-पेशी के दौरान गैंगस्टर के बयानों से दहशतजदा है पब्लिक

-गुर्गो के हो रहे हौसले बुलंद, फालोअर को दे रहे है मैसेज

Meerut : योगेश भदौड़ा, सुशील फौजी जैसे कुख्यात पंचायत चुनाव लड़ेंगे, तो खूनखराबा नहीं होगा, इसकी गारंटी कौन लेगा? कुख्यात जेल की सलाखों में हो तो एक पीडि़त का परिवार चैन की नींद सोता है तो दूसरी वो जनता भी राहत की सांस लेती है जो इन कुख्यातों के आतंक से दहशतजदा है। लेकिन यह क्या! मेरठ में तो स्थिति इतर है। यहां जेल में बंद कुख्यात पेशी के दौरान बेबाक बयान देकर न सिर्फ जनता को डराने का काम कर रहे हैं, बल्कि अपने फालोअर के हौसले बुलंद कर रहे हैं।

खुलेआम दे रहे धमकी

कुख्यात योगेश भदौड़ा ने गत दिनों पुलिस कस्टड़ी में न सिर्फ वकील सुनील चिंदौड़ी पर हुए जानलेवा हमले की जिम्मेदारी ली बल्कि यह भी ऐलान कर दिया कि यदि चिंदौड़ी नहीं सुधरे तो इस बार निशाना नहीं चूकेगा। बयान स्पष्ट कर रहा है कि चिंदौड़ी का संकट भदौड़ा के जेल में होने के बाद भी कम नहीं हुआ। ऐसे में सवाल यह है कि क्या पुलिस की कस्टडी में योगेश इस कदर बेखौफ हो गया कि उसे कानून भी नहीं डरा पा रहा है। ऐसे न जाने कई और बयान प्रत्यक्ष रूप से उन लोगों के लिए बड़ी मुसीबत है जिन्हें कुख्यात से जानमाल का खतरा है।

जेल की सुरक्षा पर सवाल

कुख्यात पेशी के दौरान ऐसे बयान दे रहे हैं जो जेल के सिस्टम की पोल खोल रहे हैं। जेल में बैठकर गैंगस्टर न सिर्फ आपराधिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं, बल्कि यह भी तय कर रहे हैं कि किसकी हत्या करनी, किससे रंगदारी वसूलनी है और कहां से हथियार उठाने हैं। इलेक्शन की तैयारी भी इन दिनों जोरों से है। जेल में हर संसाधन का लुत्फ ले रहे इन अपराधियों के लिए घर और जेल में कोई फर्क नहीं है।

फैला रहे दहशत

पंचायत चुनाव को लेकर जेल में बंद कुख्यात भदौड़ा ने बयान दिया कि वो चुनाव लड़ेगा तो वहीं उसके विरोधी सुशील फौजी ने अगली पेशी में कह दिया कि वो भी सामने ताल ठोंक रहा है। मीडिया के माध्यम से पब्लिक के साथ-साथ यह मैसेज दोनों गैंगों के गुर्गो तक भी पहुंचा। माना जा रहा है कि गुर्गो ने उस्ताद ने बयान देकर तैयारी के लिए उकसाया है। गैंगवार का दंश झेल रही पब्लिक इन बयानों से फिर खौफ खा रही है तो वहीं चुनाव में आपराधिक वारदातों की संभावनाएं बढ़ी हैं।

अरे! ये तो हीरो है भाई

पेशी के दौरान कचहरी में फिल्मी स्टाइल में, लकदक कपड़ों के साथ चहलकदमी कर रहे कुख्यातों के मीडिया में आने के बाद उनके फालोअर उनकी पर्सनालिटी से इम्प्रेस होकर गतिविधियों को कॉपी कर रहे हैं तो वहीं युवा पीढ़ी अंजाम की परवाह किए बगैर जुर्म में भविष्य तलाश रही है। आमतौर पर देखा गया है कि गैंगस्टर के ज्यादातर गुर्गे यंग और हैंडसम है। अपराधिक दुनिया में कूद रहे इन युवाओं का भी कोई न कोई अवश्य है।

पंचायत चुनाव में कोई दहशत फैलाए, पुलिस ऐसा नहीं होने देगी। दहशत फैलाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।

-आलोक शर्मा, आईजी, मेरठ जोन

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पंचायत चुनावों में हुआ क्राइम

21 फरवरी 2013 : जानी खुर्द थाना क्षेत्र के गांव सिवाल खास में नगर पंचायत चुनाव का परिणाम घोषित हुए 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि नवनिर्वाचित चेयरमैन व प्रतिद्वंदी के समर्थकों में जमकर पथराव हुआ। तनाव को देखते हुए गांव पीएसी तैनात कर दी गई थी।

21 दिसंबर 2011 : जिला पंचायत सदस्य संजय गुर्जर की हत्या के बाद खाली हुई सीट पर चुनाव हुआ, जिसमें विधायक पक्ष संजय गुर्जर पक्ष के बीच गोलीबारी में एक युवक की मौत हो गई।

20 अक्टूबर 2010 : बड़ौत में अत्याधुनिक हथियारों से लैस हमलावरों ने प्रचार कर रहे ग्राम प्रधान के पति और उनके सहयोगियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इससे प्रधान की मौत हो गई।

18 अक्टूबर 2010 : नगीना बिजनौर के गांव हुरनंगला से प्रधान का चुनाव लड़ रहीं दो प्रत्याशियों के समर्थक रविवार सुबह आमने-सामने आ गए। दोनों पक्षों के बीच एक घंटे तक चले संघर्ष में गोली लगने से एक प्रत्याशी के ससुर की मौत हो गई

15 अक्टूबर 2010 : दूसरे चरण में मतदान के दौरान कैराना क्षेत्र के गांव जहानपुरा में फर्जी वोटिंग का विरोध करने पर एक एजेंट को गोली से भून दिया गया था।

14 अक्टूबर 10 : मुजफ्फरनगर के कैराना में फर्जी मतदान को लेकर हुए विवाद में बूथ एजेंट की गोली मारकर हत्या कर दी गई, इसके बाद गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया।

11 अक्टूबर 2010 : मेरठ के रोहटा में मतदान को लेकर बीडीसी सदस्य का उम्मीदवार और ग्राम प्रधान के समर्थक भिड़ गए। धारदार हथियार से हमले में एक अभिकर्ता नरेंद्र जख्मी हो गया।