- यशोधरा योजना की लाटरी में लगभग 150 लोगों की निकली थी लाटरी

- अब आवंटित परेशान, लगा रहे जीडीए का चक्कर

GORAKHPUR: केस क्- बिजनेसमैन प्रेम दूबे ने अपनी पत्‍‌नी प्रीति दूबे के नाम से जीडीए की योजना यशोधरा में अप्लाई किया था। प्रीति ने 8ब्9क्फ् रुपए जमा किए। दिसंबर ख्0क्ब् में उन्हें जीडीए का एक लेटर मिला। लेटर मिलने के बाद प्रीति ने ख्ख्फ्ब्87 रुपए और जीडीए में जमा किए। जनवरी माह बीत जाने के बाद भी उनको अभी तक कब्जा नहीं मिला है। प्रीति दूबे इस समय तीन तरफ से मार झेल रही हैं। एक तो बैंक का ब्याज, दूसरा मकान किराया और तीसरा जीडीए की 79ख्क् की किश्त।

केस ख्- शिखा पांडेय के पति एक जॉब करते हैं। शिखा पांडेय ने जेवर गिरवी रखकर यशोधरा योजना में फ्लैट के लिए 8ब्9क्फ् रुपए जमा किए। लाटरी निकली तो बैंक से लोन लेकर दिसंबर ख्0क्ब् जीडीए में ख्ख्फ्ब्87 रुपए जमा कर दिए। पैसा जमा करने के बाद जीडीए ने अभी तक कोई कागज नहीं दिया है। जीडीए के अफसरों का कहना है कि जब तक रजिस्ट्री नहीं होगी तब तक कब्जा नहीं मिलेगा। शिखा पांडेय की स्थिति प्रीति दुबे की तरह हो गई है।

जीडीए रहने के लिए छत दे या न दें, लेकिन अपने घर का सपना दिखाकर पैसा जरूर वसूल कर लेगा। ख्0क्0 में इसी तरह का एक सपना राप्तीनगर विस्तार के नाम पर दिखाया गया। कई लोगों ने बैक से लोन लेकर मकान के लिए अप्लाई किया और उनकी लॉटरी भी निकली, लेकिन आज भी अपने मकान के लिए तरस रहे हैं। इसी तरह का जीडीए में फिर हो रहा है। यशोधरा आवासीय योजना के अंतर्गत गोरखपुराइट्स को फ्लैट बेचे गए। दिसंबर में पूरी कीमत का फ्0 प्रतिशत जमा करा लिया गया। आवंटितों से बाकी रकम की किश्त भी वसूली जा रही है, लेकिन कब्जा देने के नाम पर जीडीए के अफसर टालमटोल रहे हैं। अब तो लोगों का जीडीए की योजनाओं से विश्वास उठने लगा है। कुछ लोग तो यह तक कहते सुने गए कि अब वे किसी को भी जीडीए की योजना ने पैसा लगाने को नहींकहेंगे और न खुद लगाएंगे।

म् से 9 हजार रुपए तक की है पहली किश्त

जीडीए की यशोधरा आवासीय योजना में क्भ्0 आवंटियों के सामने इस माह आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। स्थिति यह है लोगों ने अपने घर के सपने के पूरा करने के लिए बैंक से लोन या कर्ज लेकर जीडीए की योजना में पैसा लगाया। अब तक हर आवंटी तीन से चार लाख रुपए जीडीए में जमा करा चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी को कब्जा नहींमिल पाया है। उधर जिन लोगों ने पैसा लगाया है उन पर दोहरी आर्थिक मार पड़ रही है। एक तो किश्त की और दूसरी किराए की। ब्याज तो देना ही पड़ रहा है।

जीडीए हमेशा पब्लिक के लिए काम करता रहता है। यशोधरा के फ्लैट आवंटित हो गए हैं, कब्जा नहीं दिया गया है। जिनको बहुत जरूरी है वह जीडीए में आकर संपत्ति विभाग से कब्जा प्राप्त कर सकते हैं।

शिव कुमार मिश्र, उपाध्यक्ष जीडीए