मैदानी जिलों के भरोसे राज्य की अर्थव्यवस्था

- सकल घरेलू उत्पाद व प्रति व्यक्ति आय में पर्वतीय जिले बुरी तरह पिछड़े

-रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चंपावत व उत्तरकाशी जिलों की जीडीपी तीन से चार हजार करोड़

DEHRADUN : राज्य गठन के बाद उत्तराखंड का सकल घरेलू उत्पाद (डीजीपी) क्ब् गुना और प्रति व्यक्ति आय साल दर साल बढ़ते हुए क्क् गुणा तक अधिक हो जाने के आंकड़े बेशक राज्य की खुशहाली की ओर संकेत करते हों, लेकिन यदि पर्वतीय जिलों की बात करें तो हालात बेहद खराब हैं। उत्तराखंड देश का पहला जिला है, जिसने जिला स्तर पर भी प्रति व्यक्ति औसत आय निर्धारित करना शुरू किया है। हिमालय दिवस पर आयोजित उत्तराखंड सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन में भी विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई।

क्या है राज्य की स्थिति

ख्000 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद क्ब्भ्0क् करोड़ रुपये था और तब प्रति व्यक्ति आय थी क्भ्ख्8भ् रुपये। ख्0क्म्-क्7 में सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर क्9भ्क्9ख् करोड़ रुपये हो गया, जबकि प्रतिव्यक्ति आय बढ़कर क्म्079भ् रुपये हो गई है।

पर्वतीय जिलों में स्थिति खराब

तेजी से हो रही इस आर्थिक प्रगति से अलग राज्य चार पर्वतीय जनपदों में जीडीपी अभी तीन से चार हजार करोड़ के बीच झूल रही है। इन जिलों में रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चंपावत व उत्तरकाशी शामिल हैं। उत्तरकाशी, बागेश्वर व रुद्रप्रयाग जनपद प्रतिव्यक्ति आय में भी पिछड़े हैं। सम्मेलन में सरकार को सुझाव दिया गया कि वह पर्वतीय क्षेत्रों पर विशेष फोकस करे।

नीतिगत खामियां

पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि पर्वतीय जिलों में अर्थव्यवस्था का रफ्तार न पकड़ पाना कहीं न कहीं नीतिगत खामियों की ओर इशारा करता है। अपर मुख्य सचिव डॉ। रणवीर सिंह ने भी इसे स्वीकारा और कहा कि आर्थिक विषमता की खाई को पाटने के लिए गंभीरता से कदम उठाए जाएंगे।