तीर्थराज में जगह जगह होगा स्वागत, इविवि के छात्र भी करेंगे अगवानी

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PRAYAGRAJ: विख्यात पर्यावरणविद प्रो। जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) की मौत से पूरा देश शोक में है। उनकी स्मृति में बहुत सारी बातें जनता के बीच कही और सुनी जा रही हैं। स्वामी सानंद की मृत्यु के बाद भी गंगा को लेकर चलाया जा रहा अभियान रुका नहीं है। उनकी प्रेरणा से अभियान को और व्यापकता मिलती नजर आ रही है। बता दें कि स्वामी सानंद का अनिश्चितकालीन आमरण अनशन गंगा दशहरा, 22 जून से लगातार जारी था। अनशन के 111वें दिन उनका देहांत एम्स ऋषिकेश में हो गया। अब स्वामी सानन्द की भारत सरकार से चार प्रमुख मांगों को लेकर गोमुख से गंगासागर तक गंगा सद्भावना यात्रा निकाली जा रही है।

संगम तट पर होगी गंगा आरती

यात्रा की अगुवाई जल पुरुष राजेंद्र सिंह कर रहे हैं। यात्रा सोमवार को प्रयागराज पहुंचेगी। यात्रा का स्वागत तेलियरगंज मे शाम 4:00 बजे आर्यशेखर जी की अगुवाई में किया जाएगा। शाम 5:00 बजे बैंक रोड पर सामाजिक एकता परिषद के ओपी् शुक्ला यात्रा की अगुवाई करेंगे। बैंक रोड के बाद आनंद भवन पर इविवि के छात्र नेता जन्मविजय यात्रा का स्वागत करेंगे। शाम 6:00 बजे बालसन चौराहे के पास राष्ट्रीय हिंदू संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र दुबे यात्रा को आगे के लिए रवाना करेंगे। शाम को संगम तट पर आरती का आयोजन किया जाएगा।

जीडी अग्रवाल को सच्ची श्रद्धांजलि

यात्रा को सफल बनाने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय केन्द्रीय पुस्तकालय के लान पर शोध छात्र रामबाबू तिवारी की अगुवाई में बैठक की गई। राष्ट्रीय गंगा सत्याग्रह के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रामबाबू तिवारी ने कहा कि यात्रा स्वामी सानंद को सच्ची श्रद्धांजलि है। बैठक में पंकज, प्रदीप पांडे, सत्येंद्र, दुबे, अंजनी शुक्ला, कृष्ण कुमार मिश्रा, सुशील यादव, अभिनव अवस्थी, श्रीकांत पांडे, सुनील यादव, अनिरुद्ध सिंह, कमल कुमार, सुनील पटेल, अनुभव सिंह छोटू, निखिल श्रीवास्तव, विशाल सिंह, ज्ञान प्रकाश पटेल, परीक्षित शर्मा, रवि राजभर, हरदेव सिंह आदि मौजूद थे।

सरकार से मांग

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1. राष्ट्रीय गंगा कानून पर्यावरणविदों द्वारा बनाया जाए।

2. गंगा भक्त परिषद का गठन हो।

3. गोमुख से हरकी पैड़ी तक प्रस्तावित बांध पर रोक लगाया जाए तथा नए बांधों का निर्माण ना हो अथवा मां गंगा को अविरल निर्मल बहने दिया जाए।

4. गंगा किनारे अति संवेदनशील जोन घोषित किया जाए। मां गंगा के 500 मीटर अगल बगल कोई निर्माण ना हो।