सिद्ध होगी तपस्या

गंगा की अविरलता के लिए संतों के द्वारा की जा रही तपस्या सिद्ध होने वाली है। जी हां, पीएम ने गंगा के मसले को गंभीरता से लिया है और अपने पत्र के साथ अपने दूत को वाराणसी भेजने की तैयारी की है। दूत के रूप में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल शुक्रवार को 11 बजे तक वाराणसी आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पीएम ने अपने पत्र में गंगा की अविरलता के मसले पर संतों से सहमति जताई है। श्री प्रकाश जायसवाल वाराणसी आकर पीएम का पत्र जगद्गुर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सौंपेंगे। सूत्रों का कहना है कि स्वामी जी की उपस्थिति में श्री प्रकाश जायसवाल संतों के द्वारा किये जा रहे अन्न-जल त्याग अनशन को खत्म करायेंगे।

नहीं गये शंकराचार्य

पीएम के दूत श्रीप्रकाश जायसवाल को बुधवार को ही बनारस आना था। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के नामांकन के चलते वे काशी नहीं आ सके। श्री प्रकाश जायसवाल ने इसके लिए स्वामी शंकराचार्य को फोन करके माफी मांगी है और उनसे एक दिन और वाराणसी में रहने का आग्रह किया है। इसी के बाद शंकराचार्य जी ने वाराणसी प्रस्थान के अपने कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। दिल्ली से मिले सकारात्मक संदेशों से गंगा भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई है। गंगा भक्त यतिन्द्रनाथ चतुर्वेदी, राकेश चंद्र पाण्डेय, सजल श्रीवास्तव आदि लोगों का कहना था कि अब हम सभी को श्रीप्रकाश जायसवाल के आने का इंतजार है।

संतों की तपस्या जारी

उधर संतों की अन्न-जल त्याग तपस्या जारी है। अविच्छिन्न गंगा सेवा तपस्या पीठ की कमान संभाले जालौन के शिव मोहन सिंह ने 28 जून को शाम तक अपनी तपस्या के 258 घंटे पूरे कर लिये। शिव मोहन 18 जून से जलत्याग तपस्या पर बैठे हैं। बता दें कि इसके पहले औघड़ ब्रह्मरंध्र ने सर्वाधिक 456 घंटे, कर्म सन्यासी योगेश्वरानंद ने 216 घंटे, साध्वी शारदाम्बा ने 176 घंटे, साध्वी पूर्णाम्बा ने 124 घंटे, ब्रह्मचारी कृष्णप्रियानंद ने 116 घंटे तपस्या पीठ के आसन पर व्यतीत किये थे। इन सबके अलावा सबसे अधिक दिनों तक जल-त्याग तपस्या करने का श्रेय गंगा प्रेमी भिक्षु को जाता है। 23 मार्च से वे तपस्या पर बैठे थे। २६ मार्च को उन्हें डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने बलपूर्वक हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया था। तब से उनकी तपस्या जारी है।