- जीडीए ने बंधु सिंह पार्क में पार्किंग बनाने के लिए नगर निगम ने बनाई थी योजना

- इस एरिया में पार्किंग न बनने से डेली 50 हजार लोगों को हो रही प्रॉब्लम

GORAKHPUR: नगर निगम और जीडीए की टशन में आए दिन काम पेंडिंग पड़ जाते हैं। जीडीए कभी नगर निगम के कामों में अड़ंगा लगा देता है तो वहीं नगर निगम जीडीए के कामों पर नाग की तरह कुंडली मारकर बैठ जाते हैं। नतीजा सारे वर्क पेंडिंग पड़ जाते हैं। कुछ ऐसा ही मामला एक बार फिर सामने आया है। इस बार जीडीए ने नगर निगम की एक योजना पर ब्रेक लगा दिया है। महानगर के सबसे व्यस्त बाजार में घंटाघर के बंधू सिंह पार्क में पार्किंग स्थल के नक्शे को खारिज कर दिया है।

2009 से चल रही है योजना

2009 में तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी ने इस पार्क के एक हिस्से में पार्किंग बनाने की योजना बनाई थी। उस समय पार्षदों ने इस योजना को नगर निगम कार्यकारिणी और बोर्ड से स्वीकृत भी दे दी। उसके बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। 2013 में नगर निगम की वर्तमान बोर्ड एक बार फिर से सक्रिय हुई और नई योजना बनाकर जीडीए के पास भेजा। अब जीडीए इस नई योजना को यह कह कर नक्शा पास करने से मना कर दिया है कि इस जगह के दोनों तरफ सड़क है ऐसे में यहां पार्किंग नहीं बन सकती है।

इनको होता लाभ

घंटाघर में रोजाना कम से कम 25 से 30 हजार लोग गुजरते हैं। गोरखपुर मंडल के साथ ही बिहार और नेपाल से भी लोग मार्केट करने के लिए यहां पहुंचते हैं। मगर पार्किंग न होने की वजह से हांसूपुर, बसंतपुर, मदरसा चौराहा, लालडिग्गी और घंटाघर के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दो पहिया वाहन तो 50 मीटर की दूरी 10 से 20 मिनट में पार कर लेते हैं, लेकिन चार पहिया वाहनों को यहां से गुजरने में कम से कम एक घंटा लग जाता है।

वर्तमान स्थिति

वार्ड की सफाई व्यवस्था को ताक पर रखकर सफाई कर्मियों ने शहीद बंधु सिंह पार्क को कूड़ा पड़ाव केंद्र बना दिया है। वह आस-पास की गंदगी यहीं लाकर डंप कर देते हैं। तीन से चार दिनों के बाद जब दो से तीन ट्रॉली कूड़ा इकट्ठा हो जाता है तो यहां से उठाकर ले जाते हैं। सबसे अधिक प्रॉब्लम रोड किनारे फल, चाट-पकौड़ी और शाम को सब्जी की मार्केट की वजह से आवाजाही बिल्कुल बंद सी हो जाती है। इनके अतिक्रमण की वजह से रोड भी सकरी हो गई है।

पार्क को चहारदीवारी बनाकर सुरक्षित किया जाएगा और शेष हिस्से में पार्किंग का निर्माण किया जाएगा। जीडीए को नक्शा पास करने के लिए दोबारा पत्र लिखा जाएगा।

डॉ। सत्या पांडेय, मेयर