-जीडीए करेगा सौ साल से पुरानी धरोहरों का संरक्षण

-संरक्षित धरोहरों के आस-पास नहीं हो सकेगा नया निर्माण

GORAKHPUR: शहर की धरोहरों में रचा-बसा इतिहास फिर से बोल उठेगा। जी हां, शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को फिर से संवारा जाएगा। इसकी जिम्मेदारी जीडीए लेने जा रहा है। इसके तहत भारतीय पुरातत्व विभाग के चिन्हित शहर के प्रमुख धरोहरों के आस-पास निर्माण कार्य, उनके रखरखाव और उनकी सुरक्षा की व्यवस्था जीडीए को करनी होगी। शासन की ओर से मिलने वाले अवस्थापना निधि के पैसे से इन धरोहरों का संरक्षण होगा। बोर्ड की स्वीकृत मिलते ही जीडीए ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से सूची मांगी थी। इसमें से कुछ धरोहरों पर जीडीए ने काम भी शुरू कर दिया है।

 

निर्माण की जद में धरोहर तो नहीं

जीडीए अब किसी निर्माण का नक्शा पास करने के बाद पहले यह भी देखेगा कि कहीं कोई धरोहर तो नहीं हैं। यह कहना है जीडीए चीफ इंजीनियर संजय कुमार सिंह का। अगर आस-पास धरोहर हुई तो वह नक्शा पास नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्00 साल की पुरानी प्रसिद्ध इमारतों को हम लोग धरोहर के रूप में शामिल कर रहे हैं। इन इमारतों के आस-पास के एरिया में जीडीए हर निर्माण पर नजर रखेगा। ताकि धरोहर के अस्तित्व पर आने वाले किसी भी खतरे को हटाया जा सके।

 

बनाया जाएगा अलग विभाग

संजय सिंह ने बताया कि धरोहरों के संरक्षण के लिए जीडीए शासन के आदेश पर अमल करेगा। मिली जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए योजना भी बन रही है। जीडीए अपने बोर्ड में इसके लिए अलग से एक विभाग भी स्थापित करने जा रहा है। धरोहर संरक्षण निधि का निर्माण हो रहा है। इस निधि में जीडीए अपनी अवस्थापना निधि के लगभग क्0 प्रतिशत अंश हर साल इन्हीं धरोहरों पर खर्च होगा। यह पैसा धरोहर के आस-पास पानी, दीवार, सड़क, रंगाई-पुताई और सुरक्षा के इंतजाम आदि की व्यवस्था की जाएगी।

 

शहर की प्रमुख धरोहर

बसंतपुर सराय

क्ब्भ्8 में बनी बसंतपुर सराय एक ऐतिहासिक इमारत है। इसका इतिहास सतासी राजाओं, मुगल राजाओं के अलावा अंग्रेजों से जुड़ा हुआ है।

 

मोती जेल

सतासी राजा बसंत सिंह के महल और किले को क्80ख् में अंग्रेजों ने ध्वस्त कर उसे मोती जेल में बदल दिया था।

 

सूरजकुंड धाम

इस स्थान के बारे में फेमस है कि भगवान श्री राम ने यहां विश्राम किया था। समय के साथ यह भव्य सूरजकुंड मंदिर बना, जो क्0 एकड़ में फैला है।

 

इनकी भी संवरेगी सूरत

नगर निगम लाइब्रेरी, घंटाघर

 

शासनादेश के अनुपाल के अनुरूप इस आदेश का पालन किया जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जीडीए सीमा के अंदर आने वाले धरोहरों की सूची मांगी गई थी, कुछ जगहों की सूची मिल गई है। एक दो जगहों पर जीडीए की टीम जा भी चुकी है।

संजय कुमार सिंह, चीफ इंजीनियर जीडीए