सरकार लगा रही जीएमवीएन को हर महीने लाखों की चपत

- निगम के 56 कर्मचारी विभिन्न विभागों में दे रहे हैं सेवाएं

-सीएम निवास और कार्यालय की कैन्टीन में काम कर रहे 43 कर्मचारी

-सभी कर्मचारियों को 17 साल से निगम दे रहा है वेतन

DEHRADUN : अजय सेठ गढ़वाल मंडल विकास निगम में कैन्टीन प्रबंधक के पद पर हैं। उन्हें हर महीने भ्भ् हजार 88भ् रुपये वेतन मिलता है। वे राज्य स्थापना के बाद से सीएम आवास के कैन्टीन में काम कर रहे हैं, लेकिन उनका वेतन हर महीने जीएमवीएन से जाता है। इसी तरह आशीष डंगवाल सीएम ऑफिस की कैंटीन में काम कर रहे हैं और वेतन जीएमवीएन से पाते हैं। कक्ष सेवक भगवती प्रसाद सचिव पर्यटन के कार्यालय में हैं, पैन्ट्रीमैन गुरु प्रसाद नौटियाल मुख्य सचिव के कैम्प कार्यालय में। इसी तरह सचिव न्याय, सफाई आयोग, सीएम कार्यालय, सीएम के सचिवालय कार्यालय, सचिव सिंचाई, शहरी विकास मंत्री आदि के दफ्तरों में जीएमवीएन के कुल भ्म् कर्मचारी काम कर रहे हैं। इन कैंटीनों या विभागों से निगम को फूटी कौड़ी तक नहीं मिल रही है।

हर महीने क्ख् लाख से ज्यादा खर्च

इन भ्म् कर्मचारियों के वेतन के रूप में निगम हर महीने क्ख् लाख ब्ख् हजार म्म्म् रुपये खर्च कर रहा है। इसके अलावा समय-समय पर घोषित डीए और बोनस को मिलाकर यह राशि इससे भी ज्यादा हो जाती है। यह सिलसिला राज्य गठन के समय से चल रहा है। यानी ये भ्म् कर्मचारी निगम के किसी काम नहीं आ रहे हैं, लेकिन वेतन पिछले क्7 सालों से निगम ही दे रहा है।

क्ख् करोड़ दे चुका निगम

जीएमवीएन इन कर्मचारियों के वेतन पर इस साल मार्च के महीने तक क्क् करोड़, फ्ख् लाख, भ्9 हजार रुपये खर्च कर चुका है। मार्च के बाद इस सभी कर्मचारियों का वेतन बढ़े हुए डीए के साथ दिया जा रहा है। यानी अब यह राशि क्ख् करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है।

तंग हाल में है निगम

केदारनाथ आपदा के बाद से जीएमवीएन बेहद खराब आर्थिक हालात से गुजर रहा है। आपदा में निगम के कई गेस्ट हाउस क्षतिग्रस्त हो गये थे। इस बीच निगम से खनन और शराब की सप्लाई का काम भी वापस ले लिया गया है। ऐसे में हर महीने क्ख्.ब्फ् लाख रुपये का बजट निगम पर भारी गुजरने लगा है।

कई बार लगा चुके गुहार

निगम अब शासन से इन भ्म् कर्मचारियों को वेतन के रूप में दिया गया करीब क्ख् करोड़ रुपये शासन से मांग कर रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि यदि यह रकम शासन से मिल जाती है तो निगम की गाड़ी फिर से चल पड़ेगी। फिलहाल निगम के हालात ऐसे हैं कि किसी भी मद में खर्च करने के लिए कोई पैसा नहीं है।

कब क्या कार्यवाही

7 दिसम्बर ख्0क्म् को सीएम आवास में हुई बैठक में फैसला किया गया कि निगम पर्यटन विभाग को इस बारे में पत्र लिखे और तब तक भ्0 लाख रुपये निगम को दिये जाएं। इस फैसले पर अमल नहीं हुआ।

-क्7 अप्रैल ख्0क्7 को सचिव पर्यटन के साथ हुई बैठक में भी निगम को पूरा भुगतान करने का फैसला हुआ, लेकिन केवल ख्भ् लाख रुपये दिये गये।

-ख्9 मई ख्0क्7 को सीएम की अध्यक्षता में पर्यटन विभाग की समीक्षा बैठक में इस मामले पर चर्चा हुई।

-क्ब् सितम्बर ख्0क्7 को निगम के प्रबंध निदेशक ने सचिव पर्यटन को पत्र लिखकर क्क् करोड़ रुपये देने की मांग की।

भ्म् कर्मचारियों को हम बिना काम के क्7 साल से वेतन दे रहे हैं। अब जबकि हमारी स्थिति बहुत खराब चल रही है तो हमने शासन से पिछले क्7 सालों में इन कर्मचारियों को दी गई रकम लौटाने का अनुरोध किया है। हमें उम्मीद है कि जल्दी यह रकम हमें मिल जाएगी।

-अतुल कुमार गुप्ता, प्रबंध निदेशक, जीएमवीएन