- दिनभर आमने-सामने डटे रहे पुलिस प्रशासन और प्रदर्शनकारी

- मान मनौव्वल से सुलझा मामला, सीमांकन कराकर लौटी टीम

GORAKHPUR: मानबेला में आवंटियों को कब्जा दिलाने के लिए गुरुवार को जमकर मशक्कत हुई। एक ओर बढ़े हुएमुआवजे की मांग को लेकर पब्लिक कब्जा रोकने के लिए जमी रही तो दूसरी ओर पुलिस-प्रशासन की टीम डटी रही। आरपार की लड़ाई का मूड बनाकर जुटे अधिकारियों ने सात घंटे में 38 लोगों को कब्जा दिलवाया। जीडीए सचिव ने बताया कि 58 आवंटियों को कब्जा दिलाना था। इसलिए आगे भी अभियान जारी रहेगा। सचिव ने कहा कि बढ़ा हुआ मुआवजा देने के संबंध में कोर्ट में मामला विचाराधीन है। कोर्ट के आदेश के बिना नए रेट से मुआवजा दे पाना संभव नहीं है। कोर्ट का आदेश आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

महाधिवक्ता से मांगी गई थी राय

जीडीए ने कॉलोनी बनाने के लिए मानबेला और फत्तेपुर सहित कई गांवों के किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया था। लेकिन बढ़े सर्किल रेट पर मुआवजा की मांग को लेकर किसानों ने आपत्ति जता दी। लोगों ने कहा कि बिना भुगतान हुए जीडीए को कब्जा नहीं दिया जाएगा। जीडीए प्रशासन ने किसी तरह से मामले का सॉल्युशन खोजा। मानबेला के शमीम ने आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में वाद दाखिल कर दिया। दिसंबर माह में आपत्ति दाखिल होने के बाद जीडीए ने मुआवजा वितरण रोक दिया। उधर आवंटी भी कब्जा पाने के लिए लगातार प्रयासरत रहे। कोर्ट में अपना पक्ष रखकर कब्जा दिलवाने की गुहार लगाई।

कब्जा नहीं हटाना चाहती पब्लिक

जीडीए से जुड़े लोगों का कहना है कि भूमि आवंटन होने के बाद उस भूमि पर 30 से अधिक मकानों का निर्माण करा लिया गया है। एक शैक्षणिक संस्थान भी बन गया है। कुछ धार्मिक स्थल पर बना लिए गए हैं। आवंटियों को कब्जा दिलाने के पहले उस भूमि को पूरी तरह से खाली करना होगा। इसलिए बार-बार किसी न किसी बहाने से पब्लिक विरोध पर उतर आती है। इससे हर बार पेंच फंस जाता है। गुरुवार को जीडीए, पुलिस-प्रशासन के अफसर भारी फोर्स संग मानबेला पहुंचे। आवंटियों को कब्जा दिलाने की सूचना से मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन में लगी पब्लिक भी पहले से जमा रही। भूमि की पैमाइश के दौरान कई बार पुलिस-प्रशासन को पब्लिक का विरोध झेलना पड़ा। थोड़ा सा सख्त रुख अपनाकर पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को संदेश देने का प्रयास किया। लेकिन बाद में धीरे-धीरे प्रदर्शनकारी चले गए। कांग्रेस नेता राणा राहुल सिंह की अगुवाई में चल रहे आंदोलन को खत्म कराने के लिए पुलिस ने बातचीत के लिए बुलाया।

अब तक यह हुआ

वर्ष 2009 में जीडीए ने 57 हेक्टेयर राप्ती नगर आवासीय योजना की नींव रखी।

इसके लिए मानबेला, आसपास के करीब 950 किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई।

जीडीए के भूमि अधिग्रहण कराने पर 250 लोगों ने प्लॉट की रजिस्ट्री कराई।

मुआवजा की मांग को लेकर पेंच फंसने पर किसानों ने आवाज मुखर की।

नए सर्किल रेट के हिसाब से सबको भुगतान करने को जीडीए राजी हुआ।

बढ़ा हुआ मुआवजा लेने के लिए 150 किसानों ने फॉर्म भरकर जमा कराया।

किसानों का भुगतान शुरू होने पर कोर्ट में इसकी प्रक्रिया पर आपत्ति दाखिल हुई।

क्या है पेंच

- अब तक किसान नए सर्किल रेट पर मुआवजा मांग रहे थे।

- जीडीए राजी हुआ तो भुगतान को लेकर सवाल उठ गए हैं।

- अधिग्रहित भूमि पर कम से कम 30 मकानों का निर्माण है।

- एक शिक्षण संस्थान भी उसी भूमि पर चलाया जा रहा है।

- जीडीए की नजर में सभी निर्माण अवैध हैं। कब्जा दिलाने के लिए उन्हें हटाना पड़ेगा।

- आवंटियों को भूमि मिलने पर ही मकान का निर्माण हो सकेगा।

- काबिज पब्लिक अपना कब्जा नहीं हटाना नहीं चाहती है।

- बढ़ा हुआ मुआवजा देने का मामला कोर्ट में पेंडिंग चल रहा है।

वर्जन

58 आवंटियों को कब्जा दिलाया जाना था। गुरुवार को 38 लोगों को मौके पर कब्जा दिलाया गया। शुक्रवार को भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी। मुआवजा का मामला कोर्ट में लंबित है। कोर्ट के आदेश पर ही कोई कार्रवाई की जाएगी।

- रामसिंह, सचिव जीडीए

पब्लिक का विरोध देखते हुए अहतियातन फोर्स लगा दी गई थी। पुलिस बल की मौजूदगी में जीडीए अधिकारियों ने आवंटियों को कब्जा दिलाया। सुबह 10 बजे पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई थी। शाम पांच बजे तक फोर्स की मौजूदगी में कब्जा दिलाने की कार्रवाई चलती रही।

- गणेश साहा, एसपी नॉर्थ