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सिकंदरा पुलिस द्वारा पकड़ा गया बांग्लादेशी गाजी दलाल की मदद से भारत में एंट्री कर सका। बांग्लादेश से इसी तरह चंद रुपयों के बल पर बांग्लादेशी एंट्री कर जाते हैं और यहां पर रह कर जालसाजी कर भारतीय नागरिकता भी प्राप्त कर लेते हैं। इस मामले में पुलिस की इंवेस्टीगेशन लगातार जारी है।

15 साल पहले आया था
गाजी ने बांग्लादेश से 15 साल पहले भारत में आने का इरादा किया। इसके बाद उसने जानकारी की तो वहीं पर एक दलाल कुछ रुपये में बॉर्डर पार कराता है। गाजी ने पता किया कि 500 रुपये में एक आदमी का काम हो जाएगा। इसी के बाद गाजी न खुद व अपनी पत्नी समेत बेटे के साथ भारत में आने की तैयारी कर ली। वहां पर वह दलाल से मिला और अपने और पत्नी के 500-500 रुपये दिए। बेटा समीम उस दौरान छोटा था।

सीधे पहुंचा कोलकाता
दलाल के माध्यम से बॉर्डर पार कर गाजी बड़ी आसानी से खेतों के रास्ते होता हुआ सीधे कोलकाता पहुंच गया। वहां पर पहले उसने अपना कबाड़ का काम किया। इसके बाद लोगों से पहचान बना ली। लोग उसे वहां पर भारतीय समझते थे। उसने वहां पर मकान भी खरीद लिए। वहां के बाद वह मथुरा आ गया। लेकिन कोलकाता के मकान में किराएदार बसा दिए जिससे उसका खर्चा चलता रहे।

नहीं लगी किसी को भनक
गाजी का इस तरह से बॉर्डर पार करना सुरक्षा में भारी चूक दिखा रहा है। इसी तरह से कुछ रुपयों में बांग्लादेशी भारत में घुसपैठ कर रहे हैं और खुफिया विभागों को इसकी भनक तक नहीं है। पूर्व में जितनी बार पुलिस ने मामले में जांच की वहां से बांग्लादेशी गायब हो गए। वे कहां गए किसी को नहीं पता। अब भी कई स्थानों पर बांग्लादेशी हो सकते हैं लेकिन पुलिस एलआईयू के इनपुट पर काम करती है।

यहां हर काम है आसान
गाजी ने यहां पर रहकर अपना व अपनी पत्नी रतना का वोटर आईडी बनवा लिया। तीन बार वह मतदान भी कर आया। इसके बाद उसने आधार कार्ड बनवाया। इतना कुछ होने पर भी किसी को कुछ पता नहीं चला। यदि आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पर रोहिंग्या नहीं पकड़े जाते तो शायद गाजी मामले पर पर्दा ही पड़ा रहता। इस मामले के ओपन होते ही खुफिया विभाग के कान खड़े हो गए हैं। लेकिन अभी किसी दूसरे बांग्लादेशी के पाए जाने की जानकारी नहीं हो पाई है।