देहरादून। एफआरआई की ओर से तैयार किया जा रहा गंगा सफाई का पोर्टल भी कूड़े में डूबता नजर आ रहा है। दरअसल संस्थान की ओर से एक वर्ष से भी अधिक समय से ये पोर्टल बनाया जा रहा है, जिसकी लॉन्चिंग एक साल पहले केंद्रीय स्तर पर हो चुकी है। इसके बावजूद अब तक एप पर कोई खास काम नहीं हो पाया है। ऐसे में दूसरे विभागों के स्तर से इस संबंध में जानकारी मांगी जा रही है।

 

गंगा प्रदूषण रोकने को बनना था पोर्टल

दरअसल गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए उसकी दोनों ओर ग्रीन बेल्ट एरिया बनाया जाना है। केंद्र सरकार की ओर से इसका काम एफआरआई को दिया। जिसे लेकर गंगा के उद्गम स्थल से लेकर उत्तराखंड सहित सभी पांचों राज्यों में काम होना था। ये राज्य काम कैसे करेंगे, इसके लिए संस्थान की ओर से वेब पोर्टल तैयार किया जा रहा है। इस पोर्टल में कई तरह की तकनीकी जानकारियां उपलब्ध कराई जानी हैं।

 

इन पांच राज्यों में होना है काम

उत्तराखंड, यूपी, झारखंड, बिहार और वेस्ट बंगाल में गंगा की सफाई को लेकर काम होना है। इन पांचों राज्यों के लिए ही पोर्टल तैयार हो रहा है। इन सभी जगहों पर संस्थान की ओर से सर्वे भी किए जा चुके हैं। जिसकी रिपोर्ट तो पिछले साल केंद्र सरकार को सौंप दी गई थी लेकिन पोर्टल पर अब भी काम चल रहा है।

 

 

स्टेट कर करे क्वेरी

दूसरे राज्यों की ओर से इस पर एफआरआई से सवाल किए जा रहे हैं वो पूछ रहे हैं कि आखिर कैसे वेब पोर्टल को चलाना होगा और ये कब तक चालू हो जाएगा। संस्थान के पास अब ऐसे पत्रों की संख्या बढ़ती जा रही है, पोर्टल अभी तक तैयार नहीं हो पाया है इसलिए संस्थान इनका जवाब भी नहीं दे पा रहा।

 

पोर्टल पर रहेगी जानकारी

गंगा के दोनों किनारों पर कितनी दूरी तक प्लांटेशन जरूरी है, जिससे बहती हुई गंगा डिस्टर्ब न हो। इसका ब्योरा पोर्टल में होगा। अक्सर पेड़ों के कटान और खनन आदि गतिविधियों के चलते नेचुरल फ्लो में बाधा आती है और इससे डिजास्टर जैसे खतरे भी बढ़ते हैं।

 

 

ये है वेब पोर्टल

डब्लूडब्लूडब्लू फॉर गंगा डॉट इन (www.forganga.in)

 

 

कुछ तकनीकी खामियों के कारण वेब पोर्टल को चालू होने में देर हो गई है। पोर्टल का अपग्रेडेशन चल रहा है। इस पोर्टल में गंगा संबंधी पूरा डाटा संकलित होगा। जल्द ही सभी राज्यों को उनके कोड और पासवर्ड दे दिए जाएंगे।

- नीलेश यादव, साइंटिस्ट, आईटी डिवीजन, एफआरआई