अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के नए नियमों के बाद क्रिकेट का स्वरूप और उसमें भी ख़ासतौर पर एकदिवसीय मैचों का स्वरूप काफ़ी हद तक बदलने वाला है.हालांकि नए नियमों की आलोचना भी हो रही है। आईसीसी की मुख्य कार्यकारी समिति ने जिन नए नियमों को स्वीकृति दी है उसमें एक नियम ये भी है कि अब बल्लेबाज़ों को किसी भी स्थिति में रनर नहीं मिल सकेगा।

जाने माने क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने इस नियम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि ये बल्लेबाज़ों के लिए खतरनाक है और इसके आधार पर गेंदबाज़ों को गेंदबाज़ी के समय पानी भी नहीं देना चाहिए।

गावस्कर का कहना था कि पारंपरिक रुप से खिलाड़ी अंपायर के फ़ैसलों पर सवाल नहीं उठाते हैं। नए नियमों के तहत अगर सिर्फ़ दो ही बार समीक्षा की मांग हो सकती है और अगर निचले क्रम का बल्लेबाज़ ये भूल जाए और समीक्षा की मांग करे तो उस पर जुर्माना लग सकता है। गावस्कर के अनुसार ये नियम उचित नहीं हैं।

अन्य फै़सले

काफ़ी उठा-पटक और खींचतान के बाद अंपायरों के फ़ैसले की समीक्षा (डीआरएस) करने वाली तकनीकी प्रणाली स्वीकार कर ली गई। आईसीसी ख़ुश है कि वो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई को इसके लिए राज़ी करने में सफल हुआ तो बीसीसीआई ख़ुश है कि सिर्फ़ ट्रैकिंग टेक्नॉलॉजी के सहारे डीआरएस के इस्तेमाल का उसका विरोध भी मान लिया गया।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद आईसीसी की हांगकांग में हुई बैठक में फ़ैसला हुआ कि समीक्षा करने वाली प्रणाली यानी डीआरएस के तहत इंफ़्रा रेड कैमरों और विकेट में लगी आवाज़ पकड़ने वाली मशीनों की मदद ली जाएगी। इंफ़्रा रेड कैमरे ये देख सकेंगे कि अगर विकेट के पीछे कैच की अपील हुई है या एलबीडब्ल्यू की अपील हुई है तो कहीं गेंद बैट को छूते हुए तो नहीं निकली थी। साथ ही विकेट में लगे आवाज़ पकड़ने वाले उपकरण भी ये बताएँगे कि गेंद के बल्ले से छूने की आवाज़ हुई है या नहीं।

बीसीसीआई अब तक इस्तेमाल होने वाली बॉल ट्रैकिंग टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के विरुद्ध था और आईसीसी ने भी अब बीसीसीआई के रुख़ पर मुहर लगाते हुए कहा है कि इस तकनीक का इस्तेमाल द्विपक्षीय शृंखला में दोनों टीमों की सहमति पर आधारित होगी।

यानी अगले महीने होने वाले इंग्लैंड के दौरे में अंपायरों के फ़ैसले की समीक्षा की प्रणाली लागू तो होगी मगर एलबीडब्ल्यू के फ़ैसलों के लिए यह लागू नहीं होगा क्योंकि फ़ैसले बॉल ट्रैकिंग टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल पर निर्भर होते हैं। इसमें ये देखा जाता है कि गेंद विकेट के सामने गिरी या नहीं और वहाँ से गेंद अगर आगे बढ़ती तो उस गेंद की दिशा क्या होती।

आईसीसी की बैठक में ये भी फ़ैसला हुआ कि एकदिवसीय मैचों में टीमों को अंपायर के फ़ैसले के विरुद्ध अब दो के बजाए एक बार अपील का मौक़ा मिलेगा और अगर अपील सही हुई तो वो मौक़ा बरक़रार रहेगा। अब बैटिंग और बॉलिंग के पावरप्ले 16 से 40 ओवरों के बीच ही लिए जा सकेंगे। साथ ही गेंदबाज़ों के दोनों छोरों से नई गेंद का इस्तेमाल होगा यानी मैच के बीच में अब गेंद बदलने की ज़रूरत नहीं होगी.इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अब रनर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लग गया है।

साथ ही एक साल के भीतर अगर किसी टीम का कप्तान दो बार धीमे ओवर रेट का दोषी पाया गया तो उसे निलंबन का सामना करना पड़ेगा, पहले इसकी इजाज़त तीन बार की थी।

परिषद ने 2015 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में होने वाले क्रिकेट विश्व कप के लिए एक क्वॉलिफ़िकेशन की प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी है यानी आयरलैंड और नीदरलैंड जैसी टीमों के उस विश्व कप में शामिल होने की राह खुल गई है हालाँकि ये सिफ़ारिश नहीं की गई है कि विश्व कप में कितनी टीमें शामिल की जाएँ।

बीसीसीआई ने एक बयान जारी करके कहा कि वो खेल में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के विरुद्ध नहीं रहा है मगर वो प्रौद्योगिकी सही निर्णय देने वाली होनी चाहिए तभी उसका इस्तेमाल हो। भारत के अलावा सभी देश अंपायरों के फ़ैसलों की समीक्षा करने वाली प्रणाली चाहते थे मगर भारत इस प्रणाली के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रहा था।

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