आई एक्सक्लूसिव

- आस्था के नाम पर गंगा में फेंके जाने वाले नए सिक्के 'गंगाजल' कर रहे प्रदूषित

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-वर्तमान समय में आ रहे सिक्कों में मौजूद है 83 परसेंट लोहा और 17 परसेंट खतरनाक क्रोमियम

-कानपुर शहर में गंगा पुल, जाजमऊ पुल, गंगा बैराज समेत 18 घाटों से गंगा में फेंके जाते हैं सबसे ज्यादा सिक्के

-पानी में प्रति लीटर 0.05 परसेंट क्रोमियम की मात्रा भी स्वास्थ्य के लिए ज्यादा हानिकारक

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KANPUR: करोड़ों देशवासियों की आस्था का प्रतीक 'गंगा' के पॉल्यूशन का हाल किसी से छिपा नहीं है। पिछले दस सालों में करोड़ों रुपए गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए खर्च किए जा चुके हैं। 'नमामि गंगे योजना' के तहत अभी भी पैसा 'बहाया' जा रहा है। लेकिन इन सबके बीच दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट आज आपको बताने जा रहा है कि कैसे गंगा से जुड़ी आपकी आस्था ही गंगाजल को नुकसान पहुंचा रही है। जी हां, वर्तमान में बाजार में चल रहे 2, 5 और 10 रुपए के जो सिक्के गंगा नदी में डालकर आप प्रणाम करते हैं। वो सिक्के गंगा के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। बता दें कि पिछले 10 सालों में गंगा में हुए दोगुने पॉल्युशन में करीब 44 प्रतिशत हिस्सा इन सिक्कों का है। ये हम नहीं बल्कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट कह रही है। आइए जानते हैं कि कैसे ये सिक्के गंगा जल को हानि पहुंचा रहे हैं? दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट का उद्द्ेश्य आपकी आस्था को चोट पहुंचाना नहीं है, बल्कि आपको जागरूक करना है।

17 प्रतिशत होता है क्रोमियम

कानपुर में गंगा पर बने पुलों के अलावा 18 घाटों से रोजाना सैकड़ों लोग सिक्के फेंकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ कानपुर में ही रोजाना करीब 5 हजार सिक्के गंगा में फेंके जाते हैं। एक महीने में देखे तो औसतन 1,50,000 सिक्के गंगा में फेंके जाते हैं। क्षेत्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्रा बताते हैं कि 2,5 और 10 रुपए के नए सिक्के में 83 परसेंट लोहा और 17 परसेंट क्रोमियम की मात्रा होती है। पानी को सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड क्रोमियम करता है। पानी में प्रति लीटर 0.05 परसेंट की मात्रा शरीर के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक होती है और कई खतरनाक रोग भी देती है। नमामि गंगे के तहत हुई रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है।

और जहरीला हाे रहा पानी

आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो। संदीप वर्मा बताते हैं कि क्रोमियम पानी को सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड करता है। ये क्रोमियम पानी में मौजूद जीव-जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाता है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्र बताते हैं कि गंगा के पानी में रहने वाली मछलियां कई बार इन सिक्कों को निगल गई हैं, जिससे उनकी मौत तक हो गई है। गंगाजल की जांच के दौरान इसका खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं क्रोमियम युक्त सिक्के ज्यादा दिनों तक पानी इतना खतरनाक हो जाता है कि प्यूरीफाई करने के बाद भी इसका कुछ हिस्सा पानी में रह जाता है। पर्यावरणविद् डॉ। वीके सिंह बताते हैं कि इससे पर्यावरण के साथ ही मानव जीवन को भी खतरा है। गंगा किनारे रहने वालों और मछुआरों को क्रोमियम की वजह से कैंसर तक होने का खतरा है। इससे सरकारी खजाने को भी नुकसान हो रहा है।

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गंगा में सिक्कों की क्वांटिटी बहुत ज्यादा है। कई बार गंगा सफाई के दौरान ये बात सामने आ चुकी है। वर्तमान में जो सिक्के मार्केट में नए आए हैं वो कुछ समय पानी में पड़े रहने के बाद गंगा के पानी को पॉल्यूटेड करते हैं। इन सिक्कों में मौजूद कुछ हानिकारक धातु पानी को नुकसान पहुंचाती हैं। गंगा में सिक्के फेंके जाने की आस्था से गंगा को नुकसान हो रहा है।

-कुलदीप मिश्रा, क्षेत्रीय अधिकारी, उ.प्र। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, कानपुर नगर