करने की जिम्मेदारी इनकी है। अभियान से जुड़े हर समाचार को  ई-मेल, फेसबुक, ट्विटर के जरिये नेट पर डालती रहती हैं। कर्नाटक मूल की देवी पूर्णाम्बा कहती हैं कि मैं भी गंगा की संतान हूं। मेरा भी मां गंगा के लिए कर्तव्य है कि उनकी अविरलता और निर्मलता में मैं भी अपना अंशदान कर सकूं।

हर आयोजन को करते हैं अपडेट

पेशे से बिजनेसमैन सजल श्रीवास्तव गंगा सेवा अभियानम् से फेसबुक के जरिये जुड़े। मां गंगा की दशा ने इन्हें इतना द्रवित किया कि उन्होंने अपने दिन भर से व्यस्त शेड्यूल में से समय निकालना शुरू कर दिया है। यह समय पूरी तरह मां गंगा के लिए समर्पित है। सजल फेसबुक पर लोगों को निरंतर मां गंगा की वर्तमान दशा की चर्चा करते रहते हैं। अभियानम् से जुड़े हर आयोजन में जाना और वहां की बातों को फेसबुक पर अपलोड करने में जरा भी कोताही नहीं बरतते। एमबीए सजल का कहना है कि गंगा की अविरलता के हमसे जो भी हो सकेगा करेंगे।

हृदय से महसूस किया गंगा का दर्द

गंगा सेवा अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे दुर्गेश तिवारी ने काशी विद्यापीठ से एमबीए किया है। कबीरचौरा हॉस्पिटल में तपस्यारत गंगा प्रेमी भिक्षु से जुड़ी हर खबर को वे तुरंत अपने लैपटॉप के जरिये लोगों तक पहुंचाते हैं। दुर्गेश ने गंगा प्रेमी भिक्षु की पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी है। अभियान से अधिक से अधिक लोगों को जोडऩे के लिए वे लगातार फेसबुक पर बने हैं। गंगा का दर्द दुर्गेश के लिए हृदय में इस कदर समा गया है कि उन्होंने गंगा की अविरलता के लिए ही खुद को समर्पित कर दिया है।

मठ में हैं कंप्यूटर लैब

गंगा सेवा अभियानम् का केन्द्र केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ है। धर्म, आध्यात्म और परंपरा के पोषक इस मठ ने माडर्न सांइस को भी आत्मसात किया है। मठ में एक कंप्यूटर लैब है। जो वाई फाई से लैस है। लैब में डेस्कटॉप कंप्यूटर्स के अलावा लैपटाप, टैबलेट, नोटबुक, फैक्स, प्रिंटर, स्कैनर, फोटो कॉपियर जैसी अल्ट्रा माडर्न सुविधाओं से युक्त है। यहीं से अभियानम् के हाईटेक मैनेजमेंट का काम होता है।

13,673 मेंबर्स का है ग्रुप

फेसबुक पर 'गंगा सेवा अभियानम्Ó के नाम से गु्रप है, इसकी स्थापना 19 जनवरी को की गई है। गु्रप से 13,673 मेंबर्स जुड़े हैं और मेंबर्स की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। जो गंगा की अविरलता को लेकर देश भर में चल रहे कार्यों को समाचारों और फोटोज के माध्यम से लगातार अपडेट करते रहते हैं। इस गु्रप के चीफ एडमिन स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हैं वहीं को एडमिन की भूमिका प्रवीण पाण्डेय, मानसी पाण्डेय, राघवेन्द्र अवस्थी, चैतन्यानंद, साध्वी पूर्णाम्बा, शालिनी राय राजपूत व माधव नंद ने संभाल रखी है।

Report by: Vishwanath Gokarn & Himanshu Sharma