- केन्द्र वित्त पोषित योजनाओं का नहीं किया भुगतान

- 22 करोड़ की राशि आपदा राहत कार्यो की है केंद्र पर बकाया

- पैसा मांग रहे ठेकेदार, देने लगे कोर्ट जाने की चेतावनी

DEHRADUN: गढ़वाल मंडल विकास निगम की आर्थिक रूप से कमर तोड़ने में केंद्र ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। शासन जीएमवीएन के कर्मचारियों से दूसरे विभागों में काम करवा रहा है और इनका वेतन जीएमवीएन को भुगतना पड़ रहा है। मंडी परिषद निगम का मुनाफा कई सालों से दबाए हुए है। अब इधर केंद्र सरकार भी जीएमवीएन का ब्क् करोड़ रुपया दबाए है।

क्या है मामला

केन्द्र सरकार द्वारा पर्यटन संबंधी म् योजनाओं का काम जीएमवीएन से करवाया गया था। इनमें से म् काम तो आपदा के बाद निगम को आर्थिक संकट से उबारने के लिए केंद्र ने दिये थे। इन कामों की कुल लागत ख्7.भ्भ् करोड़ रुपये थी। निगम ने क्ब्.म्9 करोड़ के कार्य करवाये, लेकिन केन्द्र से मात्र भ्.भ्9 करोड़ रुपये का ही अब तक भुगतान किया गया है।

आपदा के बाद मिले काम

काम का नाम स्वीकृत राशि भुगतान बकाया

टिहरी में म् स्थानों पर पर्यटन विकास फ्.क्भ् 0.भ्9 ख्.भ्भ्

उत्तरकाशी में 8 स्थानों पर पर्यटन विकास फ्.ख्ख् 0.म्क् ़ ख्.म्0

चमोली में क्क् स्थानों पर पर्यटन विकास भ्.भ्फ् क्.0ब् क्.ब्8

बद्रीनाथ मार्ग पर पर्यटन सुविधाएं ब्.90 क्.ख्8 फ्.म्ख्

केदारनाथ मार्ग पर पर्यटन सुविधाएं 7.भ्0 क्.ब्ख् म्.07

गंगोत्री मार्ग पर पर्यटन सुविधाएं फ्.ख्भ् 0.म्भ् ख्.म्0

योग ख्7.भ्भ् भ्.म्0 ख्क्.9भ्

नोट : धनराशि करोड़ रुपए में।

क्9 करोड़ और योजनाओं का बाकी

पंचप्रयाग सर्किट विकास योजना- क्.क्8

मनेरी वाटर स्पो‌र्ट्स स्कीम- फ्.क्8

कलियर पर्यटन योजना- क्.ख्8

निर्मल गंगोत्री ईको पर्यटन योजना - क्.8ख्

टौंस रिवर स्कीम- ब्.7भ्

दुगड्डा-सैंडीखाल पर्यटन सर्किट - म्.क्म्

नोट-- धनराशि करोड़ रुपए में।

कर्मचारियों का भुगतान बाकी

राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा काम करवाये जाने के बावजूद पैसा न मिलने के कारण निगम की माली हालत इतनी खराब है कि कर्मचारियों के डीए की तीन किश्तें अभी तक नहीं दी जा सकी हैं। रिटायर होने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और अन्य अवशेषों का भी भुगतान नहीं हो पा रहा है।

फोटो है

हमारी यूनियन इस विषय में लगातार अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है। समय-समय पर पत्र व्यवहार भी किया जा रहा है। समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारी परेशान हैं, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

-आशीष उनियाल, महासचिव, कर्मचारी संगठन जीएमवीएन।

सीएम से लेकर सभी संबंधित अधिकारियों तक से निगम का बकाया भुगतान दिलवाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। एक तरफ ठेकेदारों का दबाव है तो दूसरी तरफ समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारी भी परेशान हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि जल्दी राज्य और केन्द्र सरकार से बकाया भुगतान मिले, ताकि काम आगे बढ़े।

-अतुल कुमार गुप्ता, एमडी, जीएमवीएन।