ALLAHABAD: गंगा और यमुना में से कूड़ा-करकट निकालने के लिए पानी में मौजूद स्किमर हर किसी को आकर्षित करती है। खास बात है कि स्किमर का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं है कि उससे प्रतिदिन कितना कूड़ा नदी में से निकाला जाएगा, बल्कि स्किमर के स्टाफ को जहां भी कूड़ा दिखा वह उसे निकालने के लिए दौड़ा देते हैं। इसके अलावा जेसीबी लगाकर स्नान घाटों पर गहराई भी बढ़ाई जा रही है।

काम तो चल रहा है, तेजी लाने की जरूरत

माघ मेले का पहला स्नान अब काफी करीब आ चुका है। इसके बावजूद तैयारियां अभी बहुत बेहतर लेवल पर नहीं पहुंच सकी हैं। इस बारे में हमने अपने फेसबुक पेज पर सवाल पूछा था, जिसके जवाब में कई रीडर्स ने कमेंट किया। हम कुछ चुनिंदा कमेंट्स को यहां पब्लिश कर रहे हैं

माघ मेला की तैयारी के लिए बड़ा बजट और बड़ी तैयारी की हमेशा घोषणा होती है। लेकिन यह हमेशा आधी-अधूरी तैयारी में ही सम्पन्न होता है। इससे दूर-दराज से आई जनता को काफी परेशानी होती है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।

-रिषि समीर

ये प्रशासन की लापरवाही है। पहला स्नान करीब आ चुका है और तैयारी अधूरी है। अभी भी समय है। प्रशासन को इसे तेजी से पूरा करवाने पर ध्यान देना चाहिए।

-महेंद्र कन्नौजिया

काम तो हो रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार काफी धीमी है। प्रशासन को चुस्त होकर इसमें तेजी लाने का उपाय करना चाहिए। अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि अधूरी तैयारियों में ही लोगों को स्नान करना पड़े।

-नीरा त्रिपाठी

यह सरकार की नाकामी है। मुझे तो ऐसा लगता है कि 2019 महाकुंभ के चक्कर में इस बार माघ मेला में कोई सुविधा ही नहीं मिलेगी।

-भानु प्रताप मिश्र